23 अप्रैल विश्व पुस्तक दिवस पर विशेष

लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।हर घर ध्यान अभियान के राष्ट्रीय संयोजक अम्बरीष कुमार सक्सेना के अनुसार 23 अप्रैल को हर साल विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों में पुस्तकों के प्रति प्रेम, पढ़ने की आदत, लेखन, प्रकाशन और कॉपीराइट के महत्व को बढ़ावा देना है।यूनेस्को ने 1995 में इस दिन को वर्ड बुक एंड कॉपी राइट डे के रूप में घोषित किया।23 अप्रैल को ही कई महान लेखकों की पुण्यतिथि या जन्मतिथि होती है। जैसे विलियम शेक्सपियर एवंमिगुएल डे सर्वांतेस की मृत्यु तिथि 22 अप्रैल 1616 है।
इस दिन स्कूलों, कॉलेजों, पुस्तकालयों और साहित्यिक संस्थानों में पुस्तक मेलों, वाचन कार्यक्रमों और लेखकों के संवाद जैसे आयोजन होते हैं।23 अप्रैल - विश्व पुस्तक दिवस, यह दिन न केवल पुस्तकों की महत्ता को समझने का अवसर है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि ज्ञान, विचार और संस्कृति का सबसे सशक्त माध्यम "पुस्तक" ही है।
पुस्तकें हमारे जीवन की सच्ची साथी हैं। जब हम अकेले होते हैं, तो किताबें हमें सहारा देती हैं; जब हम दुखी होते हैं, तो वे हमें सान्त्वना देती हैं; और जब हम ज्ञान की तलाश में होते हैं, तो यही किताबें हमें रास्ता दिखाती हैं। एक अच्छी किताब हमें दुनिया की सैर करा सकती है, बिना हमें अपनी जगह से हिलाए।
23 अप्रैल को यह दिवस मनाने के पीछे भी एक खास कारण है—इस दिन महान लेखकों विलियम शेक्सपियर और मिगुएल दे सर्वांतेस का निधन हुआ था। इसलिए यह दिन साहित्य और लेखन के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के रूप में चुना गया।आज के डिजिटल युग में जहाँ मोबाइल और इंटरनेट ने हमारी दुनिया को बदल दिया है, वहाँ पुस्तकों की अहमियत और भी बढ़ जाती है। डिजिटल सामग्री तात्कालिक हो सकती है, लेकिन एक पुस्तक में जो गहराई होती है, वह अमूल्य होती है।तो आइए, आज हम यह संकल्प लें कि हम न केवल पढ़ेंगे, बल्कि दूसरों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे। क्योंकि जैसा कि कहा गया है —"अच्छी किताबें पढ़ना, बीते युगों के महान लोगों से बातचीत करने जैसा है।" आप सभी को विश्व पुस्तक दिवस की शुभकामनाएं!