मैक्स हॉस्पिटल, लखनऊ में दुर्लभ इमरजेंसी ओपन-हार्ट सर्जरी से 46 वर्षीय महिला को मिली नई ज़िंदगी

A 46-year-old woman gets a new lease of life after a rare emergency open-heart surgery at Max Hospital, Lucknow
 
A 46-year-old woman gets a new lease of life after a rare emergency open-heart surgery at Max Hospital, Lucknow
लखनऊ डेस्क (प्रत्यूष पाण्डेय):  मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के विशेषज्ञों ने एक अत्यंत जटिल और समय-संवेदनशील ओपन-हार्ट सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए फतेहपुर की रहने वाली 46 वर्षीय नज़मा बानो की जान बचाई। यह दुर्लभ केस मेडिकल इमरजेंसी प्रबंधन और सर्जिकल दक्षता का एक प्रेरणादायक उदाहरण है।

दिल की डिवाइस खिसकने से बिगड़ी स्थिति

नज़मा बानो बचपन से ही एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (ASD) नामक जन्मजात हृदय रोग से ग्रस्त थीं, जिसमें दिल के दो ऊपरी कक्षों के बीच एक छेद होता है। 29 मई को प्रयागराज में उनका डिवाइस क्लोजर प्रोसीजर किया गया था, लेकिन दुर्भाग्यवश डिवाइस अपनी जगह से खिसक गई और एक हृदय वाल्व के पास जाकर फंस गई। उसे हटाने के प्रयास में दिल की एक नस (लेफ्ट एट्रियल एपेंडेज) फट गई, जिससे दिल के चारों ओर रक्त भर गया और मरीज़ की हालत गंभीर हो गई।

लखनऊ रेफर करते समय भी बनी रही नाज़ुक स्थिति

स्थानीय अस्पताल में सर्जरी की सुविधा न होने के कारण, तुरंत मैक्स हॉस्पिटल, लखनऊ में कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. विशाल श्रीवास्तव से संपर्क किया गया। उन्होंने मरीज को स्थिर बनाए रखने के लिए टेम्पररी ड्रेनेज और ऑटोट्रांसफ्यूजन (खून को पुनः चढ़ाना) की सलाह दी, जिससे नज़मा को सुरक्षित रूप से लखनऊ लाया जा सका।

अस्पताल पहुंचते ही शुरू हुआ जीवन रक्षक ऑपरेशन

मरीज को सुबह लगभग 3:30 बजे इमरजेंसी में भर्ती किया गया। उस समय वह होश में थीं, लेकिन शॉक में थीं और उनका ब्लड प्रेशर तक मापा नहीं जा सकता था। कुछ ही मिनटों में कार्डियक अरेस्ट हुआ और तुरंत CPR शुरू किया गया। जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो डॉक्टरों ने उन्हें तत्काल ऑपरेशन थिएटर में ले जाकर ओपन-हार्ट सर्जरी का फैसला लिया।

डॉ. विशाल श्रीवास्तव बताते हैं:"सीपीआर जारी रखते हुए हमने मरीज़ की छाती खोली और सीधे हृदय की मालिश शुरू की। ऑपरेशन के दौरान सबसे पहले डिवाइस को सुरक्षित रूप से निकाला गया, फिर फटी नस की मरम्मत की गई और दिल के मूल छेद को बंद किया गया।"

चार घंटे की सर्जरी, एक जीवन की वापसी

करीब चार घंटे तक चली इस सर्जरी के बाद नज़मा को आईसीयू में शिफ्ट किया गया। विशेषज्ञ टीम की सतत निगरानी और देखभाल से उनकी हालत में शीघ्र सुधार हुआ और एक सप्ताह के भीतर वह पूरी तरह से स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो गईं।

जटिल हालात में जीवन रक्षक निर्णय

यह मामला दर्शाता है कि जब विशेषज्ञता, तत्परता और तकनीकी दक्षता साथ आती है, तो सबसे गंभीर मेडिकल स्थितियों में भी जीवन बचाया जा सकता है। मैक्स हॉस्पिटल, लखनऊ की टीम ने यह सिद्ध कर दिया कि आपातकालीन स्थितियों में वह हर चुनौती के लिए तैयार है।

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