सुंदरकांड पाठ के लाभ ,मनोबल बढ़ाने के साथ कई फायदे

सुंदरकांड पाठ के लाभ ,मनोबल बढ़ाने के साथ कई फायदे

Sundarkand ke chamatkar रामायण का पांचवा अध्याय सुंदरकांड क्यों कहलाता है इसके पीछे भी कई सारे रहस्य है और कहा जाता है कि सुंदरकांड का पाठ यदि कोई व्यक्ति करता है तो उसको वह सब कुछ मिलता है इसके लिए वह प्रयासरत रहता है और उस पर प्रभु की कृपा होती है सुंदरकांड के चमत्कार को अगर देखना है तो अपनी पूजा की दिनचर्या में अगर सुंदरकांड को शामिल करें अगर रोज नहीं कर सकते तो शनिवार और मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए.

सफलता के लिए सुंदरकांड का पाठ

किसी भी व्यक्ति को अपनी जिंदगी में सफलता नही मिलती है सारे प्रयास करने के बाद भी परिणाम सार्थक नही मिलता है जिसके कारण मनोबल में कमी आने लगती है ।

सुन्दरकांड के पाठ से मनोबल में वृद्धि होती है और जिसके कारण जिस रास्ते पर आप चल रहे हैं उसमें सफलता के रास्ते खयड बनने लगते हैं इसका अहसास खयड आपको होने लगता है ।

विद्यार्थियों को सुंदरकांड को अपने पूजा में शामिल करना चाहिए जिससे उनकी बुद्धि कुशाग्र होती है जिसके कारण उन्हें examination में सफलता मिलती है ।




विपरीत परिस्थितियों से लड़ने में कारगर है सुंदरकांड

सुंदरकांड से मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में किस तरह से उसका सामना बड़े ही वीरता के साथ करना और उसमें सफलता पाने के लिए सुंदरकांड की चौपाई सिखाती है ।

सुंदरकांड पाठ के फायदे

सुंदरकांड के पाठ से कई प्रकार के लाभ होते हैं और पहले ही श्लोक से लोगों को शांति मिलने लगती है और उसके बाद लोगों को

महावीर हनुमान का बखान करते हुए उनके अंदर असीम ऊर्जा का संचार होता है ।

सुंदरकांड पाठ के लाभ से नकारात्मक शक्तियों और नकारात्मक सोच का अंत होता है व्यक्ति को एक आशा की किरण दिखने लगती है और पूर्ण समर्पण भाव से किया गया कार्य हर झाल में सफल होता है ।

सुंदरकांड घर मे किसी भी प्रकार के वास्तु दोष से भी राहत देता है । अगर पाठ न कर सकें तो घर मे सुंदरकांड को सुनना चाहिए इसे आप बजा भी सकते हैं ।

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