लोक संस्कृति की अमृत साधिका: विजया भारती से विशेष बातचीत
(विनायक फीचर्स द्वारा प्रस्तुत)
🎵 “उग हो सुरज देव, अरघ के बेरिया…”
🎵 “पटना के महंगी पनवा, खाइब गमकदार हो…”
🎵 “मोरे राजा केंवड़िया खोल, रस के बूनी पड़े…”
🎵 “दुनिया में छा गए बिहारी रे, बोलो जय जय बिहारी…”
Tue, 21 Oct 2025

भारत की मिट्टी से जुड़ी लोक परंपराएं आज भी देश की आत्मा की गूंज हैं, और इन स्वरों को पिछले चार दशकों से संजो रही हैं – प्रसिद्ध लोकगायिका, कवयित्री और सांस्कृतिक चिंतक डॉ. विजया भारती।
लोकगायिकी की प्रेरणास्रोत
मुंबई में पली-बढ़ी, पर जड़ों से जुड़ी बिहार की बेटी विजया भारती भारतीय लोकसंगीत की एक विशिष्ट पहचान बन चुकी हैं। संगीत और हिंदी में डबल एम.ए. तथा विद्यावाचस्पति की उपाधि प्राप्त विजया न केवल गायन में सिद्धहस्त हैं, बल्कि लोकसंस्कृति की मर्मज्ञ, एंकर, कवयित्री और सांस्कृतिक नीति की सजग प्रहरी भी हैं।
आकाशवाणी और दूरदर्शन की टॉप ग्रेड कलाकार होने के साथ-साथ उन्होंने देश के लगभग हर राज्य और 20 से अधिक देशों में भारत की लोकसंस्कृति का परचम लहराया है। ‘बिहाने बिहाने’ जैसे लोकप्रिय कार्यक्रम को महुआ टीवी पर चार वर्षों तक प्रतिदिन एंकरिंग कर एक रिकॉर्ड भी बनाया।
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🌅 छठ गीतों की खास पहचान
छठ महापर्व के लोक गीतों में विजया भारती की विशेष पहचान है। वे बताती हैं:
> "इस वर्ष मैंने दो नए छठ गीत अपने यूट्यूब चैनल 'Indian Folk Star Vijay Bharati' पर रिलीज किए हैं — एक भोजपुरी और एक मैथिली में। इन दोनों गीतों को मैंने लिखा, सुर दिया और गाया है। इससे पहले भी मेरे दर्जनों छठ गीत विभिन्न चैनलों और म्यूजिक कंपनियों से रिलीज हो चुके हैं।"
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🎤 रंगमंच से लेकर बॉलीवुड तक
विजया भारती का सांगीतिक सफर भारत के मंचों से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा है। वे साझा करती हैं:
> "मैंने अमिताभ बच्चन, यश चोपड़ा, अमरीश पुरी, गोविंदा जैसे दिग्गजों के साथ मंच साझा किया है। ICCR के तहत मैंने रूस, ब्रिटेन, त्रिनिडाड, जर्मनी सहित 22 देशों में प्रस्तुति दी। त्रिनिडाड के एक अखबार ने मेरे कार्यक्रम को ‘Electrifying Bharati’ कहा — यह मेरे लिए गौरव का क्षण था।”
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सांस्कृतिक संरक्षण की पक्षधर
विजया भारती सांस्कृतिक राजनीति पर मुखर हैं:
> "कई बार राजनीतिक संबंधों के कारण कलाकारों को मंच मिलते हैं, जिससे प्रतिभाशाली कलाकारों के साथ अन्याय होता है। मेरा जुड़ाव राजनीति से उतना ही है जितना किसी आम नागरिक का। मैंने कभी किसी राजनीतिक संपर्क का लाभ नहीं लिया।"
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साहित्यिक यात्रा और सामाजिक योगदान
10 कविता संग्रह और एक कहानी संग्रह प्रकाशित कर चुकीं विजया भारती ने 'बेटी बचाओ', 'कुपोषण', 'पर्यावरण संरक्षण', 'बाल श्रम' जैसे सामाजिक अभियानों को लोकगीतों के माध्यम से जनमानस तक पहुँचाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उन्हें इन अभियानों में आमंत्रित भी किया गया।
उनकी चर्चित पुस्तकों में “रंग पिया का सोहना”, “वतन पे कुर्बान” जैसी कृतियाँ शामिल हैं। गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा और जनरल वी.के. सिंह जैसे गणमान्य अतिथियों ने उनकी कृतियों का विमोचन किया है।
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भारत की माटी से विश्व मंच तक
भारत के लगभग हर राज्य — बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र सहित अनेक स्थानों पर हजारों प्रस्तुतियां देने के अलावा उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर 22 देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। मुंबई में छठ पर्व पर उनके कार्यक्रमों की निरंतर 17 वर्षों तक प्रस्तुति उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है।
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संगीत और फिल्म में योगदान
रवींद्र जैन के संगीत निर्देशन में उन्होंने ‘धर्मयुद्ध’ और ‘गांव आजा परदेसी’ जैसी फिल्मों में स्वर दिया है। ‘टूटे ना सनेहिया के डोर’ में उन्होंने अभिनय भी किया है। जुहू बीच जैसे प्रतिष्ठित मंचों पर उन्होंने अमिताभ बच्चन, शारदा सिन्हा, उदित नारायण, मनोज तिवारी, रवींद्र जैन, पूनम ढिल्लों, जितेंद्र जैसे कलाकारों के साथ प्रस्तुति दी है।
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भारत की पुकार – लोक का संरक्षण
विजया भारती का स्पष्ट संदेश है:
> "यह अमृत काल है। अब समय आ गया है कि लोकसंस्कृति को केवल उत्सव की शोभा न मानकर, राष्ट्रीय नीति का हिस्सा बनाया जाए। मेरी पुकार है — लोक की समृद्ध परंपरा का संरक्षण, संवर्धन और सशक्त प्रोत्साहन हो।"
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संस्कृति की एकता का संदेश
> "उत्तर के लोकगीतों को दक्षिण के सुरों से, पूर्व के भावों को पश्चिम की धुनों से जोड़ना होगा। यही भारत की सांस्कृतिक एकता का आधार है।"
