नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक असंभव को संभव करने का जज़्बा रखते हैं: मनोज वर्मा

लखनऊ। सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों में किसी भी समय और किसी भी परिस्थिति में असंभव को संभव करने का अदम्य साहस होता है। यह बात सीनियर असिस्टेंट डिप्टी कंट्रोलर एवं राष्ट्रपति पदक से सम्मानित मनोज वर्मा ने नागरिक सुरक्षा स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कही।
गोमतीनगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के मून हॉल में भारत सरकार द्वारा आयोजित स्वयंसेवक क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत 6 दिसंबर को मनाए गए स्थापना दिवस पर मनोज वर्मा ने उपस्थित स्वयंसेवकों को कर्तव्यनिष्ठा की शपथ दिलाई।
वर्ष 2010 में आपदा प्रबंधन से जुड़ा सिविल डिफेंस
मनोज वर्मा ने बताया कि सिविल डिफेंस की स्थापना का मूल उद्देश्य युद्ध के समय आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना था। वर्ष 2010 में इसे आपदा प्रबंधन से भी जोड़ा गया, जिसके बाद स्वयंसेवकों की जिम्मेदारी और विस्तृत हो गई। उन्होंने कहा कि सिविल डिफेंस के स्वयंसेवक समय-समय पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, जिससे वे हर परिस्थिति का सामना करने में सक्षम होते हैं। कोविड-19 काल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जब स्वयंसेवकों ने फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में अत्यंत साहस और समर्पण के साथ काम किया।
स्थापना दिवस पर विशेष संबोधन
कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ सहायक उपनियंत्रक ऋषि कुमार ने नागरिक सुरक्षा की भूमिका और महत्ता पर प्रकाश डाला।सहायक उपनियंत्रक रेखा पांडेय और मुकेश कुमार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा डीजी नागरिक सुरक्षा उत्तर प्रदेश ध्रुवकांत ठाकुर द्वारा भेजे गए संदेशों का वाचन किया।नागरिक सुरक्षा लखनऊ के उपनियंत्रक रविन्द्र कुमार ने सिविल डिफेंस कंट्रोल रूम में विभागीय ध्वज फहराया और सभी को स्थापना दिवस की शुभकामनाएँ दीं।
भारत में 1962 से मनाया जा रहा स्थापना दिवस
विदित हो कि देश में नागरिक सुरक्षा संगठन की स्थापना 6 दिसंबर 1962 को की गई थी। इसी कारण प्रत्येक वर्ष 6 दिसंबर को नागरिक सुरक्षा स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
