साहित्य का मूल लक्ष्य है लोकमंगल: प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित

Kabir ke ram

 *- सर्वे भवन्तु सुखिनः ट्रस्ट और शोध केंद्र की ओर से मगहर से सूकरखेत वाया अगौना निकाली गई लोकमंगल यात्रा*

 *सूकरखेत में संगोष्ठी से सम्पन्न*

*- मगहर में काव्य गोष्ठी कबीर के राम विचार गोष्ठी व अगौना में साहित्य और लोकमंगल एवं सूकरखेत में तुलसी के राम विषयक गोष्ठियों में विद्वानों ने व्यक्त किए विचार*

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

गोण्डा। कबीर ने समाज की विसंगतियों पर प्रहार किया तो गोस्वामी तुलसीदास ने मानस की रचना कर समाज को लोकमंगल का संदेश दिया। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने आलोचना का मापदंड निर्धारित कर समन्वय का सिद्धांत स्थापित किया। साहित्य के गौरव तीनों महारथियों के सिद्धांत सुरक्षित व अक्षुण्ण रखने के लिए लिए गुणवत्ता पूर्ण अनुसंधान व शोध का क्रम अनवरत जारी रहना चाहिए।
लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय के शोध केंद्र व 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में आचार्य रामचंद्र शुक्ल की जयंती पर मगहर से सूकरखेत वाया अगौना तक  निकाली गई साहित्य की लोकमंगल यात्रा के समापन पर पसका में आयोजित संगोष्ठी में यह विचार लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने व्यक्त किए। तुलसी के राम विषयक संगोष्ठी में तुलसी जन्मभूमि विवाद पर बोलते हुए श्री दीक्षित ने कहा कि तुलसी जन्मभूमि का विवाद राजनैतिक दुराग्रह व क्षेत्रीय स्वार्थ का शिकार हो गया। आचार्य शुक्ल ने इस विवाद का जड़ सूकरखेत से जोड़ते हुए असली सूकरखेत गोण्डा माना है। उन्होंने कहा कि 1998 में उच्च न्यायालय के न्यायधीशों की उपस्थिति में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बांदा व एटा के दावे तथ्यहीन सिद्ध हो चुके हैं। साहित्य भूषण सूर्यपाल सिंह की अध्यक्षता व प्रो. जितेन्द्र सिंह के संचालन में आयोजित संगोष्ठी में यात्रा के संयोजक व शोध निदेशक प्रो. शैलेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि कबीर के निर्गुण राम को तुलसी के सगुण राम के विचारों को आचार्य रामचंद्र शुक्ल के समन्वय सिद्धांत से जोडकर साहित्य के नये तीर्थ की स्थापना का लक्ष्य लेकर यह यात्रा तीन दर्जन प्राध्यापकों व साहित्य प्रेमियों के साथ यह यात्रा निकाली गयी। निकट भविष्य में जन जागरण के लिए पद यात्रा भी निकाली जाएगी। संगोष्ठी को लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. पवन अग्रवाल ने कहा कि कबीर व तुलसी ने मानवता के लिए भाषा मुक्त साहित्य दिया है। प्राचार्य प्रो. रवीन्द्र कुमार ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि शोध केन्द्र का यह अनुसंधान भविष्य में भी अनवरत जारी रहेगा।
      इसके पूर्व बुधवार की प्रातः मगहर में डा. जय शंकर तिवारी के संयोजन में कबीर के राम विषयक संगोष्ठी में बोलते हुए चीन में प्राध्यापक रहे डा. गंगा प्रसाद शर्मा ने कहा कि कबीर ने जिस व्रह्म को  राम कहकर उपासना की है, वह दशरथ सुत न होकर घट- घट वासी व्रह्म है। यात्रा दल के अगौना  पहुंचने पर आचार्य रामचंद्र शुक्ल बालिका इंटर कालेज की छात्राओं ने रोली चंदन लगाकर स्वागत किया। आचार्य शुक्ल स्मारक सभागार में आयोजित 'साहित्य और लोकमंगल' विषयक संगोष्ठी के मुख्य अतिथि अयोध्या के महापौर डा. गिरीश पति त्रिपाठी ने यात्रा दल के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि निश्चय ही निर्गुण से सगुण की यह यात्रा समाज में समरसता का संदेश देगी। गोष्ठी के मुख्य वक्ता साहित्य भूषण डा. सूर्यपाल सिंह ने कहा कि हिन्दी साहित्य में आचार्य शुक्ल की मान्यताएं अकाट्य हैं। संगोष्ठी में लोकमंगल यात्रा के सहयात्री साहित्य भूषण द्वय शिवाकान्त मिश्र 'विद्रोही' एवं सतीश आर्य की कविताओं ने श्रोताओं को प्रफुल्लित कर दिया। 
       डॉ. बलजीत श्रीवास्तव, भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ, डॉ. अनिल विश्वकर्मा, जनेस्मा बाराबंकी, डॉ. रंजन शर्मा, भूगोल विभाग, डॉ. अरविंद शर्मा, साकेत कॉलेज, अयोध्या, डॉ. रेखा शर्मा, पसका प्रधान पिंकू सिंह, गौरव, पूर्व छात्र नेता, रूप नारायण सिंह, प्रवक्ता, संस्कृत इंटर कॉलेज, कर्नलगंज सहित अनेक सुधीजन यात्रा के समापन कार्यक्रम में शामिल हुए।
*यात्रा में हुए शामिल*
प्रो. सूर्यपाल सिंह, प्रो. गंगा प्रसाद शर्मा, सूरत, प्रो. बी. पी. सिंह, ऑक्टा महामंत्री प्रो. जितेंद्र सिंह, डॉ. नीरज पांडेय, बहराइच, ओम प्रकाश शुक्ल, प्रो. रामसमुझ सिंह, प्रो. अभय श्रीवास्तव, प्रो. जे. बी. पाल, डॉ. पुष्यमित्र मिश्र, डॉ. संतोष श्रीवास्तव, डॉ. विवेक प्रताप सिंह, डॉ. मनीष शर्मा, डॉ. ओम प्रकाश यादव, डॉ. पुनीत कुमार, डॉ. मनोज मिश्रा, डॉ. अरुण प्रताप सिंह, वाणिज्य विभाग, प्रो. जय शंकर तिवारी, आर. जे. शुक्ल, सतीश आर्य, शिवाकांत मिश्र विद्रोही, पुष्कर बाबू, जीतेश, रामवचन, शंकर दयाल, रामरूप सहित तीन दर्जन प्राध्यापक व साहित्य प्रेमियों का दल साहित्य की लोकमंगल यात्रा में शामिल हुआ। स्थान-स्थान पर यात्रा-दल का स्वागत हुआ।

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