शिव सत्संग मण्डल के धर्मोत्सव में गूंजा भक्ति का स्वर, आचार्य अशोक बोले – "भक्ति और ध्यान से ही संभव है आत्मकल्याण"

Voice of devotion echoed in the religious festival of Shiv Satsang Mandal, Acharya Ashok said – "Self-welfare is possible only through devotion and meditation"
 
इस कार्यक्रम में शाहजहांपुर के जिला प्रमुख डॉ. कालिका प्रसाद ने भी भाग लिया और अपने विचार रखते हुए कहा कि शिव सत्संग मण्डल समाज में आध्यात्मिक चेतना का विस्तार कर रहा है। उन्होंने कहा कि ध्यान और भजन के माध्यम से व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है, जो एक सफल और संतुलित जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।  डॉ. प्रसाद ने सत्संग मंडल द्वारा संचालित आध्यात्मिक, सामाजिक और नैतिक गतिविधियों की भी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विकारों का त्याग कर यदि हम परमात्मा से सच्चा प्रेम और समर्पण भाव रखते हैं, तो जीवन में नई दिशा और गहराई मिलती है।  🕉️ "शिव" – चेतना की परम अवस्था: यमुना प्रसाद कार्यक्रम के व्यवस्था प्रमुख यमुना प्रसाद ने कहा कि शिव केवल एक देव नहीं, बल्कि चेतना की वह उच्चतम अवस्था हैं जो जाग्रत, स्वप्न और निद्रा से परे होती है – जिसे केवल ध्यान के माध्यम से ही अनुभव किया जा सकता है। उन्होंने शिव को ‘समाधि स्वरूप’ बताया, जहाँ मन स्थिर और पूर्णतः जागरूक होता है।  🙏 सत्संगियों ने व्यक्त किए विचार और भावनाएं वरिष्ठ सत्संगी रामअवतार, प्रेम कुमार, हनुमंत, सुदामा देवी, अधिवक्ता राम अवतार, शिक्षक विमल कुमार और श्री केशन सहित अन्य भक्तों ने साझा किया कि शिव ही वह मूल चेतना हैं, जहाँ से समस्त सृष्टि का आरंभ होता है और अंततः उसी में लीन हो जाती है। उन्होंने शिव को ‘विश्वरूप’ कहते हुए बताया कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड शिव तत्व से ही व्याप्त है।  🎶 भजन, प्रवचन और साधना का संगम सत्संगी नन्हें लाल ने ध्यान और भजन को जीवन की सफलता का मूल आधार बताया। सोमपाल ने भजन के लाभों पर प्रकाश डाला, जबकि रामौतार ने दान की महिमा, इंस्पेक्टर साहब ने सत्संग के प्रभाव, रवि वर्मा ने विभिन्न धार्मिक विचारधाराओं पर संवाद प्रस्तुत किया। शाकाहार को जीवन की आधारशिला के रूप में दर्शाया गया।  भक्ति रस में डूबे इस आयोजन में भजनोपदेशक भैयालाल, राजकुमार, योग प्रशिक्षक सत्यम सक्सेना, धनीराम, आशाराम, राम बहोरन, और सोमवती, वविता, सौम्या, रागिनी, नैन्सी, अमृता, मानवी, सुहानी, मनीष, ऋषभ और आयुष आदि ने हृदयस्पर्शी भजनों की प्रस्तुति दी।  🔆 धार्मिक आयोजन का शुभारंभ एवं समापन धर्मोत्सव का शुभारंभ प्रमुख प्रचारक प्रेम कुमार द्वारा दीप प्रज्वलन और बहन बेबी की सामूहिक ईश प्रार्थना से हुआ। कार्यक्रम का संचालन रवि वर्मा एवं डॉ. अजय पाल सिंह ने संयुक्त रूप से किया।  समापन पर सभी श्रद्धालुओं ने ब्रह्ममुहूर्त में उठकर परमेश्वर के नाम का सुमिरन करने का संकल्प लिया।
हरदोई (अम्बरीष कुमार सक्सेना)।सिकंदरपुर कल्लू स्थित संविलियन विद्यालय के सामने आयोजित शिव सत्संग मंडल के आंचलिक धर्मोत्सव में श्रद्धा, भक्ति और ध्यान की दिव्य अनुभूति देखने को मिली। इस अवसर पर मण्डलाध्यक्ष आचार्य अशोक ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि "आध्यात्मिक पथ और भक्ति ही आत्मा की सच्ची साधना का माध्यम हैं। संतों और भक्तों ने इसी मार्ग पर चलकर परमात्मा को अनुभव किया है।" उन्होंने विशेष रूप से गृहस्थ जीवन जीने वालों को कर्म और भक्ति के संतुलन से जीवन को सार्थक बनाने का संदेश दिया।

इस कार्यक्रम में शाहजहांपुर के जिला प्रमुख डॉ. कालिका प्रसाद ने भी भाग लिया और अपने विचार रखते हुए कहा कि शिव सत्संग मण्डल समाज में आध्यात्मिक चेतना का विस्तार कर रहा है। उन्होंने कहा कि ध्यान और भजन के माध्यम से व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है, जो एक सफल और संतुलित जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।

डॉ. प्रसाद ने सत्संग मंडल द्वारा संचालित आध्यात्मिक, सामाजिक और नैतिक गतिविधियों की भी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विकारों का त्याग कर यदि हम परमात्मा से सच्चा प्रेम और समर्पण भाव रखते हैं, तो जीवन में नई दिशा और गहराई मिलती है।

 "शिव" – चेतना की परम अवस्था: यमुना प्रसाद

कार्यक्रम के व्यवस्था प्रमुख यमुना प्रसाद ने कहा कि शिव केवल एक देव नहीं, बल्कि चेतना की वह उच्चतम अवस्था हैं जो जाग्रत, स्वप्न और निद्रा से परे होती है – जिसे केवल ध्यान के माध्यम से ही अनुभव किया जा सकता है। उन्होंने शिव को ‘समाधि स्वरूप’ बताया, जहाँ मन स्थिर और पूर्णतः जागरूक होता है।

 सत्संगियों ने व्यक्त किए विचार और भावनाएं

वरिष्ठ सत्संगी रामअवतार, प्रेम कुमार, हनुमंत, सुदामा देवी, अधिवक्ता राम अवतार, शिक्षक विमल कुमार और श्री केशन सहित अन्य भक्तों ने साझा किया कि शिव ही वह मूल चेतना हैं, जहाँ से समस्त सृष्टि का आरंभ होता है और अंततः उसी में लीन हो जाती है। उन्होंने शिव को ‘विश्वरूप’ कहते हुए बताया कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड शिव तत्व से ही व्याप्त है।

 भजन, प्रवचन और साधना का संगम

सत्संगी नन्हें लाल ने ध्यान और भजन को जीवन की सफलता का मूल आधार बताया।
सोमपाल ने भजन के लाभों पर प्रकाश डाला, जबकि रामौतार ने दान की महिमा, इंस्पेक्टर साहब ने सत्संग के प्रभाव, रवि वर्मा ने विभिन्न धार्मिक विचारधाराओं पर संवाद प्रस्तुत किया।
शाकाहार को जीवन की आधारशिला के रूप में दर्शाया गया।

भक्ति रस में डूबे इस आयोजन में भजनोपदेशक भैयालाल, राजकुमार, योग प्रशिक्षक सत्यम सक्सेना, धनीराम, आशाराम, राम बहोरन, और सोमवती, वविता, सौम्या, रागिनी, नैन्सी, अमृता, मानवी, सुहानी, मनीष, ऋषभ और आयुष आदि ने हृदयस्पर्शी भजनों की प्रस्तुति दी।

 धार्मिक आयोजन का शुभारंभ एवं समापन

धर्मोत्सव का शुभारंभ प्रमुख प्रचारक प्रेम कुमार द्वारा दीप प्रज्वलन और बहन बेबी की सामूहिक ईश प्रार्थना से हुआ।
कार्यक्रम का संचालन रवि वर्मा एवं डॉ. अजय पाल सिंह ने संयुक्त रूप से किया।

समापन पर सभी श्रद्धालुओं ने ब्रह्ममुहूर्त में उठकर परमेश्वर के नाम का सुमिरन करने का संकल्प लिया।

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