चीन ने पेश किया नया ब्लैकआउट बम: दुश्मन का इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम कर देगा ठप, जानें इसकी ताकत और तकनीक
China introduced a new blackout bomb: It will shut down the enemy's electronic system, know its power and technology
Fri, 25 Jul 2025
चीन ने हाल ही में ऐसा नया बम विकसित किया है जो युद्ध की रणनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। यह बम दुश्मन के संचार और बिजली व्यवस्था को पूरी तरह से ठप करने की क्षमता रखता है। चीनी सरकारी मीडिया ने इसका वीडियो जारी किया है, जिसमें इस हथियार की शक्ति और उपयोग की प्रक्रिया को दिखाया गया है।
क्या है यह नया बम?
यह बम मुख्य रूप से दुश्मन की बिजली आपूर्ति को निष्क्रिय करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसे ग्रेफाइट बम की श्रेणी में रखा जा सकता है, हालांकि चीन ने इसके नाम का खुलासा नहीं किया है। इस बम को जमीन से लॉन्च किया जाता है और यह हवाई विस्फोट के माध्यम से काम करता है।
कैसे करता है काम?
जारी किए गए एनिमेटेड वीडियो के मुताबिक, बम के फटते ही इसमें से 90 सिलेंडरनुमा सबम्यूनिशन बाहर निकलते हैं। ये कनस्तर पहले जमीन पर गिरते हैं और फिर उछलकर विस्फोट करते हैं। विस्फोट के दौरान इनमें से अत्यंत बारीक, रासायनिक रूप से तैयार किए गए कार्बन फिलामेंट हवा में फैल जाते हैं, जो बिजली के बुनियादी ढांचे को शॉर्ट सर्किट कर देते हैं।
इस प्रक्रिया से प्रभावित क्षेत्र में संपूर्ण ब्लैकआउट हो सकता है, जिससे दुश्मन की कम्युनिकेशन और कंट्रोल प्रणाली पंगु हो जाती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह बम 10,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में प्रभावी हो सकता है।
कितना घातक है यह बम?
हालांकि चीन ने इस बम का आधिकारिक नाम नहीं बताया, लेकिन इसकी बनावट और कार्यप्रणाली इसे ग्रेफाइट बम की श्रेणी में लाती है। वीडियो के अनुसार, इसकी रेंज करीब 290 किलोमीटर बताई गई है और इसका वारहेड 490 किलोग्राम वजनी है। यह इसे सैन्य बिजली स्टेशनों और रणनीतिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाने में बेहद असरदार बनाता है।
क्या चीन पहले से कर रहा है ऐसे हथियारों का इस्तेमाल?
ग्रेफाइट बम कोई नई अवधारणा नहीं है। अमेरिका पहले ही इनका उपयोग कर चुका है, जैसे 1991 के खाड़ी युद्ध में। उस समय अमेरिकी टॉमहॉक मिसाइलों से दागे गए ग्रेफाइट वारहेड्स ने इराक की 85% बिजली व्यवस्था को निष्क्रिय कर दिया था।
जहां तक चीन की बात है, 2017 में 'मॉडर्न शिप्स' मैगजीन के एक लेख में संकेत दिया गया था कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के पास ऐसे हथियार पहले से हैं। उस समय इन बमों का कवरेज क्षेत्र और वजन सीमित था, लेकिन अब तकनीक में काफी उन्नति दिखाई दे रही है।
