Barabanki Story- बाराबंकी में स्वाद और रंगत का मेला, जहां हर आम का दिखा खास अंदाज, जिसने भी देखा...बस देखता रह गया

Barabanki aam ka
वो  मक्खन' है कि मुंह में रखिए तो घुल जाएगा, वो 'मल्लिका' और 'केसर' है कि स्वाद के आनंद के साथ जी भी महक जाएगा। वो 'नीलम' और 'हुस्नआरा' भी है कि जो देखे तो बस देखते ही रह जाएगा। पान की तरह मशहूर 'बनारसी लंगड़ा' भी है। 'चौसा' अपने वजन से सब पर भारी है। पीले और लाल रंग की मिली जुली रंगत लिए 'गुलाबखास' की देखने वालों ने नजर उतारी है। 'याकूति' तो मानो सबको ललचा रही हो। दरअसल यह मन को मोह लेने वाला नजारा दिखा बाराबंकी में आमों के स्वाद और रंगत की प्रदर्शनी में। जहां आमों की अलग-अलग वैरायटी को जिसने देखा तो मानो देखता ही रह गया।

बाराबंकी  बाराबंकी के मुगल दरबार में लगी इस आम प्रदर्शनी के अंदर जिले में उत्पादित आम की लगभग 50 प्रजातियों काे प्रदर्शित किया गया। आम प्रदर्शनी में मुख्य रूप से याकूती, आम्रपाली दशहरी, गुलाबखास, आम्रपाली, दशहरी, बनारसी लंगड़ा, चौसा, फजली, बंबई ग्रीन, बंबई, अलफांजो, बैंगन पल्ली, हिम सागर, केशर, किशन भोग, मलगोवा, नीलम, सुर्वन रेखा, वनराज, जरदालू, दशहरी, मल्लिका, आम्रपाली, रत्ना, अर्का अरुण, अर्मा पुनीत, अर्का अनमोल, गौरजीत, बांबेग्रीन, सफेदा, सुरखा और कपूरी सभी के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र रहे। प्रदर्शनी में बागवानों द्वारा आम की इन सभी प्रजातियों के स्टाल लगाए गए। जहां लोगों ने जाकर उनके बारे में जानकारियां लीं।

प्रदर्शनी में आये हुए लोगों ने बताया कि बाराबंकी में आमों की किस्में ज्यादा हैं। हम लोग मलिहाबाद के आमों को भी टक्कर दे रहे हैं। अगर असली आम देखना हो तो वो बाराबंकी में ही मिलेगा। आम की जो वैराइटी यहां मिलेंगी वो कहीं और नहीं मिलेंगी। उन्होंने बताया कि अभी तक यहां का आमों की लखनऊ, गोरखपुर, अयोध्या और बहराइच के साथ नेपाल की मंडियों तक ही डिमांड थी। लेकिन अब यह आम खाड़ी देशों के साथ विदेशों तक जा रहा है। जिससे बागबानों और व्यापारियों को काफी अच्छा मुनाफा भी हो रहा है

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