सीएसआईआर-सीडीआरआई ने ज्ञानवर्धक व्याख्यान कार्यक्रम के साथ विश्व बौद्धिक संपदा दिवस 2024 मनाया
CSIR-CDRI celebrates World Intellectual Property Day 2024 with enlightening lecture program
Apr 26, 2024, 22:13 IST
उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ ( आर एल पाण्डेय )। सीएसआईआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ ने विश्व बौद्धिक संपदा दिवस 2024 के अवसर पर बौद्धिक संपदा अधिकार पर व्याख्यान का आयोजन किया। इस कार्यक्रम की कार्यशैली ‘बौद्धिक संपदा संरक्षण: परीक्षक आईपी के साथ विनिर्देश प्रारूपण और बातचीत थी।
यह कार्यक्रम सीएसआईआर-सीडीआरआई सभागार में आयोजित किया गया। सीएसआईआर-सीडीआरआई के वैज्ञानिकों एवं शोध छात्रों के अलावा, सीएसआईआर-सीमैप और सीएसआईआर-आईआईटीआर के वैज्ञानिक ने कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम में दो वक्ताओं डॉ. लिपिका पटनायक, सीएसआईआर-आईपीयू नई दिल्ली और श्रीमती श्वेता राजकुमार उप नियंत्रक-आईपीओ, नई दिल्ली ने इस कार्यक्रम पर अपनी विशेषज्ञता और विचार साझा किए।
कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. श्रीपति राव कुलकर्णी (सीएसआईआर-सीडीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक और समन्वयक आईपी और आईएसटीएजी) ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण पर जोर देते हुए कार्यक्रम का एक व्यावहारिक परिचय दिया।
सीएसआईआर-सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंजनन ने वक्ताओं का फूलों से स्वागत किया। उन्होने आर्थिक विकास के लिए आविष्कारों के अनुवाद में वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. रंगराजन ने नवाचारों को पहचानने और उनकी सुरक्षा करने, अंततः मानव कल्याण और औद्योगिक उन्नति में योगदान देने में आईपीआर के महत्व पर जोर दिया। उन्होने कहा यह केवल खोजकर्ता के लिए ही नही बल्कि अपने देश के आर्थिक विकास के लिए भी जरूरी है।
डॉ. लिपिका पटनायक ने एक व्यापक सत्र दिया जिसमें पेटेंट के मूल सिद्धांतों पर प्रकाश डाला गया, पेटेंट विनिर्देशों के विभिन्न घटकों का विश्लेषण किया गया और प्रभावी दावों का मसौदा तैयार करने के लिए आवश्यक तकनीकें प्रदान की गईं। उन्होंने आविष्कार का शीर्षक तैयार करने, आविष्कार के क्षेत्र का सारांश देने और पेटेंट आवेदनों के लिए आवश्यक बिंदुओं को रेखांकित करने जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहराई से विचार किया।
कार्यक्रम जारी रखते हुए, श्रीमती श्वेता राजकुमार ने पेटेंट आवेदनों मे उठाई गई सामान्य आपत्तियों को बताया। पेटेंट आवेदनों के कुछ मामले के जरिये पेटेंट स्पष्टता एवं विशिष्टता पर प्रकाश डाला। उनके व्याख्यान ने उपस्थित लोगों को पेटेंट आवेदनों की जटिलताओं से निपटने में बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान किया।
कार्यक्रम ने छात्रों और शोधकर्ताओं को पेटेंटिंग प्रक्रिया की गहरी समझ हासिल करने के लिए एक मंच प्रदान किया, जिसमें पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रिया, आवश्यक दस्तावेज एवं पेटेंट आवेदन के प्रमुख चरण शामिल हैं।
डॉ. कुलकर्णी ने नवाचार और बौद्धिक संपदा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए वक्ताओं और प्रतिभागियों को उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. श्रीपति राव कुलकर्णी (सीएसआईआर-सीडीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक और समन्वयक आईपी और आईएसटीएजी) ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण पर जोर देते हुए कार्यक्रम का एक व्यावहारिक परिचय दिया।
सीएसआईआर-सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंजनन ने वक्ताओं का फूलों से स्वागत किया। उन्होने आर्थिक विकास के लिए आविष्कारों के अनुवाद में वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. रंगराजन ने नवाचारों को पहचानने और उनकी सुरक्षा करने, अंततः मानव कल्याण और औद्योगिक उन्नति में योगदान देने में आईपीआर के महत्व पर जोर दिया। उन्होने कहा यह केवल खोजकर्ता के लिए ही नही बल्कि अपने देश के आर्थिक विकास के लिए भी जरूरी है।
डॉ. लिपिका पटनायक ने एक व्यापक सत्र दिया जिसमें पेटेंट के मूल सिद्धांतों पर प्रकाश डाला गया, पेटेंट विनिर्देशों के विभिन्न घटकों का विश्लेषण किया गया और प्रभावी दावों का मसौदा तैयार करने के लिए आवश्यक तकनीकें प्रदान की गईं। उन्होंने आविष्कार का शीर्षक तैयार करने, आविष्कार के क्षेत्र का सारांश देने और पेटेंट आवेदनों के लिए आवश्यक बिंदुओं को रेखांकित करने जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहराई से विचार किया।
कार्यक्रम जारी रखते हुए, श्रीमती श्वेता राजकुमार ने पेटेंट आवेदनों मे उठाई गई सामान्य आपत्तियों को बताया। पेटेंट आवेदनों के कुछ मामले के जरिये पेटेंट स्पष्टता एवं विशिष्टता पर प्रकाश डाला। उनके व्याख्यान ने उपस्थित लोगों को पेटेंट आवेदनों की जटिलताओं से निपटने में बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान किया।
कार्यक्रम ने छात्रों और शोधकर्ताओं को पेटेंटिंग प्रक्रिया की गहरी समझ हासिल करने के लिए एक मंच प्रदान किया, जिसमें पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रिया, आवश्यक दस्तावेज एवं पेटेंट आवेदन के प्रमुख चरण शामिल हैं।
डॉ. कुलकर्णी ने नवाचार और बौद्धिक संपदा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए वक्ताओं और प्रतिभागियों को उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया।