पंजाब में स्टाफ नर्सों की भारी कमी, स्वास्थ्य सेवाएँ गंभीर संकट में
Punjab faces acute shortage of staff nurses, health services in dire straits
Mon, 8 Dec 2025
(सुभाष आनंद – विभूति फीचर्स)
पंजाब सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों को खोखला साबित कर रही है। हाल ही में डेंगू से हुई मौतों ने यह उजागर कर दिया कि राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है।
भारत में इस समय करीब 18 लाख नर्सों की कमी बताई जा रही है। वर्ष 2020 में जहां नर्सों की संख्या 20 लाख 18 हजार थी, वहीं अब यह घटकर 17 लाख 22 हजार रह गई है। अकेले पंजाब में 25 हजार नर्सों के पद खाली हैं। निजी क्षेत्र में तो स्थिति और भी चिंताजनक है, जहाँ बड़ी संख्या में अनट्रेंड स्टाफ से काम चलाया जा रहा है।
नर्सिंग ट्रेनिंग संस्थानों में दाख़िलों में गिरावट के कारण कई प्रतिष्ठित नर्सिंग कॉलेज बंद हो चुके हैं। दूसरी ओर यूरोप, अमेरिका, इटली और स्पेन जैसे देशों में नर्सों की भारी माँग है, जिसके कारण भारतीय नर्सें विदेशों में जा रही हैं। केरल आज भी नर्सिंग के क्षेत्र में देश में सबसे आगे है, जबकि पंजाब इस क्षेत्र में पिछड़ रहा है।
अस्पतालों में आधे से अधिक पद खाली
पंजाब के अधिकांश अस्पतालों में स्टाफ नर्सों के 50% से अधिक पद खाली हैं। नतीजतन तैनात नर्सों को दो-दो वार्ड संभालने पड़ते हैं और उनकी छुट्टियाँ भी रोक दी जाती हैं।
कुछ अस्पतालों में स्थिति इतनी खराब है कि नाइट ड्यूटी पर तैनात नर्सें अपने कमरों में सोई रहती हैं, चाहे मरीज दर्द से तड़पता रहे—यह न केवल पेशे की गरिमा को ठेस पहुँचाता है बल्कि मरीजों की सुरक्षा पर भी प्रश्न खड़े करता है।
जच्चा-बच्चा वार्ड में कार्यरत नर्सों द्वारा बधाई की मांग, और मरीजों से रुखा व्यवहार भी लगातार शिकायतों में शामिल है। इसके विपरीत, केरल की नर्सें अपने व्यवहार और सेवा भावना के लिए जानी जाती हैं।
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नर्सिंग पेशे की अपनी समस्याएँ भी गंभीर
पंजाब में नर्सिंग पेशे में करियर ग्रोथ के विकल्प बेहद सीमित हैं।20 वर्ष का अनुभव होने के बाद भी नर्सों को दवाइयाँ लिखने तक का अधिकार नहीं है।
जबकि यूरोपीय देशों में ऑपरेशन के दौरान 70% एनेस्थीसिया संबंधी कार्य नर्सें करती हैं, वहीं पंजाब में यह जिम्मेदारी डॉक्टर निभाते हैं।
ट्रेंड स्टाफ की कमी के कारण कई अस्पतालों में वेंटिलेटर बंद पड़े हैं, जिससे गंभीर मरीजों को भारी जोखिम झेलना पड़ता है। इससे मजबूरन लोग प्राइवेट अस्पतालों का रुख करते हैं, जहाँ खर्च बढ़ जाता है।
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ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाएँ भी चरमराई
देशभर के 27 हजार से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से लगभग 25 हजार पीएचसी पर डॉक्टरों के पद खाली हैं।
ऐसे में ग्रामीण मरीज नीम-हकीमों पर निर्भर होने के लिए मजबूर हैं। यदि इन केंद्रों पर प्रशिक्षित नर्सों की नियुक्ति की जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा सुधार आ सकता है।
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सुरक्षा और आतंकवाद का खतरा भी एक मुद्दा
सूत्रों के अनुसार पंजाब में कुछ आतंकी संगठन अस्पतालों के माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल की हालिया घटना के बाद पंजाब सरकार ने नर्सों को सुरक्षा देने का वादा तो किया था, लेकिन वह अभी तक पाना मुश्किल है।
कई अस्पतालों में रात में सुरक्षा कर्मचारी तक नहीं होते, जिससे नर्सें भय के माहौल में काम करने को मजबूर हैं।
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जरूरत ठोस नीति और त्वरित कार्रवाई की
नर्सिंग स्टाफ की भारी कमी से न केवल स्वास्थ्य सेवाएँ प्रभावित हो रही हैं, बल्कि मरीजों की जान भी जोखिम में पड़ रही है। पंजाब सरकार को नर्सिंग क्षेत्र की मांगों पर सहानुभूति और गंभीरता से विचार करते हुए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।

