संसद के शीतकालीन सत्र 2025 में अमित शाह का तीखा हमला: RSS, असम आंदोलन और ‘वोट चोरी’ पर जोरदार बयान

 
Amit Shah's Explosive Parliament Speech: "Indira Gandhi Khooni Hai" Slogan & Attack on Congress


आज हम बात करने वाले हैं संसद के शीतकालीन सत्र 2025 में लोकसभा में हुए उस धमाकेदार भाषण की, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला। 10 दिसंबर 2025 को चुनाव सुधारों और स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने former prime minister  इंदिरा गांधी को लेकर एक ऐसा बयान दिया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।  विपक्ष ने RSS की विचारधारा पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि BJP संस्थाओं पर कब्जा कर रही है। जवाब में अमित शाह ने RSS की तारीफ की और कहा, "देश के लिए मरना ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा है। देश को समृद्धि के शिखर पर ले जाना, देश की संस्कृति का झंडा बुलंद करना – यही RSS की विचारधारा है। हम किसी से नहीं डरते!"फिर शाह ने अपनी व्यक्तिगत याद share की। उन्होंने कहा, "मैं अपनी बात करता हूं। मैं तो सिर्फ 10 साल का था, जब नारे लगाता था – 'असम की गलियां सूनी हैं, इंदिरा गांधी खूनी हैं!' हम तो वहां से लड़ते-लड़ते यहां तक आए हैं।

दोस्तों, ये नारा असम आंदोलन (1979-1985) से जुड़ा है। उस समय असम में विदेशी घुसपैठियों के खिलाफ बड़ा आंदोलन चला। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के नेतृत्व में लाखों लोग सड़कों पर उतरे। असम समझौता 1985 में हुआ, लेकिन आंदोलन के दौरान हिंसा हुई, जिसमें हजारों लोग मारे गए। कई लोग इंदिरा गांधी की नीतियों को इसके लिए जिम्मेदार मानते थे, क्योंकि घुसपैठियों को वोट बैंक बनाने का आरोप लगा। अमित शाह, जो उस समय गुजरात के थे, लेकिन RSS से जुड़े होने के कारण आंदोलनों में active थे, ने अपनी बचपन की याद ताजा की। ये बयान दिखाता है कि BJP कैसे पुराने मुद्दों को आज की राजनीति से जोड़ती है।अब बात विपक्ष के 'वोट चोरी' के आरोपों की। राहुल गांधी ने SIR को वोटर लिस्ट से नाम हटाने का तरीका बताया और EVM पर सवाल उठाए। अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा, "आप कहते हो हम वोट चोरी से जीते, लेकिन हम वोट चोरी से नहीं जीते!"फिर शाह ने कांग्रेस पर तीन बड़े 'वोट चोरी' के आरोप लगाए:  आजादी के बाद नेहरू को प्रधानमंत्री बनाना – जबकि सरदार पटेल को ज्यादा समर्थन था।  
इंदिरा गांधी का 1971 का रायबरेली चुनाव, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था, और बाद में इमरजेंसी लगाकर खुद को इम्युनिटी देना।  
सोनिया गांधी का भारतीय नागरिक बनने से पहले वोटर लिस्ट में नाम दर्ज होने का मामला (जो कोर्ट में चल रहा है)।

शाह ने SIR का बचाव करते हुए कहा कि ये process पहले भी नेहरू, इंदिरा, राजीव गांधी के समय हुई थी – 1952, 1957, 1961, 1983-84  में। 2004 के बाद पहली बार हो रही है, और इसका मकसद अवैध घुसपैठियों के नाम हटाना है – "डिटेक्ट, डिलीट, डिपोर्ट!"शाह ने आगे कहा, "आपने सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध किया, इसलिए हम जीते। article 370 हटाने का विरोध किया, राम मंदिर का विरोध किया, CAA, ट्रिपल तलाक हटाने का विरोध किया – इसलिए हम जीते और फिर जीतेंगे! वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध कर रहे हो, इसलिए आने वाले चुनावों में भी जीतेंगे।"भाषण के दौरान राहुल गांधी ने बीच में टोककर ओपन डिबेट की चुनौती दी, लेकिन शाह ने कहा, "मैं तय करूंगा क्या बोलना है!" विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया। बाद में राहुल गांधी ने कहा कि शाह घबराए हुए लग रहे थे.  ये भाषण BJP के लिए बड़ा बूस्ट है। PM मोदी ने भी शाह की तारीफ की और कहा कि उन्होंने विपक्ष की झूठी बातों को बेनकाब किया। कांग्रेस ने इसे इतिहास की तोड़-मरोड़ बताया।

 इस पूरे भाषण से साफ होता है कि भारतीय राजनीति में पुराने घाव अभी भी ताजा हैं। असम आंदोलन जैसे मुद्दे, इमरजेंसी की कड़वी यादें और कांग्रेस के दौर की नीतियां आज भी BJP के लिए बड़ा हथियार हैं। अमित शाह का ये बयान न सिर्फ संसद में तालियां बटोर रहा है, बल्कि सोशल मीडिया पर BJP समर्थकों के बीच जोश भर रहा है। वहीं कांग्रेस इसे व्यक्तिगत हमला बता रही है और कह रही है कि इंदिरा गांधी जैसे महान नेता पर इस तरह की टिप्पणी शोभा नहीं देती। लेकिन राजनीति में ऐसे बयान आम हैं, जो जनता के बीच भावनाएं जगाते हैं और वोट की राजनीति को प्रभावित करते हैं। आखिरकार, जनता ही फैसला करेगी कि कौन सही है और कौन  'खूनी' की राजनीति कर रहा है! आपको क्या लगता है? अमित शाह का ये बयान सही था या राजनीतिक हमला? कमेंट में बताएं!

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