Bharat and Pakistan conflict : America है Pakistan के साथ वही US के Ambassador दे रहे है India के साथ, बोले Pakistan पर भरोसा नहीं

United States of America 2025 में india के साथ अपनी strategic और economic partnership को और मजबूत कर रहा है, Brookings Institution के एक programme में US Ambassador निकोलस बर्न्स द्वारा 2016 में की गई टिप्पणी नए सिरे से ध्यान attract कर रही है। South Asia के प्रति अमेरिकी Approach के उनके clear assessment ने भारत और पाकिस्तान के साथ वाशिंगटन के रिश्तों में permanent difference को उजागर किया, एक ऐसा difference जो Current geopolitical dynamics के प्रकाश में तेजी से seem relevant होता है।
उस समय, बर्न्स ने दोनों देशों के साथ अमेरिकी relations की तुलना करने के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा था, की ये एक बड़ी गलती होगी यदि हम इन दोनों देशों के साथ अपने relations को किसी तरह के रूप में ढालने का प्रयास करते हैं, आप जानते हैं, हमें equal treatment और equal footing के हित चाहिए, क्योंकि भारत के साथ हमारे संबंध पूरी तरह से अलग हैं - पाकिस्तान के साथ हमारे relations की तुलना में कहीं ज्यादा positivity , कहीं अधिक attached, कहीं अधिक Integrated."
उनकी टिप्पणी regional stability और South Asia में historical अमेरिकी Diplomacy पर व्यापक चर्चा के दौरान आई। पिछले संकटों पर विचार करते हुए, उन्होंने बताया कि 1999 के कारगिल संघर्ष के बाद से situation में नाटकीय रूप से बदलाव आया है। "मैं उस strategic position के बारे में सोच रहा था, जिसे स्ट्रोब ने Deputy Secretary के रूप में संभाला था। ये पूरी तरह से अलग था। पाकिस्तान के साथ हमारे relation और भी intimate थे..president क्लिंटन और स्ट्रोब इस्लामाबाद में हमारे प्रभाव के कारण कारगिल संकट जैसे संकट को कम करने में भूमिका निभाने में सक्षम थे।
बर्न्स ने उस प्रभाव की तुलना 2016 तक अमेरिका के कम होते Effect से करते हुए कहा,की "मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रपति ओबामा के पास अब उतना प्रभाव है। अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्ते में स्पष्ट रूप से कमी आई है क्योंकि पाकिस्तान अपनी धरती पर terrorist groups से लड़ने में असमर्थ है, जिसके कारण अफ़गानिस्तान में अमेरिकियों की मौत हुई है।
former foreign minister कोंडोलीज़ा राइस का हवाला देते हुए बर्न्स ने इस बदलाव के पीछे के strategic logic की पुष्टि की: "मार्च 2005 में जब कोंडोलीज़ा राइस पहली बार भारत गई थीं, तो वो बिल्कुल सही थीं... उन्होंने कहा था, की जब भारत के साथ हमारे संबंध स्पष्ट रूप से बढ़ रहे हैं, तो इन दोनों देशों में किसी तरह का समान रणनीतिक हित रखना संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से समझदारी नहीं है। और मैं कभी नहीं चाहूँगा कि हम पीछे हटें।"
जबकि वाशिंगटन लम्बे समय से हिंद-प्रशांत Approach के साथ पूर्व की ओर देख रहा है, बर्न्स की 2016 की अंतर्दृष्टि इस बात की याद दिलाती है कि अमेरिका-भारत संबंध कितनी दूर तक आगे बढ़ चुके हैं - और क्यों संयुक्त राज्य अमेरिका अब नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच संतुलन बनाने की कोशिश नहीं कर रहा है।
अब आप सोचा रहे होंगे की 2016 का statement अब इतनी चर्चा में क्यों है तो चलिए उसका reason भी आपको बता देते है, दरअशल 2016 में अमेरिका ने clear किया था की वो पाकिस्तान नहीं बल्कि भारत का साथ देगा लेकिन ऑपरेशन सिन्दूर के बाद कहानी पलटती हुई दिखी ऐसा कहा जा रहा है की दोनों देशो में समझौता के बाद जो पाकिस्तान ने ceasfire किया वो अमेरिका के दबाव में आकर किया इसका मतलब साफ़ है की अमेरिका आज भी पाकिस्तान का साथ दे रहा है, और भारत का साथ तो बस एक दिखावा है। US Ambassador निकोलस बर्न्स का कहना है की अमेरिका के लिए भारत और पाकिस्तान के साथ समान व्यवहार करना एक गलती होगी। भारत के साथ हमारे रिश्ते बेहतर हो रहे हैं, लेकिन हमें पाकिस्तान पर भरोसा नहीं है, इसे साफ़ होता है की जहाँ डोनाल्ड ट्रम्प पाकिस्तान का साथ दे रहे है वही निकोलस बर्न्स उसके अगेंस्ट है वो भारत के साथ अपने relations को ज्यादा मज़बूत बता रहे है।
आपको क्या लगता है की अमेरिका भारत के साथ है या पाकिस्तान के ? अपनी राय हमें comment box में जरूर बताईयेगा .