देश का प्रत्येक व्यक्ति,भारत की माटी के प्रति अपनी श्रद्धा, अपनी सदभावना को अर्पित करे: अम्बरीष सक्सेना

मेरी माटी-मेरा देश, माटी को नमन,वीरों का वंदन एक महायज्ञ है: अम्बरीष
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
हरदोई।नगर पालिका परिषद, शाहाबाद के प्रांगण में आयोजित मेरी माटी मेरा देश कार्यक्रम में शिरकत करने के दौरान नगर पालिका परिषद की स्वच्छता समिति के वरिष्ठ सदस्य अम्बरीष कुमार सक्सेना ने कहा कि देश के अमृतकाल में माटी का वंदन अभियान एक सार्थक और बेहद आवश्यक मुहिम है। कहा कि भारत के इतिहास पर अगर नजर डालें तो इस धरती माता की रक्षा के लिए हर काल में लाखों-लाखों लोगों ने अपना बलिदान दिया है, तब जाकर भारत माता आज एक हजार साल की गुलामी के बाद भी अपनी भारतीय संस्कृति को समेटे हुए जीवित हैं। भारत वो देश है, जहां बलिदानियों की पूजा हुई है, जहां इस धरती माता के लिए मर मिटने वालों के सदा-सदा मेले लगते हैं और इस धरती का सम्मान न करने वालों को भारत का समाज कभी श्रद्धा की दृष्टि से नहीं देखता।महाराणा प्रताप आज इसलिए पूजनीय है क्योंकि उन्होनें गुलामी को स्वीकार नहीं किया और भारत माता की रक्षा के लिए सर्वस्व न्योछावर किया। गुरू गोविन्द सिंह जी इसलिए पूजनीय हैं क्योकि उन्होनें धर्म की रक्षा के लिए विश्व का सबसे बड़ा बलिदान पिता का बलिदान, स्वयं का बलिदान, चारों पुत्रों का बलिदान कर दिया। सरदार भगत सिंह, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद, बटुकेश्वर दत्त, अशफाक उल्ला खां, स्वतंत्र वीर सावरकर, नेता जी सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपतराय, रानी लक्ष्मीबाई, तांत्या टोपे, कृष्णदेव राय, छत्रसाल, रानी गाइडिल्यू, बिरसा मुंडा जैसे हजारों बलिदानियों के नाम लिए जा सकते हैं जिन्होनें इस माटी की सौगंध खाकर अपना सर्वस्व न्योछावर करते हुए देश की रक्षा की।
उन्होंने कहा कि अमृतकाल की बेला में जब देश ने यह संकल्प लिया कि हमें भारत माता का खोया हुआ गौरव पुर्नस्थापित करना है और भारत को विश्व की महाशक्ति के रूप में खड़ा करना है, ऐसे समय पर माटी का वंदन समय की आवश्यकता है। देश का प्रत्येक व्यक्ति भारत माता के प्रति, भारत की माटी के प्रति अपनी श्रद्धा, अपनी भावना को अर्पित करे। वो एक चुटकी माटी करोड़ों-करोड़ों परिवारों से एकत्र होती हुई दिल्ली पहुंचे और वहां पर भावनाओं से ओत-प्रोत उस माटी से ‘‘अमृतवन’’ का निर्माण हो और एक देशभक्ति का ज्वारभाटा पूरे देश में फैले।
बताया कि विकसित भारत का संकल्प। गुलामी की मानसिकता से मुक्ति। हमारी विरासत पर गर्व। एकता और एकजुटता। नागरिकों का कर्तव्य।ये पांच प्राण मेरे देश को नई दिशा देंगे। विगत 75 सालों में मेरा देश बहुत आगे बढ़ा है परन्तु यह नाकाफी है। हमें देश के प्रत्येक नागरिक को आगे बढ़ाना है। एक हजार साल की गुलामी की मानसिकता को छोड़ते हुए हमारी सांस्कृतिक धरोहर पर विश्वास पैदा करना है। हम सबको एक सूत्र में बंधकर कर्तव्य परायणता के साथ राष्ट्र निर्माण में जुट जाना है। यदि हम चिंतन करें तो यह पहला अवसर नहीं है जब देश के कोने-कोने से श्रद्धा के रूप में कोई वस्तु लेकर देश की एकता, एकात्मता की दृष्टि से महायज्ञ सम्पन्न न हुए हों। पूर्व के समय में देश में होने वाले महाकुंभ इसी का संकेतक रहे हैं। हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक लाखों लोग महाकुंभ में श्रद्धापूर्वक उज्जैन/कुरूक्षेत्र/हरिद्वार/काशी में एकत्र हुआ करते थे और वहीं से विसर्जित होकर देश के कोने-कोने में राष्ट्रवाद भारतीय संस्कृति का संदेश पहुंचाया करते थे। आज मेरी माटी-मेरा देश, माटी का वंदन रूपी एक महायज्ञ है।देश का प्रत्येक नागरिक इस महायज्ञ का हिस्सा बने, ऐसी देश की अपेक्षा है। इस अभियान के दौरान सभी गांवों में आजादी के सेनानायकों, सीमाओं पर देश की रक्षा करने वाले देशभक्त बलिदानियों के शिलापटल लगाए गए हैं। इस प्रकार स्वतंत्रता सेनानियों, सेना के वीर जवानों की शहादत को प्रणाम करते हुए देशभक्ति का भाव जन-जन में जागृत करने का महायज्ञ देशभर में चल रहा है।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री के जनसंपर्क कार्यालय प्रभारी सुभाष रस्तोगी, राजस्व निरीक्षक अनस खां, सफाई एवं खाद्य निरीक्षक दीपक कुमार,
वरिष्ठ पालिका सभासद लक्ष्मीकांत त्रिपाठी, रिजवान अली खां, फूलमियां, मुईद, ऋषिपाल, अतुल मिश्रा,अहिवरन,इमरान, आदित्य कुमार, शोएब खां, इच्छाराम, माशूक अली, अजीत कुमार,सभासद प्रतिनिधि रमाकांत मौर्य,रचित गुप्ता, राकेश गुप्ता मंगू आदि मौजूद रहे।