मौन सिक्के, मुखर इतिहास विषयक 02 दिवसीय, ग्रीष्मकालीन कार्यशाला आयोजित

लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय).उ0प्र0 राज्य पुरातत्व निदेषालय, छत्तर मंजिल परिसर, कैसरबाग, लखनऊ के सभागार में मौन सिक्के, मुखर इतिहास विषयक 02 दिवसीय, ग्रीष्मकालीन कार्यषाला के अन्तर्गत दूसरे दिन मुख्य वक्ता डाॅ0 विनय कुमार सिंह, मुद्राशास्त्र अधिकारी, राज्य संग्रहालय लखनऊ के द्वारा प्राचीन भारतीय मुद्रा से लेकर वर्तमान में प्रचलित मुद्राओं के महत्व के विषय में विस्तार से चर्चा की।
व्याख्यान के अन्तर्गत मानव उत्पत्ति के कालखण्ड के पुरापाषाण काल, (मध्य पाषाणकाल, नव पाषाण काल) के सांस्कृतिक जीवन से लेकर खाद्य संग्राहक से लेकर खाद्य संग्रह तक के जीवन शैली में विनिमय व्यवस्था के सन्दर्भ में विस्तार से चर्चा की उन्होने वैदिक साहित्यों का वर्णन करते हुये बताया कि कैसे हमारे प्राचीन संस्कृतियों में वस्तु एवं खाद्य पदार्थों के बदले वस्तुओं का लेनदेन होता था।
प्रथम दिन के व्याख्यान मुद्रा की उत्पत्ति से लेकर उत्तर गुप्त काल तक के मुद्राओं पर हुये विस्तार से चर्चा के अगले क्रम में पूर्व मध्यकाल एवं आजादी के उपरान्त प्रचलित मुद्राओं के विषय के सन्दर्भ में विस्तार से पी0पी0टी0 के माध्यम से चर्चा की। इस कार्यशाला के अन्तर्गत डाॅ0 विनय कुमार सिंह ने मुद्राओं के निर्माण तकनीकी में प्रचलित ढलुआ सांचे में ढालकर मुद्रा निर्माण तकनीकी से प्रतिभागियों को अवगत कराया। व्याख्यान के उपरान्त ग्रीष्मकालीन 02 दिवसीय कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले समस्त प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि प्रो0 प्रशान्त श्रीवास्तव(पूर्व विभागाध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग, लखनऊ विष्वविधालय, लखनऊ), रेनू द्विवेदी, निदेशक उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग, लखनऊ, डाॅ0 विनय कुमार सिंह, मुद्राशास्त्र अधिकारी, राज्य संग्रहालय लखनऊ के द्वारा प्रमाणपत्र देकर प्रोत्साहित किया गया।
अंत में विभाग की निदेशक रेनू द्विवेदी जी कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिभागियों, सभी आमंत्रित अतिथियो एवं मीडिया बंधुओं का आभार प्रकट करते हुए धन्यबाद किया। इस अवसर पर प्रतिभागियों सहित पुरातत्व निदेशालय से डाॅ0 मनोज कुमार यादव, बलिहारी सेठ, अभयराज सिंह, अकील खान, आशीष कुमार, अभिषेक कुमार, शुभम, हिमांशु सिंह, विभा सिंह, चन्द्रकला, अन्जू, आदि उपस्थित रहें।