क्या अमेरिका चीन से डर गया है? ट्रंप ने 90 दिनों के लिए टैरिफ बढ़ाने की डेडलाइन क्यों बढ़ाई – जानिए पूरी सच्चाई
आज हम एक ऐसी खबर पर बात करने जा रहे हैं, जो पूरी दुनिया में हलचल मचा रही है। क्या अमेरिका सचमुच चीन से डर गया है? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर टैरिफ की समय सीमा को 90 दिनों तक बढ़ा दिया है। आखिर इस फैसले के पीछे की असली कहानी क्या है? क्या ये राहत है, मजबूरी है, या फिर कोई रणनीतिक कदम? आइए, इस खबर को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि इसका global economy और india पर क्या असर पड़ सकता है। तो चलिए शुरू करते हैं!
दोस्तों, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध पिछले कई सालों से सुर्खियों में है। 2018 से शुरू हुआ ये तनाव कभी कम होता है, तो कभी और गहरा हो जाता है। इस बार खबर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से import होने वाली चीज़ों पर टैरिफ की समय सीमा को 90 दिनों के लिए और बढ़ा दिया है। ये फैसला ठीक उस समय लिया गया, जब 12 अगस्त 2025 को टैरिफ की बढ़ाने की डेडलाइन खत्म होने वाली थी।
अब सवाल ये है कि ट्रंप ने ऐसा क्यों किया ? क्या अमेरिका को सचमुच चीन से डर है, जैसा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स दावा कर रही हैं ? या फिर इसके पीछे कोई और reason है?
सबसे पहले, थोड़ा बैकग्राउंड समझ लेते हैं। अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव की शुरुआत 2018 में हुई थी। अमेरिका का कहना था कि चीन के साथ उसका व्यापार असंतुलित है, और चीनी कंपनियां Intellectual property की चोरी और unfair trade practices में शामिल हैं। इसके जवाब में, अमेरिका ने चीनी सामानों पर भारी टैरिफ लगाने शुरू किए। अप्रैल 2025 में तो ट्रंप ने चीनी वस्तुओं पर टैरिफ को 145% तक बढ़ाने का ऐलान किया था, जबकि चीन ने जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी सामानों पर 125% टैरिफ लगाए।
इन टैरिफ्स का असर न सिर्फ अमेरिका और चीन, बल्कि पूरी दुनिया की economy पर पड़ा। Global supply chains affected हुईं, और कई देशों की जीडीपी पर negative असर देखने को मिला। मई 2025 में जिनेवा और जून में लंदन में हुई बातचीत के बाद दोनों देशों ने टैरिफ्स को अस्थायी रूप से कम करने का फैसला किया था। अभी चीन से आने वाले सामानों पर 30% टैरिफ है, जिसमें 10% बेसलाइन और 20% फेंटेनाइल से जुड़ा अतिरिक्त टैरिफ शामिल है। दूसरी ओर, चीन ने अमेरिकी सामानों पर 10% टैरिफ लागू किया हुआ है। लेकिन अब, जब टैरिफ बढ़ाने की डेडलाइन नजदीक थी, ट्रंप ने इसे 90 दिनों के लिए और बढ़ा दिया। आखिर क्यों?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप का ये फैसला कई कारणों से प्रभावित हुआ है। पहली और सबसे बड़ी वजह है अमेरिका में क्रिसमस और ऑटम सीजन की शॉपिंग। ये अमेरिका में खरीदारी का सबसे बड़ा समय होता है। इस दौरान कपड़े, खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू सामान की भारी मांग होती है, और इनमें से ज्यादातर सामान चीन से import होता है। अगर ट्रंप 145% टैरिफ लागू करते, तो इन सामानों की कीमतें आसमान छू लेतीं। इससे न सिर्फ अमेरिकी consumers को महंगाई का सामना करना पड़ता.
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर कहा, "मैंने एक कार्यकारी आदेश पर sign किए हैं, जो चीन पर टैरिफ suspension को 90 दिनों तक बढ़ाएगा। यह बयान ठीक डेडलाइन खत्म होने से कुछ घंटे पहले आया। कुछ लोग इसे ट्रंप की मजबूरी मान रहे हैं, क्योंकि चीन का global market में दबदबा है।
चीन के पास rare earth minerals का global expor पर Control है, जो electric vehicles से लेकर जेट इंजनों तक में use होते हैं। अगर चीन इनकी आपूर्ति रोक दे, तो global market पर भारी असर पड़ सकता है। यही वजह है कि ट्रंप ने सावधानी बरतते हुए टैरिफ्स को टालने का फैसला लिया।
इसके अलावा, ट्रंप ने हाल ही में चीन से अमेरिकी सोयाबीन की खरीद को चार गुना बढ़ाने की अपील की थी, लेकिन चीन ने इस अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया। इससे ये साफ होता है कि चीन अपनी शर्तों पर अड़ा हुआ है।
कई मीडिया रिपोर्ट्स और एक्स पर पोस्ट्स में दावा किया जा रहा है कि अमेरिका चीन से डर गया है। लेकिन क्या ये सच है? कुछ experts का मानना है कि ये डर का मसला नहीं, बल्कि एक रणनीतिक कदम है। अमेरिका में चुनावी मौसम नजदीक है, और ट्रंप नहीं चाहते कि महंगाई की वजह से जनता का गुस्सा उनके प्रशासन के खिलाफ जाए।
इस 90 दिन की मोहलत से अमेरिका और चीन को अपने मतभेद सुलझाने का और समय मिल गया है। माना जा रहा है कि इस साल के लास्ट तक ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक शिखर सम्मेलन हो सकता है। अगर ये मुलाकात सफल रही, तो शायद दोनों देशों के बीच एक Permanent समझौता हो सके।
लेकिन अगर कोई समझौता नहीं हुआ, तो टैरिफ की दरें फिर से 145% तक जा सकती हैं, और ये "ट्रेड वॉर 2 की शुरुआत हो सकती है।
अब सवाल ये है कि इस फैसले का india पर क्या असर पड़ेगा ? ट्रंप ने भारत सहित कई देशों पर भी टैरिफ लगाने की धमकी दी है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत पर 50% टैरिफ पहले ही लागू हो चुका है। अगर अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध फिर से शुरू होता है, तो Global supply chains affected होंगी, जिसका असर भारत जैसे देशों पर भी पड़ेगा।
भारत के लिए ये एक मौका भी हो सकता है। अगर चीन पर भारी टैरिफ लगते हैं, तो Indian companies अमेरिकी बाजार में अपनी पैठ बढ़ा सकती हैं। लेकिन इसके लिए भारत को अपनी manufacturing capacity और export policies को और मजबूत करना होगा।
तो ये थी अमेरिका-चीन टैरिफ वॉर की latest अपडेट। क्या आपको लगता है कि ट्रंप का ये decision मजबूरी में लिया गया है, या ये एक सोची-समझी रणनीति है ? क्या भारत इस situation का फायदा उठा सकता है ? अपनी राय हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।
