प्रशासनिक नियंत्रण के नाम पर किया जा रहा कोई भी दबाव न्यायिक प्रणाली की स्वतंत्रता में सीधा हस्तक्षेप है: व्यापारी नेता अमरनाथ मिश्रा

Any pressure being exerted in the name of administrative control is a direct interference in the independence of the judicial system: Business leader Amarnath Mishra
Any pressure being exerted in the name of administrative control is a direct interference in the independence of the judicial system: Business leader Amarnath Mishra
उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ(आर एल पांडेय)। सेल्स टैक्स, वाणिज्य कर, व्यापार कर एवं माल एवं सेवा कर अधिनियम के अन्तर्गत विवादित आदेशों के विरूद्ध दाखिल अपीलों के निस्तारण हेतु न्यायिक प्रक्रिया में प्रशासनिक/विभागीय हस्तक्षेप एवं दबाव बनाने के विरूद्ध प्रत्यावेदन

मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में कहा गया है कि उपरोक्त वर्णित विषय आपके अधीनस्थ राज्य कर विभाग से सम्बन्धित है। जी.एस.टी. व्यवस्था के अनुसार, व्यापारी एक पक्षकार है तथा राज्य सरकार की प्रतिनिधि विभागीय अधिकारी दूसरा पक्ष है। वर्तमान में, विभागीय अधिकारियों द्वारा न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया जा रहा है, जिसका एसोसियेशन घोर विरोध करता है और निन्दा करता है।

यह विशेष रूप से चिन्ताजनक है कि विभाग एवं एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-2 (अपील) के समक्ष एक पक्षकार है। इस स्थिति में, प्रशासनिक नियंत्रण के नाम पर किया जा रहा कोई भी दबाव न्यायिक प्रणाली की स्वतंत्रता में सीधा हस्तक्षेप है। यह न केवल अनुचित है बल्कि न्याय के मूलभूत सिद्धान्तों के भी विपरीत है।

पिछले हस्तक्षेप का एक उदाहरण 2023 में देखा गया, जब विभाग के कमिश्नर द्वारा एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-2 (अपील) की वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया कि हस्तक्षेप किया गया।इस दौरान व्यापारियों को राहत देने पर नाराजगी व्यक्त की गई है। परिणामस्वरूप, न्यायिक कार्य लग्नित रहे और व्यापारियों को न्याय प्राप्ति में कठिनाई हुई।

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नवीनतम चिन्ता यह है कि प्रमुख सचिव ने दिनांक 27-08-2024 को एक वर्चुअल मीटिंग आयोजित की है, जिसमें उन्होंने जोर देकर कहा है कि मूल्यांकन वर्ष 2017-18 की लम्बित अपीलों का निपटारा दिनांक 31-08-2024 से पहले अविलम्ब किया जाए। यह निर्देश न केवल अत्यन्त कठोर है, बल्कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्तों के विरूद्ध भी है। इस प्रकार का दबाव अपीलीय अधिकारियों को एकपक्षीय (एक्स-पार्टी) आदेश पारित करने के लिए मजबूर कर सकता है, जो व्यापारियों के हितारें और न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को गम्भीर रूप से प्रभावित करेगा।

इसके अतिरिक्त प्रमुख सचिव ने सभी अपीलीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे दैनिक आधार पर उन्हें ऑनलाइन निपटान रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह निर्देश न्यायिक स्वायत्तता पर सीधा आक्रमण है और अपीलीय अधिकारियों पर अनुचित दबाव डालता है।

इससे भी अधिक गम्भीर बात यह है कि दिनांक 26-08-2024 को प्रमुख सचिव ने लखनऊ कार्यालय में अपीलीय फाइलों के निरीक्षण की मांग की। यह कार्यवाही न्यायिक प्रक्रिया की गोपनीयता और स्वतंत्रता का उल्लंघन है।

यह स्पष्ट है कि ये सभी कार्यवाहियां अपीलीय प्राधिकारियों को धमकाने और उन्हें राजस्व के पक्ष में निर्णय लेने के लिए मजबूर करने का एक स्पष्ट प्रयास है। यह न्यायिक प्रणाली की मूल भावना के विपरीत है। जैसा कि कहा जाता है "डरे हुए न्यायाधीश से न्याए मिलना सम्भव नहीं है।"

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यह ध्यान देने योग्य है कि कराधान व्यवस्था में एक प्रभावी न्यायिक प्रणाली प्रदाना करना "व्यापार करने में सुगमता" (ease of doing business) के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यह न केवल व्यापारियों के हितों की रक्षा करता है, बल्कि सरकार की छवि को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। एक निष्पक्ष और स्वतंत्र न्यायिक प्रणाली निवेशकों का विश्वास बढ़ाती है और राज्य के आर्थिक विकास में योगदान देती है।रोल्स टैक्स बार एसोसियेशन की मांग है कि न्यायिक प्रक्रिया में प्रशासनिक हस्तक्षेप और दवाव को तत्काल प्रतिगन्धित किया जाए। यदि हस्तक्षेप नहीं रोका जा सकता, तो जी.एस.टी. अधिनियम के अन्तर्गत अपील से सम्बन्धित न्यायालय को समाप्त किया जाए, ताकि व्यापारी शीधे उच्च न्यायालय से निष्पक्ष न्याय प्राप्त कर सके।

अतः हमारा अनुरोध है कि आप इस विषय की गम्भीरता को समझते हुए इसकी सभीक्षा करें और सकारात्मक निर्देश जारी करें। प्रान्त के व्यापारियों को निष्पक्ष न्याय दिलाने हेतु आपका हस्तक्षेप अत्यन्त आवश्यक है साथ ही प्रमुख सचिव द्वारा दिये गये नवीनतम निर्देशों की समीक्षा करें आरैर उन्हें निरस्त करने पर विचार करें।

न्यायिक प्रक्रिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता बनाए रखना न केवल व्यापारियों के हित में है, बल्कि यह एक स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था और राज्य की आर्थिक प्रगति के लिए भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

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