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बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में 'डेम सेफ्टी एक्ट 2021' विषय पर हुआ एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन

A one-day workshop was organized on 'Dam Safety Act 2021' at Babasaheb Bhimrao Ambedkar University
 
A one-day workshop was organized on 'Dam Safety Act 2021' at Babasaheb Bhimrao Ambedkar University
  लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में दिनांक 27 मार्च को यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, बीबीएयू एवं स्टेट प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के संयुक्त तत्वाधान में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। इसके अतिरिक्त मंच पर स्टेट डेम सेफ्टी आर्गेनाइजेशन, लखनऊ के चीफ इंजीनियर लेवल - 1 श्री रमेश चंद्र, चीफ इंजीनियर एवं स्टेट प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट के नोडल अधिकारी श्री ज्ञानेंद्र सरन, यूआईईटी डायरेक्टर प्रो. शिशिर कुमार, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के संकायाध्यक्ष प्रो. बाल‌ चंद्र यादव, स्टेट प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट के प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्री एस. के. प्रियदर्शी एवं आयोजन सचिव और यूआईईटी डिप्टी डायरेक्टर डॉ. धीरेन्द्र पाण्डेय मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन‌ एवं बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई।

इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से अतिथियों एवं शिक्षकों को पुष्पगुच्छ, पौधा एवं स्मृति चिन्ह भेंट करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया। सर्वप्रथम डॉ. धीरेन्द्र पाण्डेय ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया एवं सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रुपरेखा से अवगत कराया।


 विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के पश्चात गरीबी, भूख, बेरोजगारी आदि की समस्या से निपटने के लिए एवं आर्थिक स्थिरता को बेहतर बनाने के लिए महालनोबिस मॉडल को अपनाया गया था, जिसके अंतर्गत दूरदर्शी स्ट्रैटजी और विकास के प्लान के तहत भारी उद्योग, बड़े - बड़े प्रोजेक्ट्स और भाखड़ा नांगल बांध जैसे लक्ष्यों को प्राथमिकता दी गई। बांधों के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करके न केवल हरित क्रांति का मार्ग प्रशस्त होता है बल्कि फसल उत्पादन और खाद्य आपूर्ति सुरक्षा सुनिश्चित होती है। इसके अतिरिक्त प्रो. मित्तल ने बांध के निर्माण के समय होने वाली अस्थिरता, लोगों का स्थानांतरण एवं पुनर्निवास आदि पर गंभीरता से प्रकाश डाला।


चीफ इंजीनियर लेवल -1 श्री रमेश चंद्र ने अपने विचार रखते हुए कहा कि पिछले कुछ दशकों के दौरान बाँधों ने विश्व में उभरती नई अर्थव्यवस्थाओं को गति प्रदान करने के साथ अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बाँध देश की प्रगति और समृद्धि की कुंजी तो होते हैं परंतु यदि समय-समय पर इनकी सही देख-रेख न की जाए तो यह मानव जीवन और संपत्ति के लिये एक बड़ा खतरा उत्पन्न कर सकते हैं। यूआईईटी डायरेक्टर प्रो. शिशिर कुमार ने सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में होने वाली रियल लाइफ एप्लिकेशंस एवं भारत एवं श्रीलंका के मध्य विकसित हेतु समुद्रम परियोजना की विस्तृत जानकारी दी। इसके अतिरिक्त बांध आर्थिक विकास के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाते हैं क्योंकि यह सिंचाई, बिजली उत्पादन, जल संसाधन प्रबंधन एवं मनोरंजन आदि के क्षेत्र में रोजगार अवसरों को प्रोत्साहित करते हैं।


प्रो. बी.सी. यादव ने बताया कि बांधों के माध्यम से सतही जल या भूमिगत धाराओं के प्रवाह को नियंत्रित किया जाता है। बांधों द्वारा बनाए गए जलाशय न केवल बाढ़ को दबाते हैं बल्कि सिंचाई, मानव उपभोग, औद्योगिक उपयोग एवं जलीय कृषि जैसी गतिविधियों के लिए पानी भी प्रदान करते हैं । इसके अतिरिक्त इन्होंने विभिन्न प्रकार के बांधों जैसे गुरूत्वाकर्षण बांध, आर्च बांध, तटीय बांध एवं हाइड्रोलिक बांध की संरचना पर प्रकाश डाला।


स्टेट प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट के नोडल अधिकारी श्री ज्ञानेंद्र सरन ने भारत में जलविद्युत ऊर्जा का भविष्य एवं बांध सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों की जानकारी दी। वहीं दूसरी ओर प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्री. एस.के. प्रियदर्शी ने सरकार द्वारा बांध निर्माण के क्षेत्र में किये गये प्रयासों एवं परियोजनाओं के बारे में बताया।


 कार्यशाला के दौरान दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। प्रथम तकनीकी सत्र में स्टेट डेम सेफ्टी आर्गेनाइजेशन की असिस्टेंट इंजीनियर सुश्री सौम्या एवं द्वितीय तकनीकी सत्र में असिस्टेंट इंजीनियर श्री एस.के. मिश्रा द्वारा सभी को बांध निर्माण, सुरक्षा एवं संचालन से संबंधित विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी गयी।    अंत में डॉ. मानवेंद्र सिंह चौहान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समस्त कार्यक्रम के दौरान विभिन्न शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

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