बलरामपुर साहित्य महोत्सव: राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाओं से मोहा श्रोताओं का मन

बलरामपुर। बलरामपुर साहित्य महोत्सव के तत्वावधान में एम.एल.के.पी.जी. कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन ने साहित्य प्रेमियों के बीच अपनी छाप छोड़ी। देश के चर्चित कवि एवं कवयित्रियों ने अपनी ओजस्वी और संवेदनशील रचनाओं से ऐसा समां बाँधा कि श्रोतागण मंत्रमुग्ध होकर देर तक तालियाँ बजाते रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ आयोजक गुलाबचंद मिश्रा ने माँ शारदे की वंदना और आराधना के साथ किया।
रचनाओं का विविध रंग
कवि सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर रचनाएँ प्रस्तुत की गईं, जिसने मंच को विविध रंगों से सराबोर कर दिया
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व्यवस्था पर व्यंग्य: कवि जतिन शुक्ला ने व्यंग्यात्मक लहजे में व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए पढ़ा: सड़क नाला व शौचालय हो सबका रेट निर्धारित, विधायक जी को मिलता काम से पहले कमीशन है।”
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संवेदनशीलता: ओम शर्मा 'ओम' ने कन्या भ्रूण हत्या जैसे गंभीर सामाजिक विषय पर श्रोताओं को झकझोरने वाली संवेदनशील पंक्तियाँ सुनाईं: अगर बेटी नहीं होगी तो पानी कौन पूछेगा।”
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रिश्तों की गहराई: विशाल सिंह 'ताबिश' ने प्रेम की गहराई को व्यक्त करते हुए अपनी प्रस्तुति दी: तुमसे हार गए हैं वरना दुनिया की औकात नहीं है।”
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सद्भाव का संदेश: आदर्श श्रीवास्तव ने प्रेम और सद्भाव की बात करते हुए कहा: जिस तरह दोनों के बच्चे खेलते हैं, दुश्मनी के आखिरी दिन चल रहे हैं।”
मंच पर बिखरा काव्य का वैभव
इसके अलावा, आशीष कवि गुरु, हिमांशी बावरा, कुमार विकास, गुलाब मुंतजिर, भानु प्रताप तिवारी, अभी श्रेष्ठ तिवारी, शाहबाज तालिब, पल्लवी मिश्रा, और ऋचा मिश्रा 'रोली' की रचनाओं ने भी मंच पर खूब रंग जमाया।\ कार्यक्रम का समापन देवेश बलरामपुरी, सुरेश 'सैनिक', सुरेश त्रिपाठी, पियूष अग्निहोत्री, और राम प्रकाश मिश्रा 'विद्रोही' की दमदार कविताओं के साथ हुआ, जिसने श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया और कवि सम्मेलन को उत्कर्ष पर पहुँचाया। कार्यक्रम के सफल संयोजन और संचालन में डॉ. शिव शंकर पांडे, हिमांशु जायसवाल, रोहित पांडे 'काका', सूर्य प्रकाश आजम, आकाश तिवारी, राहुल, और आदर्श सहित कई स्वयंसेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
