मानव सौहार्द और विश्वबंधुत्व की अनूठी मिसाल 78वां निरंकारी संत समागम

समालखा, 2 नवंबर 2025। 78वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के दूसरे दिन सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि आत्ममंथन केवल विचार करने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि अपने भीतर झांककर सत्य को महसूस करने की साधना है, जो परमात्मा के अहसास से और भी सहज हो जाती है। चार दिवसीय इस समागम में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु उपस्थित हैं, जहां सभी प्रेम, सौहार्द और एकता के भाव के साथ मानवता व विश्वबंधुत्व का जीवंत संदेश दे रहे हैं।
सतगुरु माता जी ने बताया कि जीवन में अनेक भाव, शब्द और परिस्थितियाँ मन को प्रभावित करती हैं। सुखद वचन मन को आकर्षित करते हैं और कटु शब्द दुख देते हैं, परंतु कौनसी बात मन में स्थान देनी है और किसे त्याग देना है — यह चयन हर व्यक्ति को स्वयं करना होता है। विवेकपूर्ण निर्णय ही मानसिक शांति का आधार बनते हैं।

उन्होंने हिल स्टेशन की प्रतिध्वनि का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे आवाज़ पहाड़ों से लौटकर वापस आ जाती है, वैसे ही हमारे व्यवहार की प्रतिक्रिया भी हमारे पास लौटती है। इसलिए हमारा आचरण ऐसा होना चाहिए जिसकी परिणति सुखद और कल्याणकारी हो। सतगुरु माता जी के अनुसार जब मन निरंकार से जुड़ता है तो आंतरिक शांति और बाहरी व्यवहार दोनों में दिव्यता का भाव भर जाता है और आत्ममंथन जीवन सुधार का मार्ग बन जाता है।
राजपिता रमित जी का संदेश
समागम में आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी ने कहा कि परमात्मा एक सार्वभौमिक सत्य है। यह हमेशा था, है और रहेगा। जैसे सूर्य का पूर्व से उदय होना किसी मतभेद का विषय नहीं, उसी प्रकार ईश्वर का सत्य भी एक ही है। वेद-ग्रंथ भी इस सत्य की पुष्टि करते हैं। सतगुरु मानव को इसी परम सत्य का बोध कराने के लिए धरा पर आते हैं, ताकि हर व्यक्ति समय रहते इस सत्य को पहचान सके।
निरंकारी प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र
समागम स्थल पर आधुनिक तकनीक, लाइटिंग और सृजनात्मक प्रस्तुति के साथ बनाई गई निरंकारी प्रदर्शनी दर्शकों में विशेष उत्सुकता का केंद्र बनी हुई है। इसे तीन भागों में विभाजित किया गया है—
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मुख्य प्रदर्शनी — मिशन का इतिहास, सतगुरु माता जी एवं राजपिता जी की मानव कल्याण यात्राएँ तथा ‘आत्ममंथन’ विषय पर आधारित तीन मॉडल्स।
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बाल प्रदर्शनी — बच्चों के समक्ष खड़ी आधुनिक चुनौतियों और उनके समाधान को सरल व शिक्षाप्रद रूप में प्रस्तुत करती हुई प्रदर्शनी, जिसमें आध्यात्मिक तथा दुनियावी शिक्षा के संतुलन पर विशेष बल दिया गया है।
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एसएनसीएफ प्रदर्शनी (Sant Nirankari Charitable Foundation) — स्वास्थ्य, सुरक्षा और सशक्तिकरण पर आधारित मिशन की सामाजिक गतिविधियाँ, समाज सुधार कार्यक्रम, सादा/सामूहिक विवाह और विभिन्न सेवा उपक्रमों का विस्तृत विवरण।

78वां निरंकारी संत समागम आध्यात्मिक चेतना, मन की शांति, मानव उत्थान और विश्वबंधुत्व का अमूल्य संदेश देकर भव्य रूप में आगे बढ़ रहा है। सतगुरु माता जी ने बताया कि जीवन में अनेक भाव, शब्द और परिस्थितियाँ मन को प्रभावित करती हैं। सुखद वचन मन को आकर्षित करते हैं और कटु शब्द दुख देते हैं, परंतु कौनसी बात मन में स्थान देनी है और किसे त्याग देना है — यह चयन हर व्यक्ति को स्वयं करना होता है। विवेकपूर्ण निर्णय ही मानसिक शांति का आधार बनते हैं।


