sunderkand kaise padhe : सुंदरकांड कैसे पढ़ें, विधि और नियम

How to read Sundarkand: How to read Sundarkand, method and rules
 
 सुंदरकांड कैसे पढ़ें,

(  लेखक नरेन्  )  सुंदरकांड रामचरितमानस का पांचवां अध्याय है जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने रचा। यह श्रीहनुमान जी की वीरता, भक्ति और श्रीराम के प्रति समर्पण को दर्शाता है। इसे पढ़ने से जीवन में भय, दुख, रोग और संकटों से मुक्ति मिलती है। विशेषतः मंगलवार और शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करने से विशेष फल मिलता है।

सुंदरकांड पढ़ने की विधि:


1. पाठ के लिए समय और दिन:

  1. सप्ताह के शुभ दिन: मंगलवार और शनिवार को श्रेष्ठ माना जाता है।
  2. समय: प्रातःकाल (ब्राह्ममुहूर्त) या सायंकाल (सूर्यास्त के बाद)।
  3. संकट के समय प्रतिदिन भी पढ़ा जा सकता है।

2. स्थान की तैयारी:

  1. शांत और पवित्र स्थान चुनें।
  2. पाठ से पहले घर या मंदिर की सफाई करें।
  3. भगवान राम, सीता और हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

3. पूजन और तैयारी:

  • स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
  • श्रीराम और हनुमान जी का ध्यान करें।

4. पाठ की विधि:

  • "श्रीरामचरितमानस" की सुंदरकांड वाली पोथी या पुस्तक लें। आरंभ करें:

  • तुलसीदास जी की वंदना या "श्रीरामचरितमानस मंगलाचरण" से आरंभ करें।
  • इसके बाद सुंदरकांड का पाठ शुरू करें।
  • प्रत्येक दोहे और चौपाई को श्रद्धा से पढ़ें और अर्थ समझने की कोशिश करें।

5. पाठ के नियम:

  • पाठ के दौरान मौन और एकाग्रता बनाए रखें।
  • मोबाइल, टीवी या अन्य व्यवधान से दूर रहें।
  • एक ही स्थान पर बैठकर पूरा पाठ करें (लगभग 1.5 से 2 घंटे का समय लग सकता है)।
  • यदि पूरा सुंदरकांड एक साथ पढ़ना संभव न हो तो आप इसे भागों में भी पढ़ सकते हैं।

6. पाठ के बाद:

  1. "हनुमान आरती" करें – “आरती कीजै हनुमान लला की…”
  2. प्रसाद (गुड़, चना, या फल) अर्पित करें और परिवार में वितरित करें।
  3. अंत में भगवान श्रीराम और हनुमान जी से प्रार्थना करें।

विशेष सुझाव:

  • यदि संभव हो तो सुंदरकांड का पाठ समूह में या परिवार सहित करें।
  • व्रत या उपवास रखकर पढ़ना अधिक फलदायी माना जाता है।
  • श्रद्धा और भक्ति भाव सबसे आवश्यक है – विधि से ज्यादा भावना को महत्व दें।

सुंदरकांड पढ़ने से लाभ:

  • मानसिक शांति और आत्मबल बढ़ता है।
  • रोग, भय, दरिद्रता और बाधाओं का नाश होता है।
  • कार्यों में सफलता मिलती है और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
  • हनुमान जी की कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

निष्कर्ष:


सुंदरकांड एक आध्यात्मिक अमृत है जो जीवन में साहस, भक्ति और सफलता का संचार करता है। इसे श्रद्धा और नियमपूर्वक पढ़ने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। कोई भी व्यक्ति, चाहे वह शिक्षित हो या नहीं, केवल भक्ति भाव से इसका पाठ कर सकता है और फल प्राप्त कर सकता है।

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