पूर्व सांसद इलियास आजमी की स्मृति में शोक सभा का आयोजन 

Iliyas azmi
 

पूर्व सांसद इलियास आज़मी की याद में यहां बीएन डिग्री कॉलेज में शोक सभा का आयोजन किया गया। रेड क्रिसेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन उनके पुत्र अरशद सिद्दीकी के अलावा पूर्व सांसद उषा वर्मा, पूर्व विधायक आसिफ खां बब्बू पूर्व विधायक राजेश्वरी वर्मा भी मौजूद रही। श्री आज़मी शाहबाद लोकसभा क्षेत्र से दो बार सांसद रहे थे।

राजनीति में साफ-सुथरी छवि के लिए चर्चित रहे स्व.इलियास आज़मी आजमगढ़ जिले के मूल निवासी थे। उनके देहांत के बाद आजमगढ़, दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, मोहम्मदी समेत कई जगह शोक सभाएं आयोजित की गई थी उसी क्रम में मंगलवार को मंत्री नितिन अग्रवाल ने शाहाबाद आकर उन्हें शोक श्रद्धांजलि अर्पित की तो वही बुधवार 21 जून को उनकी असल कर्म स्थली शाहाबाद स्थित बीएनडी कॉलेज में उनके पुत्र अरशद सिद्दीकी और पूर्व विधायक आसिफ खा के नेतृत्व में शोक सभा का आयोजन किया गया तो सभी गम के माहौल में डूबे नजर आए। उनके पुत्र अरशद सिद्दीकी ने सैकड़ों इलाकाई लोगों के बीच नम आंखों से अपने पिता को याद करते हुए कहा मौत बरहक़ है उनके पिता का चला जाना सिर्फ उनके परिवार के लिए ही नहीं बल्कि हज़ारो चाहने वालो के लिए अपूर्णनीय क्षति के रूप में महसूस किया जा रहा है उस कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता। पूर्व विधायक आसिफ खाँ बब्बू ने कहा पूर्व सांसद श्री आज़मी ने दलितों पिछड़ों के लिए सदा संघर्ष करते हुए उन्हें हक दिलाया शिक्षा जगत में उनके द्वारा दिए गए योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वो हमारे बीच तो नही रहे लेकिन उनकी स्मृतिया सदैव हमारे बीच ज़िंदा रहेगी। उन्होंने शिक्षा के लिए डिग्री कालेज दिया, कई खास ट्रेनों का ठहराव और कई पुलों के निर्माण में अपनी महती भूमिका निभाई। चिकित्सा के क्षेत्र में भी वो गरीबो की मदद करते रहे। इलाकाई लोगो के दिलो में उनकी बहुत बड़ी अहमियत रही वे एक नायाब व्यक्तित्व के धनी थे। पूर्व सांसद ऊषा वर्मा और पूर्व विधायक राजेश्वरी देवी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा स्व.आजमी जी ने सदैव क्षेत्र के विकास के लिए कार्य किया लोगो के दिलो में उनके लिए अपार प्यार और सम्मान था वो हम सबकी यादों में सदा जीवित रहेंगे। वरिष्ठ समाजसेवी यदुनन्दन लाल वर्मा की चंद पंक्तियों ने लोगों को भावविभोर कर दिया, सपा के पूर्व जिला अध्यक्ष शराफत अली, शाहजहांपुर से आए सैयद रिजवान, वरिष्ठ पत्रकार आलोक सिंह, आमिर किरमानी, रामसिंह राठौर, आसिफ खा महमंद, सुनील वर्मा, मनोज कठेरिया, निसार खाँ, तौहीद खा, रचित गुप्ता, मसरूर खा, प्रिंसिपल राजेन्द्र नायर, अतुल गुप्ता, शिल्पी मैम, आदिल सर, समेत पिहानी, गोपामऊ, हरदोई, लखीमपुर, शाहजहांपुर के सैकड़ो सम्मानित जन मौजूद रहे।

पूर्व सांसद इलियास आज़मी ने अपने सांसद होने के दौरान जहां एक ओर इस इलाके के बाशिंदों की खास ज़रूरतों को महसूस करते हुए विकास की अद्भुत बयार चलाई थी तो वही शिक्षा के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी को भी अंजाम दिया। मुल्क की आज़ादी के बाद और उनकी सांसदी से पहले तक यहां उच्च शिच्छा का कोई प्रबंध नही था। इंटर के बाद अभिभावकों को आगे की पढ़ाई के लिए अपने बच्चो को लखनऊ बरेली जैसे बड़े शहरों में रखना पड़ता था और मध्यमवर्गीय बच्चों को डिग्री हासिल करने के लिए हरदोई या शाहजहांपुर तक सफर तय करना होता था। श्री आज़मी ने ऐसे परिवारों तक बहुत बड़ी राहत पहुंचाने का काम किया। 1996 में जीत हासिल करते ही उन्होंने अवध मुस्लिम एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के ज़रिए अपनी मरहूम पत्नी बदरुन्निसा की यादों को बरकरार रखते हुए उनके नाम से बीएन डिग्री कॉलेज की स्थापना की। इस ऐतिहासिक कॉलेज की नींव रखने के लिए 15 फरवरी 1997 को उन्होंने हिन्दुस्तान की तमाम नामचीन हस्तियों को आमंत्रित किया था जिसे यहां के लोग कभी भुला नहीं सकेंगे। कॉलेज का शिलान्यास महामहिम राज्यपाल रोमेश भंडारी के हाथों संपन्न हुआ तो उन्ही के बीच मुख्य अतिथि की हैसियत से एक ऐसी मकबूल हस्ती जिसने भारत के अलावा दूसरे तमाम मुल्क वासियों के बीच अपनी कलाकारी का झंडा गाड़ रक्खा था वो नामवर फिल्म एक्टर यूसुफ़ खान उर्फ दिलीप कुमार भी शाहाबाद की सरजमी पर पहुंचे। स्व.इलियास आज़मी के पुत्र रेड क्रिसेंट सोसायटी आफ इंडिया के चेयरमैन अरशद सिद्दीकी के साथ दिलीप कुमार के अलावा हास्य कलाकार जानी वाकर समेत कई हस्तियां हेलीकॉप्टर के जरिए यहां बड़ी फील्ड जिसे आज की युवा पीढ़ी अंबेडकर पार्क के रूप में देख रही है में उतरे तो उनकी एक झलक पाने के लिए हजारों शहरी और ग्रामीण इलाकों के लोग शाहाबाद की सड़कों पर एक बड़े हुजूम के रूप में नजर आए थे। उम्र का लम्बा सफर तय करने वाले पूर्व सांसद इलियास आजमी के अचानक बीमार हो जाने पर उनके पुत्रो द्वारा इलाज के लिए उन्हें दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। देहांत के बाद बीती पांच जून को उन्हें उनके पैतृक गांव बरौली तहसील फूलपुर आजमगढ़ में पुत्र अरशद सिद्दीक़ी, डॉ.अलीम सिद्दीकी, शकील सिद्दीकी और अन्य परिवारी जनों के अलावा ग़मज़दा माहौल में हज़ारो के बीच सुपुर्दे खाक किया गया था।

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