ज्योतिष और यौन सुख : सम्बन्ध

Romantic life
 शुक्र ग्रह हमारे मानव जीवन में अहम स्थान रखते हैं। यह समस्त प्रकार के भौतिक सुख सुविधाओं का कारक है। अगर जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो तो जातक भौतिक सुख-सुविधाओं से वंचित रहता है। उसे भोग-विलास का मौका नहीं मिलता, वैवाहिक जीवन का सुख नहीं मिलता और जीवन में आराम नहीं मिल पता। कमजोर शुक्र होने पर व्यक्ति का धर्म और अध्यात्म की तरफ ज्यादा झुकाव होता हैं, इसी के विपरीत शुक्र अच्छा हो तो उसका खाने-पीने, गीत-संगीत या भोग विलास में ज्यादा मन लगता हैं। 

शुक्र का प्रभाव कभी भी अकेले नहीं देखा जाता, शुक्र का प्रभाव देखने के लिए कुंडली में शनि की उपस्थिति भी देखनी पड़ती है जैसे की यदि शनि खराब हो,  नीच का हो तब भी शुक्र का बुरा असर होता है। पत्नी या पति से अनावश्यक कलह होना शुक्र के खराब होने की निशानी है। शारीरिक रूप से गंदे बने रहना, गंदे-फटे कपडे पहनने से भी शुक्र मंदा हो जाता है। घर की साफ-सफाई को महत्व न देने से भी शुक्र खराब हो जाता है। शुक्र काम का प्रबल कारक है। उच्च शुक्र वाला जातक एक से ज्यादा स्त्री से संबंध रखता है
ज्योतिषी रजत सिंगल जी (Rajat Singal) अनुसार ये है कमजोर शुक्र होने के कारण :- 
1) लगातार चेहरे की चमक कम होती जाती है।
2) आंखों की रोशनी कम होती जाती है। 
3) व्यक्ति का आकर्षण कम हो जाता है। 
4) आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है।
5) पुरुषों के विवाह में अड़चने आती हैं।
6) कमर और पिंडलियों में अधिक दर्द होता है। 
7) जीवन में दरिद्रता का आगमन होता है। 
8) रात  सोने से पहले अधिक मिठाई खाने का मन होता है।
9) वैवाहिक सुख कम हो जाता है। 
10) शुक्र  स्थिति खराब होने पर लोगों का चरित्र भी प्रभावित होता है

शुक्र उच्च राशि का हो, केंद्र व त्रिकोण में हो, शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो जातक राजा वाला जीवन व्यतीत करता है। वह भोग विलास, वाहन सुख, स्त्री सुख व संसार के सभी प्रकार के सुखों का भोग करता है वहीं इसके विपरीत अशुभ शुक्र वाला जातक प्रेम से वंचित, स्त्री सुख से वंचित मान-सम्मान से वंचित, वाहन सुख से वंचित व सभी तरह के भौतिक सुखों से वंचित होता है और यह तब होता है जब जातक का शुक्र पीडित हो, वक्री हो, अस्त हो, पाप कर्तरी योग में हो, नीच राशि का हो व षष्ठम् अष्टम व द्वादश भाव में पाप ग्रहों से पीड़ित हो दृष्ट हो।

दोष निवारण के लिए करे ज्योतिषी रजत जी के कुछ सरल उपाय*

1) शुक्र दोष से मुक्ति के लिए शुक्र ग्रह के मंत्र “ॐ शुं शुक्राय नमः” का रोजना कम से कम 108 बार जाप करें।
2) शुक्र दोष से मुक्ति के लिए किसी जरुरत मंद या ब्राह्मण को दूध, दही, घी, कपूर, सफेद फूल  और सफेद मोती का दान करें।
3) हर क्रवार को व्रत रखते हुए सुबह मां लक्ष्मी की पूजा करें।  उसके बाद खीर बनाकर छोटी कन्याओं को बांटे।
4) सुगंधित इत्र का परयोग करें । मस्तक, कंठ व नाभि पर चन्दन का टीका लगाएँ ।
5) स्त्री सम्मान करें।
6) घर साफ-सुथरा रखें, व सुगंधित वातवरण रखें ।
7) शुक्रवार के दिन सफेद या गुलाबी रंग के कपड़े पहनें। 
8) जातक को हीरा, जरिकन, नीलम या नीली को धारण करना चाहिए।
9) पानी  इचायची डालकर स्नान करें। इससे भी शुक्र मजबूत होता है।
10) यदि आपकी कुण्डली में राहु केतु या अन्य पाप ग्रहों से पीड़ित होने के कारण शुक्र कमजोर स्थिति में है, तो आपको देवी दुर्गा की पूजा करने की सलाह दी जाती है। इसलिए अपने लाभ के लिए नियमित रूप से दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
कुंडली में मजबूत शुक्र का प्रभाव

शुक्र ग्रह आकर्षण, ऐश्वर्य, सौभाग्य, धन, प्रेम और वैभव के कारक हैं, जिन जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह का प्रभाव सकारात्मक रहता है यानी शुक्र ग्रह बली होते हैं वे बहुत ही सुंदर और आकर्षक होते हैं। शुक्र ग्रह के कुंडली में मजबूत होने पर व्यक्ति का आत्मविश्वास ऊंचा होता है और वह सभी लोगों में काफी लोकप्रिय होता है । ऐसे जातक समाज में काफी ख्याति और मान-सम्मान प्राप्त करते हैं। जब भौतिक सुखों में वृद्धि होने लगे तो यह शुक्र के शुभ संकेत हैं ।
शुभ शुक्र वाले जातक को कपड़े, साज सज्जा, इंटीरियर, लग्जरी आइटम, सुगंधित पदार्थ, रेशम वस्त्र उद्योग, कलाकार, फिल्मकार, चित्रकार, फोटोग्राफर, रेडिमड़े गारमेंट्स, लेडिज गारमेंट्स, पेय पदार्थ, आभूषण, श्रृंगार का सामान विक्रेता, इत्यादि का कार्य करना चाहिए।

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