फार्मर्स फील्ड स्कूल में यूपी के किसान सीख रहे प्राकृतिक खेती का हुनर
उल्लेखनीय है कि केन्द्र द्वारा वित्त पोषित नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फामिर्ंग योजना के तहत प्रदेश के 49 जिलों में 85710 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसमें 1714 क्लस्टर गठित कर फार्मस फिल्ड स्कूल कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसी प्रकार राज्य सेक्टर से बुन्देलखंड के समस्त जिलों ( बांदा, हमीरपुर, ललितपुर, जालौन, झांसी, महोबा) में 470 क्लस्टरों (23500 हेक्टेयर) में दो चरणों में प्राकृतिक खेती कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2022-23 में 235 क्लस्टर गठित कर फार्मस फिल्ड स्कूल के आयोजन का कार्यक्रम वर्तमान में संचालित है। दोनों योजनाओं अन्तर्गत फार्मस फिल्ड स्कूल संचालन में कुल 93369 कृषक प्रतिभाग कर रहे है।
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो रासायनिक खादों के अंधाधुंध प्रयोग से हमारी धरती बांझ हो रही है। अब अधिक खाद डालने पर भी अपेक्षित पैदावार नहीं हो रही। इसी तरह फसलों को कीटों एवं रोगों से बचाने के लिए जिन जहरीले रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है उनके प्रति रोग एवं कीट क्रमश: प्रतिरोधी होते जा रहे हैं। लिहाजा हर कुछ साल बाद और जहरीले एवं महंगे कीटनाशकों की जरूरत पड़ रही है। इन दोनों के प्रयोग से किसानों की लागत जरूर बढ़ती जा रही है। जल, जमीन एवं जन एवं जैव विविधता को होने वाली क्षति अलग से। इन सबका समाधान है प्राकृतिक खेती। यूपी के लिए तो यह और भी जरूरी है। साथ ही यहां इनकी संभावनाएं भी अधिक हैं।
खेती किसानी के विशेषज्ञ गिरीश पांडेय ने बताया कि कृषि एवं पर्यटन आदि को शामिल कर लें तो देश की जीडीपी में इस क्षेत्र का योगदान करीब 40 फीसद है। देश के भौगोलिक रकबे का मात्र 11 फीसद होने के बाद अगर उत्तर प्रदेश कुल पैदा होने वाले अनाज का 20 फीसद पैदा करता है तो इसकी वजह इंडो गैंजेटिक बेल्ट की वह जमीन है जिसका शुमार दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में होता है।
पांडेय ने बताया कि गंगा की गोद में 27 जिलों, 21 नगर निकायों, 1038 से अधिक ग्राम पंचायतें आती हैं। इनके दोनों किनारों पर 10 किलोमीटर के दायरे में प्राकृतिक खेती की योजना गंगा को जहरीले रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों से मुक्त कराने की पहल की ही एक कड़ी है।
--आईएएनएस
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