11 साल का लंबा इंतज़ार हुआ खत्म: बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ ने जटिल केस में दिलाई माता-पिता बनने की खुशी

लखनऊ। बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, लखनऊ के विशेषज्ञों ने प्राइमरी अमीनोरिया (Primary Amenorrhea) और हाइपरटेंशन के एक जटिल मामले में सफलता हासिल करते हुए एक दंपति के 11 साल पुराने माता-पिता बनने के सपने को साकार किया है। यह सफलता साबित करती है कि कठिन परिस्थितियों में भी उन्नत चिकित्सा विज्ञान और व्यक्तिगत देखभाल (Personalized Care) के माध्यम से आशा को वास्तविकता में बदला जा सकता है।
जटिलताएँ: 11 साल का संघर्ष
लखनऊ की 32 वर्षीय महिला के लिए नियमित मासिक धर्म (पीरियड्स) कभी शुरू ही नहीं हुए थे। वह प्राइमरी अमीनोरिया से पीड़ित थीं, जो हाइपोगोनाडोट्रोपिक हाइपोगोनाडिज्म नामक स्थिति के कारण हुआ था। इसके अतिरिक्त, महिला हाइपरटेंशन और कम ओवेरियन रिज़र्व (Low Ovarian Reserve) जैसी चुनौतियों का भी सामना कर रही थीं।
दस साल से अधिक समय तक कई असफल उपचारों के बाद, जिसमें एक आईवीएफ साइकिल भी शामिल थी जिसमें कोई डोमिनेंट फॉलिकल विकसित नहीं हो पाया, यह दंपति एक आखिरी उम्मीद के साथ बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ लखनऊ पहुंचा।
डॉ. श्रेया गुप्ता की नई रणनीति
सेंटर हेड और कंसल्टेंट, बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ लखनऊ की डॉ. श्रेया गुप्ता ने उनके मामले में एक नई और सावधानीपूर्वक रणनीति अपनाई।
डॉ. गुप्ता ने कहा, “यह रीप्रोडक्टिव स्वास्थ्य के सबसे जटिल मामलों में से एक था। हम बेहद कम ओवेरियन रिज़र्व के साथ काम कर रहे थे, जिसका अर्थ था कि हर एग महत्वपूर्ण था। ऐसे मामलों में दृढ़ता, सावधानी और भावनात्मक समर्थन (Emotional Support) की ज़रूरत होती है। फर्टिलिटी केयर, विज्ञान और विश्वास का सुंदर मिश्रण है।”
सफलता के चरण:
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मॉडिफाइड स्टिम्युलेशन प्रोटोकॉल: ओवेरियन बाधाओं से निपटने के लिए एक संशोधित स्टिम्युलेशन प्रोटोकॉल का उपयोग किया गया।
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एम्ब्रियो विकास: इस प्रोटोकॉल की मदद से तीन ऊसाईट (Oocytes) प्राप्त हुए और सफलतापूर्वक दो स्वस्थ डे-3 एम्ब्रियो विकसित किए गए।
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यूटरस का वातावरण सुधारना: यूटरस के वातावरण को बेहतर बनाने के लिए एम्ब्रियो ट्रांसफर से पहले हिस्ट्रोस्कोपिक यूटराइन कैविटी एन्हांसमेंट किया गया।
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सफल इम्प्लांटेशन: सावधानीपूर्वक तैयार फ्रोज़न साइकिल में एम्ब्रियो पहली ही कोशिश में सफलतापूर्वक इम्प्लांट हो गए।
नियमित और समर्पित देखभाल के बाद, यह प्रेगनेंसी स्वस्थ बनी रही और दंपति का लंबा सपना आखिरकार पूरा हुआ। डॉ. गुप्ता ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा, “यह मामला हमें याद दिलाता है कि कठिन स्थिति और कम ओवेरियन रिज़र्व के केस में भी सही प्लानिंग, सटीकता और इमोशनल सपोर्ट से संभावनाओं को वास्तविकता में बदला जा सकता है।”
