अटल स्मृति वर्ष : मोदी जी के संकल्पों में साकार होते अटल विचार

Atal Memorial Year Atal's ideas taking shape in Modi ji's resolutions
 
अटल स्मृति वर्ष : मोदी जी के संकल्पों में साकार होते अटल विचार

(हेमंत खंडेलवाल — विभूति फीचर्स)

25 दिसंबर केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की वैचारिक यात्रा का स्मरण दिवस है। यह वह दिन है, जब राष्ट्र युगदृष्टा नेता श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्मजयंती मनाता है। उनका जन्मशताब्दी वर्ष हमें उनके विचारों, संकल्पों और सपनों को और गहराई से आत्मसात करने का अवसर देता है। भारतीय जनता पार्टी द्वारा इस कालखंड को अटल स्मृति वर्ष के रूप में मनाना, अतीत के गौरव को वर्तमान की जिम्मेदारी और भविष्य के संकल्प से जोड़ने का सशक्त प्रयास है।

अटल जी का व्यक्तित्व विचार और संवेदना का दुर्लभ संगम था। वे दृढ़ राष्ट्रवादी थे, किंतु संवाद और सहमति के प्रबल पक्षधर भी। सत्ता में रहते हुए भी उनकी भाषा में मर्यादा और व्यवहार में विनम्रता रही। कविता उनकी आत्मा थी और राष्ट्रसेवा उनका जीवन-संकल्प। यही कारण है कि वे केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की गरिमा के प्रतीक के रूप में स्मरण किए जाते हैं।

प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी ने सुशासन को व्यवहार में उतारा। पोखरण परमाणु परीक्षणों ने भारत की सामरिक आत्मनिर्भरता को नई पहचान दी, तो कारगिल जैसे कठिन समय में उन्होंने संपूर्ण राष्ट्र को एकजुट नेतृत्व प्रदान किया। स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और दूरसंचार क्षेत्र में किए गए सुधार—ये सभी उस विकसित भारत की आधारशिला बने, जिसकी दूरदृष्टि अटल जी ने वर्षों पहले देख ली थी।

हेमंत खण्डेलवाल

अटल बिहारी वाजपेयी जी का मध्यप्रदेश से संबंध केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और भावनात्मक भी था। ग्वालियर उनकी कर्मभूमि रहा। ग्वालियर की जनता ने जब उन्हें लोकसभा में भेजा, तो वह केवल एक चुनावी विजय नहीं थी, बल्कि कठिन समय में दिया गया वह विश्वास था, जिसने अटल जी को राष्ट्रीय नेतृत्व की नई ऊर्जा प्रदान की।

श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्मभूमि ग्वालियर को यह भी गौरव प्राप्त है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानवदर्शन की वैचारिक धारा को यहीं प्रथम स्वर मिला। अटल जी की विचारशील राजनीति और एकात्म मानवदर्शन की यह संगति ग्वालियर को भारतीय लोकतंत्र की वैचारिक चेतना का एक विशेष केंद्र बनाती है।

अटल जी की जन्मशताब्दी के अवसर पर ग्वालियर का पुनः राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में आना कोई संयोग नहीं, बल्कि वैचारिक निरंतरता का प्रतीक है। 25 दिसंबर को माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी का ग्वालियर आगमन तथा अभ्युदय एमपी ग्रोथ समिट-2025 जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम में उनकी सहभागिता, अटल जी की विकास-दृष्टि को वर्तमान भारत से जोड़ने वाला सशक्त संदेश है। जिस ग्वालियर ने अटल जी को राष्ट्रनेतृत्व की दिशा दी थी, वही ग्वालियर आज उनके विचारों के अनुरूप विकास, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के नए अध्याय का साक्षी बन रहा है।

अटल जी का सपना था—एक ऐसा भारत जो मजबूत भी हो और संवेदनशील भी; जो विकास करे, पर मूल्यों से विमुख न हो; जो आत्मनिर्भर बने, पर विश्व से संवाद बनाए रखे। आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में विकसित भारत-2047 की दिशा में आगे बढ़ता राष्ट्र उसी अटल दृष्टि का आधुनिक और सशक्त विस्तार है। डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, सुदृढ़ आधारभूत संरचना और वैश्विक मंच पर भारत की निर्णायक भूमिका—ये सभी अटल जी के स्वप्न को साकार करते प्रतीत होते हैं।

अटल जी के विचारों की दृढ़ता को यदि किसी ने निकट से जिया है, तो वह हमारी पीढ़ी है। मुझे स्मरण है वर्ष 1980 का वह समय, जब मैं मात्र 16 वर्ष का था। उसी वर्ष मेरे पिताजी, स्वर्गीय विजय खंडेलवाल जी, बैतूल जिले के पहले निर्वाचित भाजपा जिला अध्यक्ष बने। जनता पार्टी से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई थी। संख्या बल सीमित था, कार्यकर्ताओं पर दबाव था, सत्ता के आकर्षण को त्याग कर हम एक कठिन किंतु वैचारिक यात्रा पर निकले थे।

उसी दौर की एक स्मृति आज भी मन में ताज़ा है। अटल बिहारी वाजपेयी जी हमारे घर आए थे—साधारण वातावरण, खाने की मेज़ पर आत्मीय बातचीत, कभी हल्की मुस्कान, कभी सहज ठहाका। वे कभी बोझिल नहीं दिखते थे। चुनौतियाँ थीं, लेकिन उनके चेहरे पर निराशा नहीं होती थी। वे कहते थे—“आज हम कम ज़रूर हैं, पर हमारा भरोसा मजबूत है, और यही भरोसा आगे चलकर ताक़त बनेगा।” उनका विश्वास यही था कि यह मार्ग सत्ता का नहीं, राष्ट्रसेवा का मार्ग है।उनकी वही सहजता, आत्मबल और भविष्य पर अडिग विश्वास हम जैसे युवाओं के लिए उस समय सबसे बड़ा संबल बन गया।

आज पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो प्रतीत होता है कि अटल जी की वही अडिग दृष्टि यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में पूर्ण सिद्धि को प्राप्त हुई है। भारतीय जनता पार्टी आज विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। यह केवल संगठनात्मक विस्तार नहीं, बल्कि विचार की विजय है। भाजपा आज सत्ता की राजनीति नहीं, बल्कि जनकल्याण, लोककल्याण और सेवा-आधारित सुशासन का पर्याय बन चुकी है।

अटल जी का वह विश्वास, जो 1980 में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में व्यक्त हुआ था, आज विकसित भारत के संकल्प के रूप में साकार खड़ा है—आत्मविश्वास से भरा, संकल्पबद्ध और राष्ट्रहित को समर्पित। अटल स्मृति वर्ष हम सभी के लिए अवसर है कि हम अपने सार्वजनिक जीवन, सामाजिक आचरण और राष्ट्रीय कर्तव्यों में उन मूल्यों को अपनाएँ, जिनका प्रतिनिधित्व अटल जी करते थे। उनके विचारों को केवल स्मरण में नहीं, बल्कि आचरण में उतारना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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