2 Israeli Embassy Staff Killed Outside Jewish Museum in Washington, DC : फिलिस्तानी वॉर में गई दो मासूमो की जान, जल्द होने वाली थी सगाई, क्या है इसके पीछे की पॉलिटिक्स

 
2 Israeli Embassy Staff Killed Outside Jewish Museum in Washington, DC

आज हम एक ऐसे incident  की बात करने जा रहे हैं, जिसने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में यहूदी संग्रहालय के बाहर इजरायली embassy  के दो कर्मचारियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस दुखद और चौंकाने वाली incident  ने कई सवाल खड़े किए हैं। आखिर ये  हमला क्यों हुआ? इसके पीछे का मकसद क्या था? और इसका global impact क्या हो सकता है? आइए, इस incident को detail में 
 समझते हैं।

ये घटना 21 मई, 2025 की शाम को वाशिंगटन डीसी के कैपिटल यहूदी संग्रहालय के बाहर हुई। information  के according , इजरायली embassy  के दो कर्मचारी, यारोन और सारा, जो न सिर्फ सहकर्मी थे बल्कि दोस्त भी थे, एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद संग्रहालय से बाहर निकल रहे थे। तभी एक हमलावर ने उन पर नजदीक से गोलीबारी शुरू कर दी। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। ये  हमला इतना अचानक और Cruel था कि वहां मौजूद लोग सदमे में आ गए।  

इजरायली embassy ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, "यारोन और सारा हमारे दोस्त और सहकर्मी थे। उनकी हत्या ने पूरे दूतावास को हिलाकर रख दिया है। कोई भी शब्द हमारे दुख को बयां नहीं कर सकता।

वाशिंगटन पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक संदिग्ध, इलियास रोड्रिगुएज, को गिरफ्तार कर लिया। 30 साल का  इलियास शिकागो का रहने वाला है और उसका कोई criminal रिकॉर्ड नहीं था। पुलिस के according , हमलावर ने गोलीबारी से पहले "फ्री फिलिस्तीन" के नारे लगाए, जिसके बाद इसे यहूदी-विरोधी भावना से प्रेरित टारगेट किलिंग माना जा रहा है।  

इस दुखद घटना ने दो youth  और brilliant लोगों की जिंदगी छीन ली। सारा मिल्ग्रिम इजरायली दूतावास के पब्लिक डिप्लोमेसी डिपार्टमेंट में काम करती थीं और उनके पास अमेरिकन यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल स्टडीज में मास्टर्स डिग्री थी। यारोन और सारा न सिर्फ प्रोफेशनल पार्टनर थे, बल्कि उनकी सगाई होने वाली थी। दोनों की शादी की तैयारियां चल रही थीं, और यारोन ने हाल ही में सारा के लिए एक रिंग खरीदी थी।  

ये कहानी सिर्फ एक हमले की नहीं, बल्कि दो जिंदगियों की है, जो अपने सपनों को पूरा करने के कगार पर थीं। इस घटना ने न सिर्फ उनके परिवार और दोस्तों को, बल्कि पूरी दुनिया को ये  सोचने पर मजबूर कर दिया कि नफरत और हिंसा का ये सिलसिला कब रुकेगा?

इस घटना पर इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कड़ा बयान जारी करते हुए कहा, की  "हम खून का बदला खून से लेंगे।" वहीं, संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत डैनी डैनन ने इस हमले को "यहूदी-विरोधी आतंकवाद का heinous act" करार दिया।  

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और इस हमले को यहूदी-विरोधी भावना से प्रेरित बताया। होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने कहा, की "नफरत और कट्टरपंथ के लिए अमेरिका में कोई जगह नहीं है। 

वाशिंगटन पुलिस चीफ पामेला स्मिथ ने बताया कि ये हमला एक सुनियोजित टारगेट किलिंग थी। हमलावर को incident  के तुरंत बाद arrest  कर लिया गया, और जांच में यहूदी-विरोधी भावना को प्रमुख कारण माना जा रहा है।  

ये incident  वाशिंगटन डीसी के नॉर्थवेस्ट इलाके में थर्ड और एफ स्ट्रीट के पास हुई, जो एक बेहद सुरक्षित और पॉश इलाका माना जाता है। हैरानी की बात ये है कि यहूदी संग्रहालय से कुछ ही कदमों की दूरी पर एफबीआई का दफ्तर और अमेरिकी अटॉर्नी का ऑफिस भी है।  

ये इलाका दुनिया की सबसे सुरक्षित जगहों में से एक माना जाता है, फिर भी इतनी भयावह घटना का होना कई सवाल खड़े करता है। क्या ये सुरक्षा व्यवस्था में चूक थी, या फिर ये  एक गहरी साजिश का हिस्सा है?  

ये  हमला ऐसे समय में हुआ है, जब इजरायल और फिलिस्तीन के बीच तनाव पहले से ही चरम पर है। हमलावर द्वारा "फ्री फिलिस्तीन" के नारे लगाने से ये सवाल उठता है कि क्या ये  हमला इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष से जुड़ा है? कुछ experts का मानना है कि ये incident घटना यहूदी-विरोधी भावनाओं को और भड़का सकती है, जिसका असर global diplomacy पर पड़ सकता है।  

इस घटना ने एक बार फिर ये साबित कर दिया कि नफरत और हिंसा किसी भी समाज के लिए कितनी खतरनाक हो सकती है।

ये incident हमें सोचने पर मजबूर करती है कि शांति और tolerance को बढ़ावा देना कितना जरूरी है। यारोन और सारा जैसे लोग, जो अपने काम और सपनों के लिए जी रहे थे, उनकी जिंदगी छीन लेना सिर्फ एक परिवार का नुकसान नहीं, बल्कि पूरी मानवता का नुकसान है।  

आप इस घटना के बारे में क्या सोचते हैं? क्या ये  हमला वाकई यहूदी-विरोधी भावना से प्रेरित था, या इसके पीछे कोई और मकसद हो सकता है? अपने विचार कमेंट सेक्शन में जरूर शेयर करें। 

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