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ऐतिहासिक संरचनाओं का संरक्षण एवं परिरक्षण विषय पर 10 दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ

कार्यक्रम का शुभारंभ राकेश कुमार श्रीवास्तव पूर्व वरिष्ठ अधिकारी, पुरातत्व विभाग द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम का संक्षित परिचय विभाग के सहायक पुरातत्व अधिकारी डॉ0 राजीव कुमार त्रिवेदी ने प्रस्तुत किया। कार्यशाला सत्र के प्रारंभ में इंटैक कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट के निदेशक धमेंद्र मिश्रा ने इंटैक इंस्टीट्यूट की स्थापना के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए
LRTC ( लाइम रिसर्च एंड टेस्टिंग सेंटर) के बारे में बताया जो ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण के उद्देश्य से स्थापित की गई है। LRTC में विद्यमान ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण हेतु अत्यंत आवश्यक उपयोगी उपकरणों जैसे- मफ़ल फर्नेस, स्टीरियो माइक्रोस्कोप, रिबाउंड हैमर, फ्लो टेबुल आदि के प्रयोग की जानकारी प्रदान की। सत्र में आगे आगांक्षी, कंजरवेटर आर्किटेक्ट ने अपने व्याख्यान तीन प्रकार के हेरिटेज : नेचुरल, बिल्ट एवं लिविंग हेरिटेज के बारे में बताया और इनका संरक्षण क्यों किया जाना चाहिए
पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हेरिटेज के संरक्षण से न केवल प्राचीन संस्कृति की सुरक्षा करते है अपितु पर्यटन, व्यवसाय के साथ - आने वाली पीढ़ियों को अपनी धरोहर से एजुकेट भी करते है। सुश्री आगाक्षी जी ने अपने व्याख्यान में आगे किसी भी ऐतिहासिक इमारत को संरक्षित करने के पूर्व किन किन प्रकियाओं का पालन करने पर भी चर्चा की। इसके अन्तर्गत यह बताया कि पहले ऑब्जेक्ट का चयन, उसका इतिहास उसका डाक्यूमेंटेशन, फोटोग्रामैट्री, मटेरियल एनालिसिस आदि प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक होता है।
यह कार्यशाला अगले 10 दिनों तक पूर्वाह्न 11 बजे से 01 बजे तक निरंतर चलता रहेगा।
इसमें डॉ0 बी0आर0 अंबेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के बी0टेक के छात्र, आर्किटेक्चर कॉलेज की छात्राएं तथा पॉलीटेक्निक कॉलेज, लखनऊ के छात्र-छात्राओं सहित कुल 32 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। कार्यशाला के समापन पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए जाएंगे। कार्यक्रम के अंत में विभागीय अधिकारी डॉ0 राजीव कुमार त्रिवेदी जी द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया। इस अवसर पर विभाग के कार्मिक राम विनय, ज्ञानेंद्र कुमार रस्तोगी, प्रदीप सिंह, डॉ0 कृष्ण मोहन दुबे, बलिहारी सेठ, ज्ञान प्रकाश अंबेडकर, अनिल सिंह सहित अन्य विभागीय कार्मिक उपस्थित रहे।