प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 वर्ष: विकसित भारत की ओर आत्मविश्वास से बढ़ते कदम

11 years of Prime Minister Narendra Modi: Confident steps towards developed India
 
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(डॉ. राघवेन्द्र शर्मा – विभूति फीचर्स)  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने 11 वर्षों की यात्रा पूर्ण की है। यह कालखंड केवल प्रशासनिक उपलब्धियों की गणना भर नहीं है, बल्कि भारत के आत्मबोध और वैश्विक प्रतिष्ठा की पुनर्प्राप्ति का दौर भी है। इन 11 वर्षों की समीक्षा आज मीडिया के हर माध्यम—प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल प्लेटफॉर्म—पर हो रही है, लेकिन एक महत्वपूर्ण पक्ष अक्सर चर्चा से छूट जाता है: वह यह कि श्री मोदी ने किस परिस्थिति में देश की कमान संभाली और किस आत्मनिष्ठा से वे आज भी "प्रधान सेवक" की भूमिका में कार्य कर रहे हैं।

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भारत की स्थिति ठीक उस बालक जैसी थी, जो वर्षों तक ग़लत परिवेश में पला-बढ़ा और जब वह एक योग्य शिक्षक के पास पहुंचा, तो उसे पहले उस नकारात्मक प्रभाव से मुक्त करना पड़ा, जिससे वह वर्षों से प्रभावित था। शिक्षक ने बालक की काबिलियत को पहचाना और उस पर मेहनत शुरू की—पहले उसके पुराने विचारों को मिटाया, फिर उसमें नए संस्कार डाले। यह प्रक्रिया अपेक्षाकृत लंबी अवश्य थी, लेकिन जैसे-जैसे पुराने दोष समाप्त होते गए, वैसे-वैसे वह बालक एक आदर्श नागरिक बनने की ओर अग्रसर होता गया।

यह उपमा ठीक भारत पर भी लागू होती है। आज़ादी के बाद करीब 70 वर्षों तक जिन सरकारों ने देश की बागडोर संभाली, उन्होंने भारत की अपार संभावनाओं और सांस्कृतिक गौरव को पहचानने में चूक की। उन्होंने कभी कल्पना ही नहीं की कि भारत विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो सकता है या फिर एक सैन्य महाशक्ति बन सकता है। नतीजतन, भारत आत्मगौरव और आत्मनिर्भरता दोनों से दूर होता गया।

जब 2014 में नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तब भारत की स्थिति उसी वीर हनुमान जैसी थी, जो अपनी ही शक्ति को भूल चुका था। आवश्यकता थी एक ऐसे जामवंत की, जो उसे उसकी क्षमताओं का बोध कराए। श्री मोदी ने वह भूमिका निभाई। उन्होंने पहले अतीत की विफल नीतियों की गंभीर समीक्षा की, फिर उन दोषपूर्ण व्यवस्थाओं को सुधारते हुए एक नई दिशा दी।

इन 11 वर्षों में देश ने चंद्रयान की सफलता देखी, आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन में छलांग लगाई, डिजिटल इंडिया की अवधारणा को साकार किया और स्टार्टअप इकोसिस्टम को वैश्विक पहचान दिलाई। आज भारत अपने सीमाओं की रक्षा केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक रणनीति के साथ कर रहा है। अब हम आयात पर निर्भर नहीं, बल्कि रक्षा सामग्री, सॉफ्टवेयर और तकनीक का निर्यातक बन चुके हैं।

मोदी सरकार ने युवाओं को कौशल, महिलाओं को सशक्तिकरण और ग्रामीण भारत को विकास का केंद्र बनाया। "वोकल फॉर लोकल", "मेक इन इंडिया", "स्टार्टअप इंडिया", "डिजिटल इंडिया", "स्वच्छ भारत" जैसे अभियानों ने राष्ट्रीय चरित्र को पुनर्परिभाषित किया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने भारतवासियों को यह विश्वास दिलाया कि "तुम्हीं में वह शक्ति है, जो देश को विकसित राष्ट्र बना सकती है। उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।" आज भारत केवल विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति नहीं, बल्कि चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन चुका है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की बात सुनी जाती है, और शत्रु देश अपनी हरकतों से पहले सौ बार सोचते हैं।

मोदी सरकार का विजन 2047 — एक विकसित भारत का सपना — अब केवल नीति पत्रों में नहीं, बल्कि जनता की आकांक्षाओं में भी बस चुका है। यदि हम इसी गति से आगे बढ़ते रहे, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीन सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्तियों में शामिल होगा।

प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में कहें तो, "Yes, I can do it." यही आत्मविश्वास देश के हर नागरिक में जागा है। यह दृश्य वैसा ही होगा जैसे हनुमान जी अपने सीने को चीरकर यह सिद्ध कर देते हैं कि उनके भीतर श्रीराम, सीता और लक्ष्मण बसे हैं — वैसे ही भारत अपनी उपलब्धियों से यह सिद्ध करेगा कि उसमें विश्व नेतृत्व की पूरी क्षमता है।

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