स्थानांतरण नीति में हुए बदलाव के खिलाफ प्रदेश भर के कर्मचारी 27 से करेंगे आंदोलन

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*कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा उ.प्र. ने की घोषणा*


ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। प्रदेश भर के कर्मचारियो ने  कार्मिक विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण नीति के पैरा 12 को कर्मचारी संगठनो का अस्तित्व समाप्त करने की साजिश बताते हुए इसको तत्काल संशोधित करने की मांग करते हुए कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने 27 जून से आंदोलन की घोषणा कर दी है, जिसमे हड़ताल भी शामिल हो सकती है । आंदोलन की नोटिस मुख्य सचिव को भेज दी गई है । 
ज्ञातव्य है कि अभी तक मान्यता प्राप्त संघों के प्रांतीय मंडल जिला अध्यक्ष सचिव को सामान्य स्थानांतरण से मुक्त रखा जाता रहा है, लेकिन इस वर्ष जारी स्थानांतरण नीति में इसमें संशोधन कर दिया गया है । जिससे प्रदेश भर के कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त हो गया है । प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए  कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा की बैठक वन विभाग मुख्यालय में मोर्चे के अध्यक्ष वी पी मिश्र की अध्यक्षता में संपन्न हुई जिसमें मोर्चे से जुड़े सभी घटक संघ परिसंघ सम्मिलित हुए । बैठक में एक स्वर से स्थानांतरण नीति 2023 के उपरोक्त पैरा का विरोध किए जाने का निर्णय लिया गया । मोर्चे की बैठक में उपस्थित संगठनों के प्रतिनिधियों ने एक स्वर से मांग की है कि तत्काल स्थानांतरण नीति 2023 के उपरोक्त पैरा 12 को संशोधित करते हुए पूर्व की भांति व्यवस्था स्थापित की जाए ।
मोर्चे के महासचिव शशि कुमार मिश्र ने बताया कि पूर्व की नीतियों में में यह निहित होता था कि 
"सरकारी सेवकों के मान्यता प्राप्त सेवा संघ के अध्यक्ष/सचिव, जिनमें जिला शाखाओं के अध्यक्ष एवं सचिव भी सम्मिलित हैं, के स्थानांतरण, उनके द्वारा संगठन में पदधारित करने की तिथि से 2 वर्ष तक न किए जाएं। यदि स्थानांतरण किया जाना अपरिहार्य हो तो स्थानांतरण हेतु प्राधिकृत अधिकारियों से एक स्तर उच्च अधिकारी का पूर्वानुमोदन प्राप्त किया जाए। जिला शाखाओं के पदाधिकारियों के स्थानांतरण प्रकरणों पर जिलाधिकारी की पूर्व अनुमति प्राप्त की जाए" ।
अत्यंत खेद का विषय है कि यदि पदाधिकारी 2 वर्ष से अधिक तक अध्यक्ष /सचिव के पद पर  निर्वाचित होता रहता है तो उन्हें यह सुविधा उनके किसी जनपद के कार्यकाल की अवधि के आधार पर इस नीति के अनुसार स्थानांतरण परिधि में आने वाले सत्र से अधिकतम 2 वर्ष तक मिल सकेगी।  जिन पदाधिकारियों के स्थानांतरण समयावधि के पूर्व किए जाने हो, उनके संबंध में माननीय विभागीय मंत्री से भी विचार-विमर्श करके कार्यवाही की जाए।"
नेताओं ने कहा कि पूर्व की परंपराओं में फेरबदल करना कर्मचारी संघों के अस्तित्व पर हमला एवं कर्मचारियों के लिए लोकतंत्र पर प्रहार है।
कर्मचारी संगठनो के प्रतिनिधि सरकार, शासन व कर्मचारियो के मध्य सेतु का कार्य करते हैं। ऐसी दशा में संघों को कमजोर करने की साजिश, कदापि उचित नहीं है। 
बैठक में  सुरेश रावत, अतुल मिश्रा, सतीश  पांडे, एस पी तिवारी, राम राज दुबे, गिरीश मिश्र, भारत सिंह यादव, संजय कुमार शुक्ल, घनश्याम यादव, जे पी पांडे, सुनील यादव, राम लाल यादव, अशोक कुमार, प्रवीण यादव, संदीप बडोला, उमेश मिश्रा, जी एम सिंह, राजीव तिवारी, डॉ पी के सिंह , के के सचान
आदि ने अपने विचार रखे और प्रस्तावित आंदोलन का समर्थन व्यक्त किया ।

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