AI प्रज्ञा पहल: उत्तर प्रदेश सरकार का डिजिटल भारत की ओर बड़ा कदम

AI प्रज्ञा का उद्देश्य और प्रारंभ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 9 मई 2025 को 'AI प्रज्ञा' कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया था। यह पहल AI, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए बनाई गई है। इसका लक्ष्य है कि 2025 के अंत तक राज्य के 10 लाख नागरिकों को आधुनिक डिजिटल तकनीकों में दक्ष बनाया जा सके।
प्रथम प्रशिक्षण सत्र की शुरुआत लखनऊ से
इस पहल का पहला ऑन-ग्राउंड प्रशिक्षण सत्र आईटीआई अलीगंज, लखनऊ में 1एम1बी द्वारा आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार की विशेष सचिव, आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग तथा राज्य ई-गवर्नेंस समन्वयक सुश्री नेहा जैन, आईटीआई प्रिंसिपल राम कुमार यादव, आईटीईएस विभाग के प्रतिनिधि, छात्र, युवा, फैकल्टी सदस्य और अन्य अतिथि उपस्थित रहे।
सत्र में शामिल विषयों में शामिल थे:
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एआई का परिचय और उसकी भूमिका
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साइबर सुरक्षा के मूल सिद्धांत
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स्थानीय स्तर पर AI के उपयोग के केस स्टडी
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नैतिक एआई की अवधारणा
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AI से जुड़े करियर के अवसर
इस सत्र में 120 से अधिक छात्रों ने भाग लिया।
AI प्रज्ञा के माध्यम से युवाओं को मिलेगा नया विजन
विशेष सचिव नेहा जैन ने इस पहल को "राज्य के युवाओं के लिए एक परिवर्तनकारी अवसर" बताते हुए कहा,"AI प्रज्ञा का उद्देश्य हमारे युवाओं को जागरूक और दक्ष बनाकर उन्हें ग्लोबल डिजिटल इकोनॉमी में प्रतिस्पर्धी बनाना है। मैं सभी छात्रों से आह्वान करती हूं कि वे इन सत्रों में सक्रिय भाग लें, क्योंकि भविष्य AI आधारित ही होगा।"
उन्होंने साइबर सुरक्षा की बढ़ती भूमिका पर भी बल दिया और छात्रों से डिजिटल जोखिमों को समझने व उनसे निपटने की तैयारी करने को कहा।
हर क्षेत्र के युवाओं के लिए खुला अवसर
AI प्रज्ञा सिर्फ तकनीकी या इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि वाले छात्रों तक सीमित नहीं है। यह कला, शिक्षा, प्रशासन, और उद्यमिता से जुड़े सभी युवाओं के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके तहत प्रदेश भर में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे, ताकि विविध पृष्ठभूमि वाले छात्र इस अवसर का लाभ उठा सकें।
युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करने की दिशा में कदम
उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल राज्य को भारत का प्रमुख तकनीकी और प्रतिभा केंद्र बनाने की दिशा में एक सशक्त प्रयास है। यह सुनिश्चित करता है कि राज्य के नागरिक न केवल तकनीकी रूप से सशक्त हों, बल्कि भविष्य की नौकरियों के लिए पूरी तरह से तैयार भी रहें।