ज्ञानी सुखदेव सिंह ने एसजीपीसी द्वारा निर्मल सिंह को यूपी - उत्तराखंड  धार्मिक प्रचार - प्रसार कमेटी का सलाहकार नियुक्त करने पर जताई आपत्ति

 

*निर्मल सिंह द्वारा धार्मिक मर्यादाओं के विपरीत किए जा रहे कृत्यों को लेकर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को लिखा पत्र*

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। दमदमी टकसाल के विद्यार्थी रहे ज्ञानी सुखदेव सिंह ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार  सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह को पत्र लिखकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर द्वारा केंद्रीय सिंह सभा गुरुद्वारा आलमबाग के अध्यक्ष स. निर्मल सिंह को यूपी एवम उत्तराखंड धार्मिक प्रचार - प्रसार कमेटी का सलाहकार  नियुक्त  जाने पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा ऐसे व्यक्ति को कोम की जिम्मेदारी  दी गई है जिनके द्वारा धार्मिक व गुरु मर्यादाओं की खुलेआम धज्जियां उड़ाई  जाती हैं।उन्होंने कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर द्वारा सब कुछ जानते हुए भी तोहफे के तौर पर निर्मल सिंह को दी गई इस जिम्मेदारी को बर्दाश्त नही किया जाएगा क्योंकि यह  धार्मिक मर्यादाओं की रक्षा के लिए शहादत देने  वाले शहीदों के लिए अपमान की बात होगी। इससे पूर्व भी स. निर्मल सिंह द्वारा की गई धार्मिक मर्यादाओं के उल्लंघन की सूचना शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर  को दी गई थी लेकिन उनके द्वारा कार्यवाही किए जाने के बजाय स. निर्मल सिंह को इस जिम्मेदारी से  नवाजा गया जो कि  धार्मिक मर्यादाओं का अपमान है।
     ज्ञानी सुखदेव सिंह ने सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह  को लिखे पत्र में कहा कि कुछ दिन पूर्व सोशल मीडिया पर  निर्मल सिंह, लखनऊ की कुछ तस्वीर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर के अध्यक्ष श्री धामी जी के साथ देखने को मिली   जिसमें श्री धामी जी निर्मल सिंह को यूपी और  उत्तराखंड धार्मिक प्रचार प्रसार कमेटी का सलाहकार नियुक्त किए जाने संबंधी नियुक्ति पत्र दे रहे हैं। सुखदेव सिंह का कहना है कि अध्यक्ष जी ऐसे व्यक्ति को सम्मान दे रहे हैं जो गुरु की विपरीत मर्यादाओं पर चलता हो, दाढ़ी रंगता हो एवम सुकराने की अरदास लखनऊ के क्लब में करता है जिसमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब की हजूरी  नही है जबकि सुकराने की अरदास मर्यादा के अनुसार गुरु महाराज की हजूरी में होनी चाहिए।
    निर्मल सिंह द्वारा धार्मिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया जाना यही तक ही सीमित नहीं है।उनके द्वारा संगत से चंदा लेकर  गुरुद्वारा परिसर में बनाए गए वृद्धा आश्रम का व्यवसायीकरण करते हुए उसे बारात घर बना दिया गया जिसमें  आय दिन आयोजित होने वाली पार्टियों में मीट, मुर्गा एवं शराब चलती रहती है। पार्टियों में मीट एवम मुर्गे को परोसे जाने के विडियो भी सोशल मीडिया पर छाए रहते हैं। शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर द्वारा धार्मिक मर्यादाओं के विपरीत चलने वाले व्यक्ति को   धार्मिक प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी सौंपा जाना प्रश्न खड़े करता है। क्योंकि निर्मल सिंह द्वारा कुछ माह पूर्व श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 220 पवन स्वरूपों को ऑस्ट्रेलिया भेजे जाने के नाम पर  श्री अमृतसर साहिब से मंगवाया गया लेकिन उन्हें  आस्ट्रेलिया न भेजकर  गुरुद्वारा अलमबाग में लाइब्रेरी की तरह रैक बनाकर उनमें सुशोभित कर दिया गया। इस संदर्भ में भी एक पत्र आपको प्रेषित किया गया था। उस पत्र पर कार्यवाही करना तो दूर, आपके द्वारा तोहफे के तौर पर निर्मल सिंह को धार्मिक प्रचार - प्रसार कमेटी का सलाहकार नियुक्त कर दिया गया।
 ज्ञानी सुखदेव सिंह का कहना है कि वह शहीद परिवार से है एवं गुरु मर्यादाओं के विपरीत चलने वाले को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने का  वह कड़ा विरोध करते हैं। ज्ञानी जी का कहना है कि दुख की बात तो यह है कि सिख कोम की अगुवाई  ऐसा व्यक्ति कर रहा है जो गुरु मर्यादाओं के विपरीत चलता है।    धार्मिक मर्यादाओं के विपरीत चलने वाले को दी गई इस जिम्मेदारी को बर्दाश्त नही किया जाएगा। उनका यहां तक कहना है कि यदि उनके  द्वारा  लगाए गए आरोपों को गलत साबित कर दिया गया तो वह हर सजा भुगतने को तैयार हैं, अन्यथा की स्थिति में वह गुरु मर्यादाओं के विपरीत किए जा रहे कृत्यों एवं वृद्धा आश्रम में वृद्धों को आश्रय नही दिए जाने को लेकर डटकर विरोध करना जारी रखेंगे। उनका कहना है कि इस संदर्भ में उन्होंने सिख धर्म के पांचों तख्तों के जत्थेदारों को भी सूचना दे दी है।

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