ताजिकिस्तान में फंसे झारखंड के 36 मजदूर, वतन वापसी के लिए सरकार से लगाई गुहार

दरअसल यह पहली बार नहीं है, जब झारखंड के मजदूर विदेशों में फंसे हों। पिछले महीने भी झारखंड के 44 मजदूरों को ताजिकिस्तान की एक एजेंसी ने बंधक बना लिया था। विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार के हस्तक्षेप पर उनकी रिहाई सुनिश्चित हो पाई थी।
इस बार जो मजदूर फंसे हैं, उनमें बोकारो जिले के गोमियां प्रखंड अंतर्गत हुरलुंग निवासी नारायण महतो और बालेश्वर महतो, बोकारो जिले के ही कढ़मा निवासी दशरथ, गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड अंतर्गत तुकतुको निवासी खिरोधर महतो, नागेश्वर चौधरी, रामदेव महतो, औरा निवासी सुखदेव महतो और संतोष कुमार, महुरी निवासी गोवर्धन महतो, ढ़ीबरा निवासी जगरनाथ महतो, परतापुर निवासी गणेश महतो, घाघरा निवासी कैलाश महतो, सरिया प्रखंड के पिपराडीह निवासी डुमरचंद महतो, डुमरी प्रखंड के कुलगो निवासी शंकर कुमार, सेवाटांड़ निवासी झरीलाल महतो और धनबाद जिले के तोपचांची प्रखंड के मानटांड़ गांव निवासी दिनेश कुमार महतो शामिल हैं।
प्रवासी मजदूरों के हित में काम करने वाले सिकंदर अली ने केंद्र और राज्य सरकार से मजदूरों की मदद करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि रोजगार के अभाव में झारखंड में आए दिन कहीं न कहीं से इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। लोग रोजी रोटी की तलाश में विदेश जाते हैं, वहां उनको यातनाएं झेलनी पड़ती हैं। ऐसे हालात में मजदूर बड़ी मुश्किल से अपने वतन लौट पाते हैं। सरकार को मजदूरों का पलायन रोकने के लिए रोजगार की व्यवस्था करने की जरूरत है।
--आईएएनएस
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