मृत्यु का महत्व: एक राजा और अमरता की खोज

The Significance of Death: A King and the Quest for Immortality
 
मृत्यु का महत्व: एक राजा और अमरता की खोज
हर व्यक्ति मृत्यु से भयभीत होता है, लेकिन जन्म और मृत्यु सृष्टि के शाश्वत नियम हैं। यह चक्र ब्रह्मांड में संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है। इसके बिना, मनुष्य एक-दूसरे पर हावी हो जाते। एक पुरानी कथा हमें इस सत्य का बोध कराती है।

अमरता की तलाश

एक बार, एक राजा राज्य के बाहर एक वृक्ष के नीचे बैठे संत के पास गए। राजा ने पूछा, "हे स्वामी! क्या इस संसार में कोई ऐसी औषधि है जो अमरता प्रदान कर सके? कृपया मुझे उसका उपाय बताइए।"संत ने उत्तर दिया, "हे राजन! आपके सामने दो पर्वत हैं, उन्हें पार कीजिए। वहाँ आपको एक झील मिलेगी। उस झील का जल पीने से आप अमर हो जाएँगे।"राजा ने पर्वत पार किया और झील तक पहुँचे। जैसे ही वह जल पीने के लिए झुके, उन्हें एक कराहने की आवाज़ सुनाई दी। आवाज़ का पीछा करने पर उन्होंने एक बूढ़े और दुर्बल व्यक्ति को दर्द में देखा।

राजा ने कराहने का कारण पूछा। उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, "मैंने इस झील का जल पीकर अमरता प्राप्त कर ली। जब मैं सौ वर्ष का हुआ, तो मेरे बेटे ने मुझे घर से बाहर निकाल दिया। मैं पचास वर्षों से यहाँ बिना किसी देखभाल के पड़ा हूँ। मेरा बेटा मर चुका है, और मेरे पोते अब स्वयं बूढ़े हो गए हैं। मैंने भोजन-पानी सब त्याग दिया है, फिर भी मैं जीवित हूँ।"राजा ने विचार किया, "केवल बुढ़ापे के साथ अमरता का क्या लाभ? यदि मुझे अमरता के साथ-साथ यौवन भी मिल सके तो?"

 यौवन और संपत्ति का अंतहीन संघर्ष

राजा वापस संत के पास लौटे और समाधान पूछा, "कृपया मुझे अमरता के साथ यौवन प्राप्त करने का उपाय भी बताइए।संत ने कहा, "झील पार करने के बाद, आपको एक और पर्वत मिलेगा। उसे पार कीजिए, और एक वृक्ष मिलेगा जिस पर पीले फल लगे होंगे। उन फलों में से एक खा लीजिए, और आपको अमरता के साथ यौवन भी प्राप्त हो जाएगा।"राजा ने दूसरा पर्वत पार किया और वह वृक्ष देखा। जैसे ही उन्होंने फल तोड़ने के लिए हाथ बढ़ाया, उन्हें तेज बहस और लड़ाई की आवाज़ें सुनाई दीं। राजा हैरान हुए कि इस सुनसान जगह में कौन झगड़ रहा है?राजा ने चार जवान आदमियों को ऊँची आवाज़ में झगड़ते हुए देखा। पूछने पर उनमें से एक बोला, "मैं 250 वर्ष का हूँ, और मेरे दाहिनी ओर खड़े व्यक्ति की आयु 300 वर्ष है। वह मुझे मेरी संपत्ति का हिस्सा देने से मना कर रहा है।"

जब राजा ने दाहिने वाले व्यक्ति से पूछा, तो उसने कहा, "मेरा 350 वर्षीय पिता अभी भी जीवित है और उसने मुझे मेरा हिस्सा नहीं दिया। तो मैं अपने बेटे को कैसे दूँ?"उस व्यक्ति ने अपने 400 वर्षीय पिता की ओर इशारा किया, जिन्होंने भी वही शिकायत की। उन्होंने राजा को बताया कि संपत्ति के इस अंतहीन झगड़े के कारण गाँव वालों ने उन्हें गाँव से निकाल दिया है।

 मृत्यु में ही छिपा है प्रेम और जीवन

राजा आश्चर्यचकित होकर संत के पास लौटे और बोले, "धन्यवाद, आपने मुझे मृत्यु का वास्तविक महत्व समझाया।"संत ने कहा, "मृत्यु के कारण ही इस संसार में प्रेम है।" मृत्यु के बारे में चिंता करने के बजाय, हर दिन और हर पल को खुशी से जिएँ। स्वयं को बदलें, तो दुनिया स्वयं बदल जाएगी।

 जीवन को भक्तिमय बनाने के सरल सूत्र

  • स्नान: स्नान करते समय भगवान का नाम लें, वह पवित्र स्नान बन जाता है।

  • भोजन: खाना खाते समय नाम लें, वह भोजन प्रसाद बन जाता है।

  • यात्रा: चलते समय नाम लें, वह एक तीर्थ यात्रा बन जाती है।

  • पाककला: खाना पकाते समय नाम लें, वह भोजन दिव्य बन जाता है।

  • निद्रा: सोने से पहले नाम लें, वह ध्यानमय नींद बन जाती है।

  • कार्य: काम करते समय नाम लें, वह भक्ति बन जाती है।

  • घर: घर में नाम लें, तो वह घर मंदिर बन जाता है।

Tags