सोशल मीडिया पर जातीय विभाजन फैलाने की कोशिशें निंदनीय: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

Attempts to spread caste division on social media are condemnable: Chief Minister Yogi Adityanath
 
सोशल मीडिया पर जातीय विभाजन फैलाने की कोशिशें निंदनीय: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

वाराणसी,  जुलाई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वसंत महिला महाविद्यालय, वाराणसी में आयोजित 'राष्ट्रीय जनजातीय संगोष्ठी' का उद्घाटन करते हुए समाज में फैलाए जा रहे जातीय विभाजन के प्रयासों पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट बनाकर जातीय संघर्ष भड़काने का प्रयास कर रहे हैं, जिसे हर हाल में रोका जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में जनजातीय समाज को भारत की सनातन परंपरा का मूल आधार बताते हुए कहा कि यह समाज हर युग में राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा के लिए अग्रणी रहा है। उन्होंने भगवान राम, महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी के संघर्षों में जनजातीय समाज के योगदान को याद करते हुए कहा कि जब संवाद बाधित होता है, वहीं संघर्ष जन्म लेता है।

जनजातीय समाज का ऐतिहासिक योगदान

मुख्यमंत्री ने बिरसा मुंडा को भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रेरक बताते हुए कहा कि उन्होंने कम उम्र में ही गुलामी के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल फूंका था। जनजातीय समाज ने हर कालखंड में भारत की परंपराओं और मूल्यों को सहेजने का कार्य किया है। वे केवल वेदों की बात नहीं करते, बल्कि उन्हें अपने जीवन में जीते हैं।

सोशल मीडिया पर भ्रामक प्रचार की साजिश

मुख्यमंत्री ने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि कुछ वर्ष पूर्व एक आगजनी के मामले में जब जांच हुई तो पता चला कि भगवा गमछा पहने व्यक्ति ने 'या अल्लाह' कहते हुए उपद्रव किया था। उन्होंने चेताया कि ऐसे षड्यंत्रकारी तत्व समाज को गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं, जिनके खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है।

सरकार की योजनाएं जनजातीय समाज के लिए

सीएम योगी ने स्वीकार किया कि पूर्ववर्ती सरकारें जनजातीय क्षेत्रों तक न तो संवाद पहुँचा सकीं और न ही सुविधाएं। लेकिन 2017 के बाद उनकी सरकार ने इन क्षेत्रों को राजस्व गांवों का दर्जा देकर राशन कार्ड, पेंशन, भूमि पट्टा जैसी योजनाएं लागू कीं। उन्होंने सोनभद्र, चंदौली, मीरजापुर और नेपाल सीमा से लगे जनजातीय क्षेत्रों में सरकारी सेवाओं की पहुंच का विस्तार करने की बात कही।

सनातन परंपरा का जीवंत प्रतीक: जनजातीय समाज

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत में सनातन धर्म किसी एक मंदिर, ग्रंथ या रीति से परिभाषित नहीं होता। उन्होंने कहा, "जो वेदों को माने, वह भी हिंदू है और जो न माने, वह भी हिंदू है। जनजातीय समाज प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहकर वेदों की शिक्षाओं को आत्मसात करता है।"

कांवड़ यात्रा और सामाजिक समरसता

मुख्यमंत्री ने कांवड़ यात्रा को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए कहा कि इसमें न कोई जाति देखी जाती है और न संप्रदाय। फिर भी कुछ लोग इसे उपद्रव से जोड़ने का प्रयास करते हैं। उन्होंने समाज को इस प्रकार के भ्रामक प्रचार से सतर्क रहने का संदेश दिया।

जनजातीय गौरव दिवस और कृतज्ञता का भाव

योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 15 नवंबर को 'जनजातीय गौरव दिवस' के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह दिन जनजातीय समाज के योगदान को सम्मानित करने और संवाद स्थापित करने का अवसर है।

वसंत महिला महाविद्यालय और पर्यावरण संदेश

मुख्यमंत्री ने वसंत महिला महाविद्यालय की ऐतिहासिक विरासत की सराहना की और कहा कि यह परिसर भारत की मूल शिक्षा प्रणाली की जीवंत स्मृति है। इस अवसर पर उन्होंने परिसर में पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया।

कार्यक्रम में पद्मश्री अशोक भगत, कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, अनिल राजभर, राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल, दयाशंकर मिश्र दयालु सहित कई विधायक, एमएलसी, शिक्षाविद और छात्राएं उपस्थित रहीं।

Tags