नानकशाही 556वाँ नव वर्ष एवं चेत माह संक्रांति पर्व श्रद्धा एवं हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया
![Nanakshahi 556th New Year and Chet month Sankranti festival was celebrated with devotion and enthusiasm.](https://aapkikhabar.com/static/c1e/client/86288/uploaded/de03d8b235af5df9617666cb42178bdb.jpeg?width=730&height=480&resizemode=4)
इस अवसर पर फूलों से सुसज्जित संगमरमर की भव्य पालकी साहिब एवं दरबार हाल को बिजली की झालरों से बड़ी खूबसूरती से सजाया गया जिसमें पंथ प्रसिद्ध रागी जत्थे भाई कमलजीत सिंह जी हजूरी रागी श्री दरबार साहिब श्री अमृतसर साहिब जी ने अपनी मधुरवाणी में
1. हउ रहि न सका बिन देखे प्रीतम मै नीर वहे वहि चले जीऊ।।
2. धुर की बाणी आई तिनि सगली चिंत मिटाई ।।
शबद कीर्तन गायन कर संगत को मंत्रमुग्ध कर दिया तत्पश्चात भाई सुखजीत सिंह जी हजूरी रागी श्री दरबार साहिब श्री अमृतसर साहिब जी ने
1. मेरा मात पिता हरि राइआ।करि किरपा प्रतिधारण लागा करीं तेरा कराइआ।।
2. सुणौ नाह पिआरिआ इक बेनंती मेरी।। तू निज घरि वसिअड़ा हउ रूलि भसमै ढेरी।।
शबद कीर्तन गायन कर आई साध संगतों को निहाल किया।
मुख्य ग्रंथी ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने चैत माह संक्रांति पर्व पर गुरमत विचारों द्वारा कथा व्याख्यान किया। संगत द्वारा श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी पर फूलों की वर्षा की गई। सभी ने एक दूसरे को नानकशाही नव वर्ष की बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया। समाप्ति के उपरान्त श्री गुरु सिंह सभा ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरु नानक देव जी नाका हिण्डोला के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह जी ने विशेष रुप से पधारे रागी जत्थों को गुरु घर का सम्मान सिरोपा भेंट कर सम्मानित किया और आई संगत को नानकशाही 556वें नव वर्ष की बधाई दी।कार्यक्रम हरमिन्दर सिंह टीटू , मनमीत सिंह बंटी,आज्ञापाल सिंह आदि की देखरेख में सम्पन्न हुआ। उसके उपरान्त पाव-भाजी,जलेबी,दूध,काफी एवं गुरु का लंगर दशमेश सेवा सोसायटी के सदस्यों द्वारा की वितरित किया गया।