पहले पढ़ाई, फिर विदाई नामक कार्यषाला का आयोजन होटल द रेगनेन्ट में किया गया

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय लखनऊ। राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर वात्सल्य संस्था द्वारा पहले पढ़ाई, फिर विदाई नामक कार्यषाला का आयोजन होटल द रेगनेन्ट में किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथिगण डा0 शुचिता चतुर्वेदी, सदस्य, राज्य बाल अधिकार आयोग, बबिता सिंह चैहान, चेयर पर्शन, राज्य महिला आयोग, डा0 के.के. गुप्ता, अध्यक्ष, वात्सल्य, डा0 नीलम सिंह, मुख्य कार्यकारी, वात्सल्य, राजलक्ष्मी कक्कड़, सदस्य, वात्सल्य बोर्ड के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
कार्यक्रम में पुनीत मिश्रा, ज्वाइण्ट डायरेक्ट, महिला एवं बाल विकास, विकास सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकरी, लखनऊ, डा0 देबजानी खान, डेवलपमेन्ट प्रोफेशनल, इन्दिरा पांचोली, फाउण्डर मेम्बर, महिला जन अधिकार समिति, राजस्थान, सुनैना वालिया, सीनियर जेन्डर एण्ड डेवलपमेन्ट कन्सलटेन्ट, वर्षा देशपाण्डे, एडवोकेट, पुणे, रेनू मिश्रा, एक्जीक्यूटिव डायरेक्ट, आली, अंचल गुप्ता, एडवोकेट, हाईकोर्ट लखनऊ, अर्चना सिंह, इन्चार्ज, वन स्टाप सेण्टर, लखनऊ, राधा शुक्ला, प्रबन्धक, श्रमिक भारती, रोली सिंह, एसआरएफ, कविता बुन्देलखण्डी, खबर लहरिया, शशांक सिन्हा, ब्यूरो चीफ, राजीव, रिपोर्टर हिन्दुस्तान, नसीम अंसारी, देवेन्द्र धामा, राजेन्द्र सिंह, शकुन्तला, राहुल कुशवाहा के साथ-साथ माल एवं मलिहाबाद से 150 बालिकाओं एवं महिलाओं, ग्राम प्रधानों ने प्रतिभाग किया।
कार्यशाला के दौरान माल ब्लाक की 6 पंचायतों कोलवा, अकबरपुर, आदमपुर, सालेहनगर, शाहमउ, नौबस्ता, पकराबाजार गांव को महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों के द्वारा बाल विवाह मुक्त घोषित किया गया। बताते चले कि इन पंचायतों में वात्सल्य द्वारा पिछले 3 सालों से बालिका सशक्तिकरण के लिए सघनरूप से कार्य किया जा रहा है।
डा0 नीलम सिंह ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए बताया गया कि आज भी हमारे समुदाय में बाल विवाह नामक कुप्रथा व्याप्त है जिससे न केवल एक बालिका की शिक्षा प्रभावित होती बल्कि उनके स्वास्थ्य, जीवन कौशल आदि प्रभावित होता है और यह प्रभाव परिवार, समाज एवं देश की प्रगति में प्रत्यक्ष रूप से परिलक्षित होता है। उन्हांेने कहा कि विवाह का बन्धन एक संकल्प है जिसमें महिला एवं पुरूष की बराबर भागीदारी होनी चाहिए।
बबिता सिंह चैहान ने अपने सम्बोधन में कहा कि कम उम्र में लड़की की शादी दो परिवारों को प्रभावित करती है एवं घरेलू हिंसा का बढ़ावा देती है, उन्होने कहा कि यदि हम बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा दे और समुदाय स्तर पर जागरूकता करें तो बाल विवाह को कम किया जा सकता है। शुचिता चतुर्वेदी ने अपने सम्बोधन में कहा कि एक परिवार की शुरूआत एक लड़की से होती है उन्होनें समुदाय से आयी हुई बालिकाओं एवं ग्राम प्रधानों को बधाई दी कि उन्होने अपने गांव में बाल विवाह को रोका एवं बाल विवाह मुक्त घोषित कर दिखाया। उन्होंने कहा कि बेटियों को गर्भ में मारने, बाल विवाह को बढ़ावा देना आदि प्रकरणों में महिला की विशेष भूमिका होती है। उन्होने कहा कि परिवारों में संस्कारों की कमी, परिवारों में विघटन भी बाल विवाह को बढ़ावा देता है। उन्होनें बाल विवाह को रोकने के लिए सबसे निचले स्तर ग्राम पंचायत को को चुनना उत्तम है।
पुनीत मिश्रा ने अपने सम्बोधन में कहा कि उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा बाल विवाह श्रावास्ती जिला है जहां 52 प्रतिशत रिकार्ड किया गया। उन्होने ने कहा कि बाल विवाह केवल सरकारी विभागों के प्रयास नहीं रोका जा सकता है बल्कि इसमें गैर सरकारी संगठनों, सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता है। के.के. गुप्ता ने अपने सम्बोधन में कहा बाल विवाह क्यो हो रहे है इसकी जड़ों पर कार्य करने की आवश्यकता है यह सामाजिक संवेदना का विषय है, लोगों में चेतना पैदा करने की आवश्यकता है।