पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर अत्याचार: जे सी गुप्ता

Atrocities on Hindus in West Bengal: JC Gupta
 
Atrocities on Hindus in West Bengal: JC Gupta
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।शिक्षाविद् जे सी गुप्ता ने कहा कि पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के विरोध का बहाना बना कर साजिशन मुस्लिम बहुल जिलों विशेष कर मुर्शिदाबाद में हिंदुओं पर जुल्म किया जाना ओर कश्मीरी पंडितों की तरह प्रवास के लिए मजबूर करने की कोशिश भारतीय  शासन व्यवस्था के लिए खुली चुनौती माना जाना चाहिए। इस कुकृत्य में न केवल स्थानीय भारतीय मुसलमान बल्कि 1971 में भारत में दाखिल हुए तथाकथित शरणार्थी और उनके वंशज और अवैध रूप से समय समय पर आने वाले घुसपैठियों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। भारत देश  अवैध रूप से आए विदेशी घुसपैठियों की पनाहगाह बन चुका है।

इस समय देश में करोड़ों की संख्या में बांग्लादेशी , रोहिंग्या, तिब्बती प्रवासी शरणार्थी भारत के नागरिकों के आर्थिक संसाधनों, प्राकृतिक संसाधनों जल जंगल जमीन ओर रोजगार के अवसरों पर न केवल डाका डाल रहे हैं बल्कि सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति एवं राष्ट्र की सुरक्षा के लिए सदैव खतरा बने हुए हैं। भारत की बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था इनके लिए वरदान साबित हुई है।  बजाय इन घुसपैठियों को खदेड़ बाहर करने के अनेक राजनीतिक दल इनकी उपस्थिति को अवसर की तरह न केवल भुना रहे हैं बल्कि वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करने के लिए इन्हें  खुले आम संरक्षण प्रदान कर रहे है।  केंद्र मे गद्दीनशीं दल के द्वारा इन्हें पहचान कर बाहर करने की बात तो सदैव की जाती रही है

किंतु 10 बरस से अधिक के शासन काल में कोई ठोस प्रयास सामने आता नहीं दिखा।   इनको जब भी खदेड़ बाहर करने की बात आती है तो हमारे देश का एक विशेष वर्ग उम्मत के नाम पर  विरोध में खड़ा होने को न केवल उद्यत  हो जाता है बल्कि इन्हें भारत में बसने बसाने की पूरी पुख्ता व्यवस्था देने का काम करता है।।  सी ए ए एवं एनआरसी कानून के संसद में पास करने के खिलाफ आवाज उठाई गई थी तो भारत सरकार भी कुछ समय तक अपराध बोध और बचाव में आ गई थी। राष्ट्रवादी  लोग भी समर्थन में स्ट्रॉन्ग वाइस के साथ नहीं आए। एन आर सी के विरोध में राष्ट्र विरोधियों के द्वारा राष्ट्रवादियों से कहीं ज्यादा आवाजें उठाई गई थी और मामला  ठंडे बस्ते में पड़ गया।

कबीले गौर है कि पाकिस्तान की एक कमजोर सरकार , कमजोर अर्थव्यवस्था वाली सरकार ने भी 17 लाख अफगानियो को  जो कि बतौर रिफ्यूजी पाकिस्तान में आए थे घुसपैठिए के तौर पर नहीं को बाहर का रास्ता दिखाने का मन बना लिया तो बना लिया और निकाल बाहर किया था।  उसने यह नहीं देखा कि वे भी मुसलमान हैं या उनमें ऐसे भी लोग हैं जो पाकिस्तान में ही पैदा हुए थे या निकाल बाहर करने के समय ठंड बहुत पड़ रही थी और उनके इंसानी हुकूक और उम्मत का आदर मान किया जाय। पाकिस्तान का यह मानना था कि ये 17 लाख अफगानी उसकी अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा भार हैं और इनके वजन को ढोते हुए वह अपनी आर्थिक स्थिति मे दूरगामी  परिवर्तन की तो छोड़ो करवट भी नही बदल सकता। उसने यू एन को नहीं सुना और न ही उसने अंतरराष्ट्रीय दबाव का खौफ माना। उसकी स्ट्रेटजी की तारीफ करूंगा उसने अफगानिओ को देश से बाहर का रास्ता दिखाने का वह समय और अवसर चुना जब दुनिया और खास तौर से मुस्लिम जगत फिलिस्तीन (हमास) और इसराइल में उलझा हुआ था। पूरी दुनिया का मुसलमान यहूदी विरोध में उबला जा रहा है।


 भारत  करोड़ों  रोहिंग्या, बांग्लादेशी घुसपैठियों तथा सनातन विरोधी राष्ट्र विरोधी तत्वों के बोझ से कमर टूटने, आंतरिक सुरक्षा के प्रतिदिन छलनी होने के बावजूद उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना तो दूर उन पर भारतीय कानूनों को सख्ती से लागू तक कराने का साहस नहीं कर पा रहा है। देश की राजधानी दिल्ली सहित हर छोटे बड़े भारतीय शहरों ही नहीं वल्कि ग्रामीण इलाकों तक मै ये रोहिंग्या बांग्लादेशी घुसपैठिए असरदार उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। ये हमारे देश में रचे बसे राष्ट्र विरोधी तत्वों के साथ नीम पर चढ़े हुए करेले साबित हो रहे हैं। भारत अपनी कमजोरी की खीज पाकिस्तान और आई एस आई पर उतारता रहता है जो उचित नहीं है।  ऐसा ही हम चीन के साथ भी करते हैं।

हम कहते हैं कि पाकिस्तान जो कि मुसलमानो का बड़ा मसीहा बनता है चीन का पिछलग्गू बना हुआ है । चीन उईघर मुसलमानो को उसके द्वारा खींची गई लक्ष्मण रेखा में रहने को बाध्य करता है, उन्हें डिटेंशन  कैम्पो में रखता है उन्हे अपनी आबादी बढ़ाने के लिए बच्चे नहीं पैदा करने देता है । भारत में तो पीढ़ी दर पीढ़ी से रहने वाले या घुसपैठिए मुसलमान हर तरह की आजादी का लुत्फ उठा रहे है।  इस मामले में हम चीन से सबक लेते हुए अपनी समस्या के समाधान करने के लिए उईघरो पर नकेल कसने जैसे कड़े कदम उठाने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पाते। पाकिस्तान द्वारा अफगानियों को निकाल बाहर करने पर उससे क्यों नहीं  सीखते। पीढ़ियों तक का भला हो जाएगा । सनातनी चोला ओढ़े राष्ट्र विरोधी सेकुलर  तत्वों की पहचान कर उनका इलाज भी समय की मांग है  वरना गजवाए हिंद से बचने के लिए रेत में शुतुरमुर्ग की तरह सिर छिपाने से कल्याण नहीं होने वाला..... बाबा साहब भीम राव आंबेडकर के भारत विभाजन के समय मुसलमानों के बारे में व्यक्त किए गए उदगार अब सच साबित हो रहे हैं।

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