एशिया की जलवायु पर संकट गहराया: तापमान, समुद्र और ग्लेशियर सभी दे रहे चेतावनी

साल 2024 एशिया के लिए सिर्फ गर्म नहीं, बल्कि एक बड़े जलवायु संकट की चेतावनी लेकर आया। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की नवीनतम रिपोर्ट "State of the Climate in Asia 2024" यह दर्शाती है कि एशिया दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में लगभग दोगुनी गति से गर्म हो रहा है, और इसके प्रभाव हर क्षेत्र में—समंदर से लेकर पहाड़ों तक—दिखाई दे रहे हैं।
रिकॉर्ड तोड़ गर्मी: एशिया बन गया हीटवेव ज़ोन
2024 में एशिया का औसत तापमान 1991–2020 के मुकाबले 1.04°C अधिक रहा। चीन, जापान, कोरिया और म्यांमार जैसे देशों में महीनों तक हीटवेव बनी रही। म्यांमार में पारा 48.2°C तक पहुंचा, जिससे हालात असहनीय हो गए और गर्मी से मौतों का खतरा बढ़ गया।
समुद्र भी गर्माने लगे हैं, दोगुनी रफ्तार से
WMO की रिपोर्ट बताती है कि समुद्री सतह का तापमान अब हर दशक में 0.24°C की दर से बढ़ रहा है, जो वैश्विक औसत से लगभग दोगुना है। 2024 में मरीन हीटवेव्स ने 15 मिलियन वर्ग किलोमीटर समुद्र को प्रभावित किया—यह वैश्विक महासागरीय क्षेत्र का लगभग 10% हिस्सा है।इसका गंभीर असर समुद्री जीवन, मत्स्य पालन, और तटीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा है—खासकर भारत के तटीय राज्यों और छोटे द्वीप राष्ट्रों के लिए यह संकट और गहरा गया है।
हिमालय के ग्लेशियर दे रहे खतरनाक संकेत
हाई माउंटेन एशिया, यानी तिब्बती पठार और हिमालय क्षेत्र, को "तीसरा ध्रुव" कहा जाता है।
लेकिन 2023–24 में 24 में से 23 ग्लेशियरों ने अपना द्रव्यमान खोया।
मध्य हिमालय में बर्फबारी कम हुई, और अत्यधिक गर्मी के चलते ग्लेशियर पिघलने की दर में वृद्धि दर्ज हुई।
उरुमची ग्लेशियर नंबर 1 ने रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की—यह 1959 से मॉनिटर किया जा रहा है।
ग्लेशियर पिघलने से GLOFs (ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड्स) और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे लाखों लोगों की जल सुरक्षा और जीवनशैली प्रभावित हो रही है।
जब बाढ़ और सूखा एक साथ बरसते हैं
- 2024 में एशिया के विभिन्न क्षेत्रों ने दोहरी आपदा झेली
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नेपाल: सितंबर की बाढ़ में 246 मौतें, लेकिन 1.3 लाख लोग समय रहते रेस्क्यू हुए।
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भारत (केरल): 30 जुलाई को भारी बारिश (48 घंटे में 500 मिमी+) से 350 से अधिक मौतें और भूस्खलन।
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चीन: सूखे ने 4.8 मिलियन लोगों को प्रभावित किया, ₹400 करोड़ का नुकसान।
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UAE: 24 घंटे में 259.5 मिमी बारिश—इतिहास की सबसे ज्यादा।
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कज़ाकिस्तान-रूस: 70 वर्षों की सबसे बड़ी बाढ़, 1.18 लाख लोग बेघर।
चेतावनी सिस्टम ने बचाई जानें: नेपाल से मिली प्रेरणा
रिपोर्ट में नेपाल की "अर्ली वार्निंग सिस्टम" को एक सफलता मॉडल के रूप में बताया गया है।
सरकारी एजेंसियों, स्थानीय प्रशासन और समुदायों के बीच तालमेल ने हजारों लोगों की जान बचाई।
यह बताता है कि जलवायु आपदा से बचाव का सबसे कारगर उपाय समय पर चेतावनी और तैयार प्रशासन है।
आंकड़ों से नहीं, तैयारी और कहानियों से लड़ें जलवायु संकट
WMO की महासचिव सेलेस्टे साओलो ने कहा: “जलवायु अब केवल मौसम की बात नहीं रह गई—यह आजीविका, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा का सवाल है।”
समाधान की दिशा में कदम
गांव से शहर तक स्थानीय वेदर अलर्ट सिस्टम मजबूत करना
स्कूलों, पंचायतों और मीडिया में जलवायु शिक्षा को प्राथमिकता देना
और सबसे अहम—स्थानीय कहानियों और अनुभवों के ज़रिये जन-जागरूकता फैलाना।
क्योंकि आंकड़े डराते हैं, लेकिन कहानियां सिखाती हैं।