शक्ति का मद और सनकभरा शासक

a power-obsessed and eccentric ruler
 
शक्ति का मद और सनकभरा शासक

(लेखक: सुधाकर आशावादी | विनायक फीचर्स)

इतिहास में ऐसे अनेक शासकों का ज़िक्र मिलता है जो सत्ता के नशे में चूर होकर मनमाने निर्णय लेते रहे हैं। कभी किसी ने चमड़े के सिक्के चलवा दिए, तो किसी ने बिना वजह युद्ध की आग में अपने राज्य को झोंक दिया। ऐसे फैसले किसी तर्क या विवेक से नहीं, बल्कि सनक से प्रेरित होते हैं। दरअसल, जब किसी पर सनक सवार हो जाती है, तो वह व्यक्ति अपनी बुद्धि, विवेक और मर्यादा – सब कुछ भूल जाता है।

सत्ता जब विवेक पर हावी हो जाती है, तो शासक की चाल, चरित्र और चेहरे को पहचानना कठिन हो जाता है। जीवन का सिद्धांत स्पष्ट है – समय एक जैसा नहीं रहता। जैसे कहा गया है – "सातों दिन भगवान के, क्या मंगल क्या पीर, जिस दिन सोया देर तक, भूखा रहा फकीर।" शक्ति और वैभव का मोह किसी को भी भ्रमित कर सकता है, लेकिन समय आने पर वही शक्तिशाली व्यक्ति भी कमज़ोरी का अनुभव करता है।

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मैंने खुद ऐसे पहलवान देखे हैं, जो अपने बल के मद में खुद को अजेय समझते थे, लेकिन एक दिन मोहल्ले के दुबले लड़के से भी आँख चुराते दिखे। इससे यह सीखा कि जब शक्ति का घमंड सोचने-समझने की शक्ति छीन ले, तो वही शक्ति व्यक्ति को दुर्बल बना देती है।

आज के दौर में भी एक व्यापारी, जिसे एक समृद्ध राज्य की सत्ता सौंप दी गई, खुद को चक्रवर्ती सम्राट समझ बैठा। सत्ता हाथ में आते ही उसने बाकी राज्यों को धमकाना शुरू कर दिया – या तो उसके अधीन व्यापार करो, या उसका कोप सहो। कुछ राज्य उसकी धमकी से डर गए, तो कुछ ने डटकर जवाब दिया।

एक राज्य ने साफ कहा – "तुम्हें खुद को सम्राट मानना है, ठीक है, लेकिन हमारी सीमाओं में दखल देना बंद करो।"
दूसरे ने कहा – "हम स्वाभिमान से समझौता नहीं करेंगे। हम किसी तानाशाह की सनक के आगे झुकने वाले नहीं हैं।"
तीसरे ने उसे चेतावनी दी –
"ग़लतफहमी में मत रहो, तुम्हारा यह घमंड बहुत दिन नहीं टिकेगा। जब सत्ता नहीं रहेगी, तब कोई बात भी नहीं करेगा।"

परंतु जो सनकी होता है, वह कहाँ मानता है। एक बार जब सत्ता की सनक मन में घर कर लेती है, तो वह अपने तथाकथित मित्रों से भी विश्वासघात करने में संकोच नहीं करता। राजनीति में न कोई स्थायी मित्र होता है, न दुश्मन – यह शासकों की पहली पाठशाला है। मगर जब यही पाठ कोई सनकी शासक भूल जाए, तो संकट निश्चित होता है। वर्तमान प्रतिस्पर्धी युग में हर राष्ट्र को सजग रहना होगा। सनकी शासकों को यदि समय रहते उनकी सीमाओं का बोध न कराया जाए, तो उनकी सनक पूरे संसार के लिए खतरा बन सकती है। अंततः दोष उस शासक का नहीं, बल्कि उन लोगों का होता है जो समय रहते उसकी सनक को पहचान नहीं पाते।

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