शोध और प्रकाशन के द्वारा ही अकादमिक विकास संभव : पीयूष सिंह

Academic development is possible only through research and publication: Piyush Singh
 
Academic development is possible only through research and publication: Piyush Singh
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)। शिक्षा जगत में एक नई उपलब्धि के तहत एस.आर. ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस, लखनऊ के तीन प्रतिष्ठित शिक्षकों द्वारा लिखित दो महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में किया गया। इन पुस्तकों के नाम "इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप" जिसका लेखन कार्य डॉ. शुभेंदु शेखर शुक्ल (एसोसिएट प्रोफेसर, एमबीए विभाग) तथा "क्वालिटी कंट्रोल एंड रिलायबिलिटी" हैं, जिसका लेखन कार्य डॉ. शुभेंदु शेखर शुक्ल के साथ श्री अनुराग श्रीवास्तव (विभागाध्यक्ष, मैकेनिकल इंजीनियरिंग) तथा डॉ. रोहित श्रीवास्तव (सहायक प्रोफेसर, मैकेनिकल इंजीनियरिंग) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।

यह दोनों पुस्तकें उच्च शिक्षा, विशेष रूप से प्रबंधन और इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगी। "इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप" पुस्तक में नवाचार के सिद्धांतों, उद्यमिता के मूल विचारों, स्टार्टअप्स के निर्माण, भारतीय आर्थिक परिदृश्य में नवाचार की भूमिका तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान के संदर्भ में उद्यमिता की संभावनाओं पर गहन चर्चा की गई है। वहीं, "क्वालिटी कंट्रोल एंड रिलायबिलिटी" पुस्तक गुणवत्ता प्रबंधन, औद्योगिक मानकों, प्रक्रिया नियंत्रण, विश्वसनीयता सिद्धांतों तथा उत्पादन एवं इंजीनियरिंग गुणवत्ता के आधुनिक दृष्टिकोणों को समाहित करती है। इन पुस्तकों का प्रकाशन एस. के. कटारिया एंड संस नई दिल्ली द्वारा किया गया है, जो शैक्षिक और तकनीकी साहित्य के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में श्री पीयूष सिंह चौहान (वाइस चेयरमैन, एसआर ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस, लखनऊ) उपस्थित रहे। उन्होंने पुस्तकों के लेखकों को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रयास न केवल अकादमिक विकास का प्रतीक है बल्कि संस्थान की शोध एवं नवाचार में निरंतरता का भी प्रमाण है। श्री चौहान ने विद्यार्थियों को इन पुस्तकों से लाभ उठाने तथा शोध एवं उद्यमिता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

इस अवसर पर एस. आर ग्रुप के एडवाइजर प्रो. वी.के. सिंह ने कहा, "शोध और प्रकाशन किसी भी संस्थान की बौद्धिक शक्ति का परिचायक होता है। इस दिशा में यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है।" उन्होंने सभी लेखकों को इस कार्य के लिए शुभकामनाएं प्रेषित कीं। प्रोफेसर सिंह ने सभी उपस्थित शिक्षकों एवं छात्रों को सप्ताह में कम से कम एक पुस्तक पढ़ने की प्रतिज्ञा भी दिलाई और कहा कि पुस्तकों से बौद्धिक क्षमता का विकास होता है।

इस अवसर पर अपनी पुस्तकों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. शुभेंदु शेखर शुक्ल ने कहा, "हमारा उद्देश्य ऐसी सामग्री प्रस्तुत करना था जो विद्यार्थियों को केवल परीक्षाओं तक सीमित न रखे, बल्कि उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए भी तैयार करे।"

श्री अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "तकनीकी और प्रबंधन शिक्षा का समन्वय आज के समय की आवश्यकता है, और इन पुस्तकों में हमने यही दृष्टिकोण अपनाया है।" वहीं डॉ. रोहित श्रीवास्तव ने कहा, "हमने पाठ्यक्रम आधारित दृष्टिकोण को उद्योग जगत की अपेक्षाओं से जोड़ने का प्रयास किया है, ताकि छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान भी मिल सके।"

निदेशक डॉ. डी पी सिंह ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह संस्थान के लिए गर्व का विषय है और यह पुस्तकीय योगदान न केवल छात्रों के लिए बल्कि शिक्षकों एवं शोधकर्ताओं के लिए भी मार्गदर्शक सिद्ध होगा।

एस.आर. ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. सर्वेश सिंह चौहान ने कहा, "यह कार्य न केवल शिक्षकों की विद्वत्ता को दर्शाता है, बल्कि इससे छात्रों को भी प्रेरणा मिलेगी कि वे शोध और नवाचार की दिशा में आगे बढ़ें।" 

प्रॉक्टर डॉ. शशांक सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि संस्थान का वातावरण हमेशा अकादमिक उत्कृष्टता और ज्ञान सृजन को प्रोत्साहित करता रहा है, और यह प्रकाशन उसी का प्रतिफल है।

डीन अकादमिक्स श्री अंकुर सिंह ने कहा किपाठ्यक्रम आधारित पुस्तकों की गुणवत्ता तब बढ़ती है जब उसमें शिक्षकों का व्यावहारिक अनुभव और समर्पण झलकता है, और इन पुस्तकों में वह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

असिस्टेंट डायरेक्टर श्री सतरंजन शर्मा ने कहा कि यह पुस्तकीय योगदान एसआर ग्रुप की शैक्षणिक नीतियों और गुणवत्ता आधारित शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का सशक्त उदाहरण है।

एडमिन ऑफिसर श्री सोनेन्द्र सिंह तोमर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा प्रयास सदैव रहा है कि संस्थान में ऐसा वातावरण निर्मित हो जहाँ शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार समान रूप से पनपे। यह उपलब्धि उसी दिशा में एक कदम है।

इन पुस्तकों का उपयोग देशभर के विश्वविद्यालयों एवं तकनीकी संस्थानों में अध्ययन-सामग्री के रूप में किया जाएगा, और खासकर लखनऊ स्थित डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्विद्यालय के शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं शोधकर्ताओं के लिए एक बहुमूल्य संसाधन सिद्ध होंगी।

कार्यक्रम के धन्यवाद प्रस्ताव में एमबीए विभाग की विभागाध्यक्ष श्रीमती रुचिता चौहान ने सभी उपस्थित अधिकारीगणों को उनकी उपस्थित के लिए धन्यवाद दिया और सभी को अवगत कराया कि एमबीए विभाग पूरे संस्थान.में अनुसंधान और नवाचार में सर्वोच्च मानक स्थापित कर चुका है और सभी को आश्वस्त किया कि निकट भविष्य में भी इस तरह की अकादमिक उत्कृष्टतायुक्त कार्यक्रम छात्रों के हित में जारी रहेंगे।

इस प्रोग्राम में एमबीए और मैकेनिकल विभाग के 300 से अधिक छात्र छात्रों ने प्रतिभाग किया और मंच का सफल सञ्चालन एमबीए प्रथम वर्ष की छात्रा दिव्यांशी मिश्रा और आकांक्षा सिंह ने किया ।

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