अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल लखनऊ ने कोलोरेक्टल कैंसर की रोकथाम के लिए शुरू किया ‘कोलफिट’स्क्रीनिंग प्रोग्राम

Apollomedics Hospital Lucknow launches ‘Colfit’ screening program for prevention of colorectal cancer
 
Apollomedics Hospital Lucknow launches ‘Colfit’ screening program for prevention of colorectal cancer
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।भारत में कोलोरेक्टल कैंसर (सीआरसी) के बढ़ते मामलों को देखते हुए, अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल, लखनऊ ने अपोलो कैंसर सेंटर्स के अंतर्गत ‘कोलफिट’ नाम से एक व्यापक जांच कार्यक्रम की शुरुआत की है। इसका मकसद इस कैंसर का समय रहते पता लगाना और उसे बढ़ने से रोकना है, ताकि इलाज आसान हो, लागत कम हो और देर से पहचान होने की समस्या पर काबू पाया जा सके। फिलहाल, देर से पता चलने के कारण इलाज मुश्किल हो जाता है और स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव भी बढ़ जाता है।

अपोलोमेडिक्स द्वारा शुरू किए गए ‘कोलफिट’ कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर कई विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपस्थिति रही, जिनमें डॉ. वासिफ रज़ा, एसोसिएट डायरेक्टर, कोलोरेक्टल और जनरल सर्जरी; डॉ. राजीव रंजन सिंह, एसोसिएट डायरेक्टर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी; डॉ. जयेन्द्र शुक्ल, कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी; डॉ. सतीश के. आनंदन, कंसल्टेंट; और डॉ. हर्षित श्रीवास्तव, कंसल्टेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी शामिल थे। इन सभी विशेषज्ञों ने कोलोरेक्टल कैंसर की समय रहते पहचान और उसके प्रभावी इलाज की दिशा में इस तरह के स्क्रीनिंग प्रोग्राम की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।

अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल द्वारा शुरू किया गया कोलफिट प्रोग्राम बुज़ुर्गों और युवाओं दोनों में इस कैंसर की समय पर पहचान बढ़ाने पर ज़ोर देता है। भारत में सीआरसी के मामले भले ही प्रति लाख जनसंख्या में कम दिखते हों (पुरुषों में 7.2 और महिलाओं में 5.1), लेकिन देश की एक अरब से ज़्यादा आबादी को देखते हुए इनकी संख्या बहुत बड़ी हो जाती है। चिंताजनक बात यह है कि भारत में इस कैंसर में पांच साल तक ज़िंदा रहने की संभावना 40% से भी कम है, जो दुनिया में सबसे कम में से एक है। कॉनकॉर्ड-2 अध्ययन के मुताबिक, भारत के कुछ क्षेत्रों में मलाशय कैंसर के मामलों में यह दर और घट रही है।

कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। इनमें लगातार पेट साफ होने की आदतों में बदलाव (जैसे लंबे समय तक दस्त या कब्ज), मल में खून आना, बिना वजह वजन घटाना, पेट में लगातार दर्द या बेचैनी शामिल हैं। इसके जोखिम बढ़ाने वाले कारणों में कम फाइबर वाला खाना, कम शारीरिक गतिविधि, मोटापा, परिवार में यह बीमारी होना और कुछ आनुवंशिक कारण शामिल हैं।

अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल का कोलफिट प्रोग्राम इस कैंसर की जांच के लिए फीकल इम्यूनोकेमिकल टेस्ट (एफआईटी) को अपनाता है, जो एक सरल, बिना चीरफाड़ वाली और बेहद असरदार जांच है। यह मल में छिपे खून की पहचान करता है, जो बीमारी की शुरुआती निशानी हो सकती है। इसकी खास बात यह है कि यह सिर्फ एक नमूने से काम करता है, सटीकता ज़्यादा है और किसी खास परहेज़ की ज़रूरत भी नहीं होती, जिससे मरीज को किसी तरह की असुविधा नहीं होती।

अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल, लखनऊ के एम.डी. और सी.ई.ओ., डॉ. मयंक सोमानी ने कहा, “हमारा मकसद सिर्फ इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को जागरूक बनाना और समय रहते जांच करवाना आसान बनाना है। कोलफिट प्रोग्राम के ज़रिए हम चाहते हैं कि लोग खुद को लेकर सजग हों। एफआईटी जैसी आसान और असरदार जांचों से हम इसे आसान बना रहे हैं। हमारी आधुनिक तकनीक और अनुभवी डॉक्टरों की टीम यह सुनिश्चित करती है कि हर मरीज को उसके लिए सबसे सही और व्यक्तिगत देखभाल मिले, जिससे उसकी ज़िंदगी की गुणवत्ता बेहतर हो सके।”

विशेषज्ञों का कहना है कि अब यह कैंसर सिर्फ बुज़ुर्गों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि युवाओं में भी तेज़ी से फैल रहा है। फिर भी ज़्यादातर मरीज तब सामने आते हैं जब बीमारी काफ़ी बढ़ चुकी होती है—करीब 50% मामलों में कैंसर देर से पता चलता है और 20% से ज़्यादा मामलों में यह शरीर के और हिस्सों में फैल चुका होता है। ऐसे में समय पर जांच और लोगों में जागरूकता फैलाना ज़रूरी हो गया है।

अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल, लखनऊ का यह कार्यक्रम इलाज से पहले पहचान और देखभाल को प्राथमिकता देता है। कोलोरेक्टल कैंसर उन बीमारियों में से है जिन्हें समय रहते पकड़ा जाए तो पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। खासतौर से जिन लोगों के परिवार में यह बीमारी रही हो या जिनमें ऊपर बताए गए लक्षण दिखें, उन्हें नियमित जांच करानी चाहिए। एफआईटी जैसी जांचें, समय पर कोलोनोस्कोपी और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाकर इस कैंसर को बढ़ने से रोका जा सकता है और अनगिनत ज़िंदगियाँ बचाई जा सकती हैं|

Tags