बीएसआईपी की डॉ. स्वाति त्रिपाठी को प्रतिष्ठित भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी यंग एसोसिएट अवार्ड 2025 के लिए चुना गया

Dr. Swati Tripathi of BSIP selected for the prestigious Indian National Science Academy Young Associate Award 2025
 
Dr. Swati Tripathi of BSIP selected for the prestigious Indian National Science Academy Young Associate Award 2025
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।लखनऊ शहर के लिए यह बेहद गर्व की बात है कि भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (इंसा), नई दिल्ली ने बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज (बीएसआईपी) की वैज्ञानिक डॉ. स्वाति त्रिपाठी को वर्ष 2025 के इंसा यंग एसोसिएट पुरस्कार के लिए चुना है। यह प्रतिष्ठित सम्मान डॉ. त्रिपाठी के वैज्ञानिक अनुसंधान में असाधारण योगदान और अकादमिक उत्कृष्टता के प्रति उनके दृढ़ समर्पण की मान्यता है। इंसा यंग एसोसिएट अवार्ड भारत में होनहार युवा वैज्ञानिकों को दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मानों में से एक है, जिसका उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करना और उसका पोषण करना है। यह भारत में काम कर रहे वैज्ञानिकों को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है, जिसमें देश के भीतर किए गए कार्यों पर विशेष जोर दिया जाता है हालांकि, विदेशों में किए गए महत्वपूर्ण योगदानों पर भी विचार किया जाता है, जिनसे भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी को लाभ मिलता है।


बीएसआईपी के निदेशक डॉ महेश जी ठक्कर ने गर्व और प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि बीएसआईपी के इतिहास में यह पहली बार है जब हमारे संस्थान के किसी वैज्ञानिक को आईएनएसए यंग एसोसिएट पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह डॉ त्रिपाठी और बीएसआईपी दोनों के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

डॉ स्वाति त्रिपाठी बीएसआईपी, लखनऊ में क्वाटरनरी पैलिनोलॉजी लैब में वैज्ञानिक-ई के रूप में कार्यरत हैं। उनका शोध पराग मोर्फोमेट्री, कोप्रो-पैलिनोलॉजी और मेलिसोपैलिनोलॉजी के अध्ययन सहित पैलिनोलॉजी के माध्यम से क्वाटरनरी वनस्पति और जलवायु परिवर्तन अध्ययन पर केंद्रित है। उनका काम अतीत की जलवायु गतिशीलता और जैव विविधता में विशेष रूप से इंडो-बर्मा जैव विविधता हॉटस्पॉट में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। इससे पहले 2017 में डॉ त्रिपाठी को एक अन्य राष्ट्रीय विज्ञान निकाय (भारतीय विज्ञान अकादमी, बेंगलुरु) के एसोसिएट के रूप में चुना गया था।


डॉ. त्रिपाठी ने 2011 में लखनऊ विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की, जहाँ उन्हें पहले एमएससी कार्यक्रम में अकादमिक उत्कृष्टता के लिए बीरबल साहनी मेमोरियल गोल्ड मेडल (2007) सहित तीन स्वर्ण पदक मिले थे। उनके पुरस्कारों में उनके उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए डॉ. बी.एस. वेंकटचला मेमोरियल मेडल (2012) और डॉ. चुन्नी लाल खटियाल मेडल (2016) भी शामिल हैं।


उन्होंने देश-विदेश की शोध पत्रिकाओं में लगभग 65  शोध पत्र प्रकाशित किए है, 14 एम.एससी. छात्रों को प्रशिक्षित किया है, और वर्तमान में दो पीएचडी छात्रों की देखरेख करती हैं, जिसमें एक डीएसटी-इंस्पायर एसआरएफ और एक यूजीसी-जेआरएफ शामिल है। डॉ. त्रिपाठी ने पूर्वोत्तर भारत में पैलियोइकोलॉजिकल पुनर्निर्माण पर कई प्रायोजित परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया है और हिमालय और क्वाटरनेरी ड्रिलिंग परियोजनाओं में सक्रिय रूप से शामिल हैं। उनका वर्तमान शोध पराग प्रॉक्सी का उपयोग करते हुए ब्रह्मपुत्र घाटी में हिमनद के पश्चात एवं होलोसीन मानसून परिवर्तनशीलता के दौरान वनस्पति गतिशीलता और जलवायु परिवर्तन के पुनर्निर्माण पर आधारित हैं। उनके निष्कर्ष दुनिया के सबसे समृद्ध पारिस्थितिक क्षेत्रों में पुराजलवायु परिवर्तनों को समझने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

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