Congress Leaders meet Progressive International Team : Progressive International Team के साथ ये कैसी योजना बना रहे राहुल और सोनिया, क्या इसे होगा बीजेपी को कोई नुकसान

 
Congress Leaders meet Progressive International Team


आज हम एक ऐसे मुद्दे पर बात करने जा रहे हैं, जो हाल ही में सुर्खियों में है। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दिल्ली में प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। लेकिन सवाल ये है कि ये प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल क्या है ? इस मुलाकात के पीछे क्या मकसद  था? और क्यों कुछ लोग इसे संदिग्ध बता रहे हैं ?

इस वीडियो में हम इस मुलाकात की पूरी कहानी, इसके राजनीतिक पहलू  और सोशल मीडिया पर उठ रहे सवालों को facts के साथ समझेंगे। तो वीडियो को लास्ट तक जरूर देखिएगा 

28 अप्रैल, 2025 को नई दिल्ली के 10 जनपथ में कांग्रेस संसदीय दल की चेयरपर्सन सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। इस मुलाकात की जानकारी खुद कांग्रेस ने अपने आधिकारिक X हैंडल पर share  की। कांग्रेस ने लिखा, "सीपीपी चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी जी और LOP श्री राहुल गांधी ने 10 जनपथ, नई दिल्ली में प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।"  

इस मुलाकात में वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र भी शामिल था। इसके अलावा, हैदराबाद में आयोजित भारत समिट के बाद इस प्रतिनिधिमंडल ने सोनिया और राहुल से मुलाकात की, जिसे कांग्रेस ने एक प्रगतिशील कदम बताया।  

लेकिन  ये मुलाकात इतनी सीधी-सादी नहीं है, जितनी दिख रही है। कुछ लोग इसे सामान्य राजनयिक मुलाकात बता रहे हैं, तो कुछ इसे संदिग्ध करार दे रहे हैं। आइए, पहले प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल को समझते हैं।  

प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल एक global organization है, जिसे मई 2020 में लॉन्च किया गया था। इसका मिशन है "दुनिया की प्रगतिशील ताकतों को एकजुट करना, संगठित करना, और जुटाना।" ये organization 100 से ज्यादा organizations के साथ काम करता है, जो 6  continents में फैले हैं। इसके प्रमुख समर्थकों में बर्नी सैंडर्स, नोम चोम्स्की, और यानिस वरौफाकिस जैसे नाम शामिल हैं।   

प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल का कहना है कि ये जलवायु परिवर्तन, आर्थिक असमानता, और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर काम करता है। लेकिन कुछ आलोचकों का मानना है कि ये संगठन वामपंथी विचारधारा को बढ़ावा देता है और कई देशों में शासन परिवर्तन के लिए प्रदर्शनों को समर्थन देता है। X पर एक पोस्ट में दावा किया गया कि ये संगठन "डीप स्टेट" द्वारा फंडेड है, हालांकि इसके कोई ठोस सबूत नहीं हैं।  

Progressive International के बारे में दो तरह की बातें सामने आ रही हैं। एक तरफ इसे प्रगतिशील संगठन कहा जा रहा है, तो दूसरी तरफ इसे संदिग्ध माना जा रहा है। लेकिन सवाल ये है कि सोनिया और राहुल की इस संगठन से मुलाकात क्यों हुई? और इसका भारत की राजनीति से क्या कनेक्शन है?  

ये मुलाकात ऐसे समय में हुई है, जब जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 लोग मारे गए और कई घायल हुए। राहुल गांधी ने 25 अप्रैल को श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की और एक घायल व्यक्ति से अस्पताल में मिले। उन्होंने कहा कि इस हमले का मकसद समाज को बांटना है, और पूरा विपक्ष सरकार के साथ खड़ा है।  

24 अप्रैल को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) ने पहलगाम हमले पर चर्चा की, जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, और अन्य नेता शामिल थे। कांग्रेस ने सरकार से ऑल-पार्टी मीटिंग बुलाने की मांग की, जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया।  

ऐसे संवेदनशील समय में प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल से मुलाकात ने कई सवाल खड़े किए हैं। कुछ लोग कह रहे हैं कि ये मुलाकात वैश्विक सहयोग और प्रगतिशील मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए थी। लेकिन X पर कुछ यूजर्स का मानना है कि ये मुलाकात भारत की आंतरिक राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश हो सकती है।  

X पर इस मुलाकात को लेकर दो तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कांग्रेस समर्थकों का कहना है कि ये एक सामान्य मुलाकात थी, जो भारत समिट के बाद हुई। वहीं, कुछ यूजर्स ने इसे "संदिग्ध" करार दिया। एक पोस्ट में दावा किया गया कि प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल ""Leftist organization"  है, जो "शासन परिवर्तन" के लिए काम करता है।  

लेकिन  इन दावों की सच्चाई क्या है? अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है जो ये साबित करे कि प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल भारत में किसी तरह की साजिश रच रहा है। सोशल मीडिया पर अफवाहें तेजी से फैलती हैं, और हमें इन्हें बिना जांचे सच नहीं मानना चाहिए।  

मेरा मानना है कि हमें facts  पर ध्यान देना चाहिए। प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल एक जाना-माना organization है, और कई देशों के नेता इसके साथ जुड़े हैं। लेकिन भारत जैसे देश में, जहां राजनीति इतनी संवेदनशील है, ऐसी मुलाकातें सवाल तो खड़े करेंगी ही।  

ये पहली बार नहीं है जब सोनिया और राहुल गांधी ने किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की हो। 2019 में दोनों ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी। 2008 में राहुल गांधी ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ एक MoU साइन किया था, जिसे पार्टी-टू-पार्टी सहयोग बताया गया।  

राहुल गांधी ने पहले भी अमेरिका, ब्रिटेन, और अन्य देशों में कई नेताओं और संगठनों से मुलाकात की है। 2024 में उन्होंने अमेरिकी सांसद इल्हान उमर और डोनाल्ड लु से मुलाकात की, जिस पर बीजेपी ने सवाल उठाए। इन मुलाकातों को बीजेपी ने "देशविरोधी" करार दिया, जबकि कांग्रेस ने इन्हें राजनयिक और प्रगतिशील बताया।  

 ये मुलाकातें राजनीति का हिस्सा हैं। लेकिन जब बात भारत की सुरक्षा और एकता की बात आती है, तो हर मुलाकात पर सवाल उठना लाजमी है। क्या आपको लगता है कि ये मुलाकातें सिर्फ वैश्विक सहयोग के लिए हैं, या इसके पीछे कोई और मकसद है?  

प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल के साथ सोनिया और राहुल गांधी की मुलाकात को लेकर जो जानकारी सामने आई है, उसके आधार पर ये एक राजनयिक मुलाकात लगती है। कांग्रेस का कहना है कि ये मुलाकात प्रगतिशील मूल्यों और वैश्विक सहयोग के लिए थी। लेकिन X पर उठ रहे सवालों और बिना सबूत के दावों ने इसे controversial बना दिया।  

मेरा मानना है कि हमें अफवाहों से बचना चाहिए और facts  पर भरोसा करना चाहिए। अगर आपके पास इस मुलाकात से जुड़ी कोई ठोस जानकारी है, तो कमेंट में जरूर शेयर करें। आप क्या सोचते हैं? क्या ये मुलाकात normal  थी, या इसके पीछे कोई बड़ा राज है ? अपनी राय कमेंट में बताएं।

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