लखनऊ में प्रतिभा का संगम students ने दिखाए inivative Projects

राज्य स्तरीय  इनोवेशन  शो केस का सफल आयोजन 

 
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160 छात्रों और 30 शिक्षकों की भागीदारी, 77 नवोन्मेषी प्रोजेक्ट प्रदर्शित

लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)। पाई जैम फाउंडेशन ने माइक्रोसॉफ्ट इंडिया और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा विभाग के सहयोग से 16 मई को लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में राज्य स्तरीय स्टूडेंट इनोवेशन शोकेस का सफलतापूर्वक आयोजन किया। यह कार्यक्रम, छात्रों और शिक्षकों के मध्य एक स्थायी नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के उद्देश्य से शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल का समापन था।

इस भव्य शोकेस में उत्तर प्रदेश के 10 विभिन्न जिलों से आए 160 प्रतिभाशाली छात्रों और 30 समर्पित शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। छात्रों ने स्वयं के नेतृत्व में 77 उत्कृष्ट प्रोजेक्ट प्रदर्शित किए। इन परियोजनाओं में सामुदायिक स्वच्छता, ऊर्जा की सुलभता और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे महत्वपूर्ण स्थानीय मुद्दों को संबोधित किया गया, जो युवा छात्रों की समस्या-समाधान कौशल, कोडिंग दक्षता और डिज़ाइन थिंकिंग क्षमताओं का जीवंत प्रदर्शन था। विजुअल स्टोरीटेलिंग, प्रोटोटाइपिंग और इंटरैक्टिव डेमॉस्ट्रेशन के माध्यम से उपस्थित दर्शकों को भविष्य के समावेशी और नवोन्मेषी समाधानों की एक आकर्षक झलक मिली।

मुख्य अतिथियों और वक्ताओं ने किया मार्गदर्शन

इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मनोज कुमार वर्मा, सहायक निदेशक (शिक्षा) और राजेश शाही, सहायक निदेशक उपस्थित रहे। माइक्रोसॉफ्ट की ओर से गुंजन पटेल, डायरेक्टर स्किल्स फॉर सोशल इम्पैक्ट और हेड AI स्किल्स, फिलान्थ्रॉपीज, तथा राजलक्ष्मी राजगोपाल, हेड कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी, माइक्रोसॉफ्ट IDC ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने মূল্যবান विचार साझा किए, जिससे यह आयोजन नवाचार और नीतिगत संवाद का एक शक्तिशाली मंच बन गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, माइक्रोसॉफ्ट के गुंजन पटेल और पाई जैम फाउंडेशन की सह-संस्थापक प्रांजलि पाठक ने तकनीक को सुलभ, समावेशी और स्थानीय संदर्भों के अनुकूल बनाने के महत्व पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि छात्रों को मात्र तकनीक का उपयोगकर्ता न बनाकर समस्या समाधानकर्ता और निर्माता के रूप में विकसित करना एक न्यायसंगत डिजिटल भविष्य के निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि AI चौथी औद्योगिक क्रांति का प्रतीक है और आने वाले वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर का उद्योग बनने की क्षमता रखता है, इसलिए छात्रों को AI-समर्थित दुनिया में सफलता प्राप्त करने के लिए तैयार करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

मनोज जी ने छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया और शिक्षकों तथा छात्रों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने पाई जैम फाउंडेशन के प्रयासों की सराहना करते हुए इसके कार्यक्रम को अधिक से अधिक जिलों तक विस्तारित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पहल

यह उल्लेखनीय पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की दूरदर्शिता के अनुरूप है और शिक्षा विभाग, SCERT और अटल टिंकरिंग लैब्स (ATL) जैसी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पहलों के बीच प्रभावी समन्वय स्थापित करती है, जिससे डिजिटल शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकरण को बढ़ावा मिलता है। 350 से अधिक स्कूलों में ICT CAL इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करते हुए, इस कार्यक्रम ने विशेष रूप से वंचित समुदायों के छात्रों में 21वीं सदी के महत्वपूर्ण कौशल, जैसे कि कंप्यूटेशनल थिंकिंग, डिज़ाइन थिंकिंग और डिजिटल साक्षरता को सफलतापूर्वक बढ़ावा दिया है।

शिक्षकों को मिला विशेष प्रशिक्षण

30 अटल टिंकरिंग लैब्स और 350 ICT लैब्स के माध्यम से 400 से अधिक सरकारी स्कूल शिक्षकों को मिश्रित और अनुभवात्मक प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस व्यापक प्रशिक्षण में न केवल Raspberry Pi, Scratch और Python जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों से परिचित कराया गया, बल्कि समावेशी और रचनात्मक कंप्यूटिंग को प्रोत्साहित करने वाली प्रभावी शिक्षण पद्धतियों को भी शामिल किया गया। इन प्रशिक्षित शिक्षकों को सरकारी प्रमाणपत्रों से सम्मानित किया गया है और अब वे डिजिटल शिक्षण को व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाने वाले आदर्श शिक्षक बन गए हैं।

भविष्य के विस्तार के लिए प्रमाणित मॉडल

यह प्रभावशाली पहल अब तक उत्तर प्रदेश के 50,000 से अधिक छात्रों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल चुकी है। यह कार्यक्रम भविष्य में और अधिक विस्तार के लिए एक सिद्ध मॉडल के रूप में उभरा है, जिसमें शिक्षक सहायता को और अधिक गहन बनाने, स्थानीय पाठ्यक्रम को एकीकृत करने और छात्र-नेतृत्व वाले नवाचार नेटवर्क को विकसित करने की स्पष्ट योजना है। इस कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया है कि सीमित संसाधनों वाले क्षेत्रों के छात्र भी डिजाइनर, तकनीशियन और बदलाव लाने वाले व्यक्ति बन सकते हैं, यदि उन्हें उचित उपकरण, आत्मविश्वास और प्रशिक्षण प्रदान किया जाए।

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