अद्भुत, अलौकिक और अनंत – काशी की अनुपम महिमा
(अंजनी सक्सेना – विभूति फीचर्स) जब हम काशी, बनारस या वाराणसी का नाम सुनते हैं, तो अक्सर मन में काशी विश्वनाथ मंदिर और गंगा स्नान की छवि उभरती है। लेकिन इन दोनों के अतिरिक्त भी काशी में छिपे हैं सैकड़ों अलौकिक मंदिर, तीर्थ स्थल, कुण्ड और कूप – जो इस नगरी को आध्यात्मिक वैभव से भरपूर बनाते हैं। काशी में शिव, शक्ति, विष्णु, गणेश, नवग्रह, तीर्थ और पौराणिक देवस्थलों की संख्या 500 से भी अधिक है।
“काशी-काशी” नाम जपने वाले भगवान शिव के प्रिय
भगवान शिव स्वयं कहते हैं –
"ममतारहिस्यापि मम सर्वात्मनो ध्रुवम्।
ये एव मामका लोके, ये काशीनाम जापका॥"
अर्थात् मैं ममता से रहित हूँ, किंतु जो 'काशी-काशी' का जप करते हैं, वे मेरे अत्यंत प्रिय हैं।
यह नगरी केवल मोक्ष प्रदान करने वाली नहीं, बल्कि मनुष्य जीवन की सभी आवश्यकताओं – जैसे सुख, संतान, धन, स्वास्थ्य, यश, शांति – की पूर्ति में भी समर्थ है।
काशी के कुछ प्रमुख शक्तिस्थल
दुर्ग विनायक
दुर्गा मंदिर के प्रवेश द्वार पर विराजमान दुर्ग विनायक, भक्तों को दुर्घटनाओं से बचाते हैं। दुर्गा कुण्ड में स्नान कर, दुर्ग विनायक की पूजा के उपरांत ही भक्त देवी दुर्गा के दर्शन करते हैं।
केशवादित्य
वरुणा और गंगा के संगम पर स्थित आदि केशव मंदिर के भीतर केशवादित्य सूर्यदेव विराजमान हैं। उनके दर्शन से मानसिक बल और वाणी में तेजस्विता आती है।
ऋणहरेश्वर महादेव
यह मंदिर उन लोगों के लिए विशेष पूजनीय है जो ऋण से मुक्ति पाना चाहते हैं – चाहे वह पारिवारिक ऋण हो या सांसारिक। विशेष पर्वों पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
जलमग्न शिव मंदिर
गंगा जल के बीच स्थित यह शिवलिंग हमेशा आंशिक रूप से जलमग्न रहता है। यह झुका हुआ प्राचीन मंदिर, वास्तुकला और आस्था का चमत्कारी संगम है।
बिंदु माधव मंदिर
काशी का सबसे ऊंचा और प्रभावशाली विष्णु मंदिर। यहां श्रीहरि के विनायक, बालकृष्ण और अन्य रूपों की अनुपम मूर्तियां दर्शनार्थ उपलब्ध हैं।
वागेश्वरी देवी
लेखन, वाणी और बुद्धि से जुड़ी सिद्धि की देवी – वागेश्वरी। यहां स्थित वागेश्वरी कूप का जल पीने और दर्शन करने से वाणी में अद्भुत ओज उत्पन्न होता है।
कामाक्षी देवी का श्रीचक्र
यह देवी मंदिर त्रिपुरसुंदरी रूप में पूजित होता है। यहां का पाषाणीय श्रीचक्र विशेष शक्ति और समृद्धि देने वाला माना जाता है।
महालक्ष्मी मंदिर (गायघाट)
यहां की महालक्ष्मी देवी व्यापारियों और सुहागिनों को सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करती हैं। मंदिर की वास्तुकला और आभा देखने योग्य है।
कालभैरव – काशी के कोतवाल
काशी के रक्षक देवता माने जाते हैं कालभैरव। झूठे आरोपों से मुक्ति, कार्यसिद्धि और शत्रु विनाश के लिए इनकी पूजा की जाती है। यहां का ‘कालभैरव धागा’ भक्त रक्षा हेतु धारण करते हैं।
अन्य विशेष स्थल
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श्रीराम परिवार मंदिर – यहां श्रीराम, लक्ष्मण, सीता, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान जी एक साथ विराजमान हैं, जो भक्तों को पारिवारिक सुख की अनुभूति कराते हैं।
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तिलभांडेश्वर महादेव – यह शिवलिंग हर वर्ष एक तिल के बराबर बढ़ता है। यहां सरसों व तिल के तेल से दीपक जलाना विशेष फलदायी माना जाता है।
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संकट मोचन मंदिर – श्रीरामभक्त हनुमान जी का यह मंदिर गोस्वामी तुलसीदास द्वारा स्थापित किया गया था। यहां दर्शन करने से सभी संकट दूर होते हैं।
काशी की महिमा का वर्णन केवल लेखों में सीमित नहीं, यह एक जीवंत अनुभव है – जिसे वहां जाकर ही पूरी तरह महसूस किया जा सकता है। यह नगरी न केवल मोक्ष का मार्ग है, बल्कि जीवन के हर चरण में आस्था, ऊर्जा और विश्वास का केंद्र भी है।


