अपोलो हॉस्पिटल में जटिल प्रक्रिया से फेफड़ों में फंसी सुपारी निकाली गई, 70 वर्षीय महिला की जान बची

A betel nut stuck in the lungs was removed through a complex procedure at Apollo Hospital, saving the life of a 70-year-old woman.
 
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लखनऊ | 29 दिसंबर 2025

मुंह में सुपारी, लौंग या कोई अन्य वस्तु दबाकर सोने की आदत कई लोगों में आम है, लेकिन यह आदत जानलेवा साबित हो सकती है। नींद के दौरान ऐसी वस्तुएं सांस की नली के रास्ते फेफड़ों तक पहुंच सकती हैं, जिससे गंभीर संक्रमण और निमोनिया जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं।

हाल ही में अपोलो हॉस्पिटल में ऐसा ही एक गंभीर मामला सामने आया, जहां लगभग 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला को बार-बार छाती में संक्रमण और निमोनिया की शिकायत के साथ भर्ती कराया गया। हालत गंभीर होने पर उन्हें आईसीयू में रखना पड़ा। एक्स-रे और सीटी स्कैन जांच में फेफड़ों में निमोनिया की पुष्टि हुई।

मरीज को पहले से हृदय रोग, उच्च रक्तचाप की समस्या थी और वह ब्लड थिनर दवाएं भी ले रही थीं। बीमारी के वास्तविक कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टरों ने ब्रोंकोस्कोपी करने का निर्णय लिया।अपोलो हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शुभम अग्रवाल ने बताया कि ब्रोंकोस्कोपी के दौरान उस हिस्से में, जहां निमोनिया था, फेफड़े के भीतर एक बाहरी वस्तु फंसी हुई पाई गई। डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि उस वस्तु को निकालना बेहद जरूरी है और इसके लिए जनरल एनेस्थीसिया व वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता होगी।

परिजनों की सहमति के बाद मरीज को पूरी तरह बेहोश कर विशेष उपकरणों और कैमरे की मदद से वह वस्तु सफलतापूर्वक बाहर निकाली गई। प्रक्रिया के दौरान हल्की ब्लीडिंग हुई, जिसे दवाओं से नियंत्रित कर लिया गया। बाहर निकली वस्तु सुपारी का टुकड़ा थी।

परिजनों ने बताया कि महिला को सुपारी चबाने की आदत थी और वह कई बार रात में भी मुंह में सुपारी रखकर सो जाती थीं। यही सुपारी का टुकड़ा सांस की नली से फेफड़ों तक पहुंच गया था, जिसके कारण उन्हें लंबे समय से बार-बार संक्रमण हो रहा था।सुपारी निकालने के बाद मरीज की हालत तेजी से सुधरी। उन्हें वेंटिलेटर से हटा दिया गया और कुछ ही दिनों में वह स्वस्थ होकर घर लौट गईं।

डॉ. शुभम अग्रवाल ने बताया कि जब कोई बाहरी वस्तु फेफड़ों में फंस जाती है, तो उस हिस्से में लगातार संक्रमण और मवाद बनने लगता है। कई बार गहरी नींद के दौरान यह घटना बिना किसी स्पष्ट लक्षण के हो जाती है। खांसी की दवाएं या नेब्युलाइज़र लक्षणों को दबा देते हैं, जिससे असली कारण लंबे समय तक सामने नहीं आ पाता।

अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के एमडी एवं सीईओ डॉ. मयंक सोमानी ने कहा कि यह मामला दिखाता है कि रोजमर्रा की छोटी-सी लापरवाही कितनी गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है। फेफड़ों में फंसी बाहरी वस्तु लंबे समय तक बिना स्पष्ट संकेत के संक्रमण फैलाती रहती है और इलाज केवल दवाओं तक सीमित रह जाता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि मुंह में सुपारी, लौंग या कोई भी वस्तु रखकर सोने की आदत तुरंत छोड़ें और यदि किसी व्यक्ति को बार-बार खांसी या छाती में संक्रमण हो रहा हो, तो उसकी गहराई से जांच कराई जाए।

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