इंदिरा गांधी: क्या भारत की ‘President for Life’ बनने वाली थीं?

भारत के राजनीतिक इतिहास में इंदिरा गांधी का नाम एक ऐसा चेहरा है जो ताकत, विवाद और नेतृत्व का प्रतीक है। उन्हें आयरन लेडी कहा जाता है – एक ऐसी नेता जिन्होंने न केवल भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दी, बल्कि अपने फैसलों से लोकतंत्र और सत्ता की परिभाषा को भी चुनौती दी।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब इंदिरा गांधी को "President for Life" यानी आजीवन राष्ट्रपति बनाने की बात चल रही थी? क्या वो वास्तव में भारत को एक तानाशाही की ओर ले जाना चाहती थीं? आइए, इस राजनीतिक रहस्य की परतें खोलते हैं।
राजनीति में इंदिरा गांधी का उदय
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में हुआ था। वो भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की इकलौती बेटी थीं। बचपन से ही उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और ‘बाल चरखा संघ’ व ‘वानर सेना’ जैसी संस्थाओं के माध्यम से कांग्रेस के लिए काम किया।
विदेशी शिक्षा, अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण और 1942 में फिरोज़ गांधी से विवाह — उनकी ज़िंदगी शुरू से ही एक सार्वजनिक जीवन की तैयारी थी। 1959 में वह कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं और 1966 में प्रधानमंत्री के रूप में चुनी गईं।
‘गूंगी गुड़िया’ से आयरन लेडी तक
इंदिरा गांधी को शुरू में कमज़ोर नेता समझा गया, लेकिन उन्होंने अपने काम से सबको चौंका दिया। 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग में बांग्लादेश की आज़ादी, बैंकों का राष्ट्रीयकरण और हरित क्रांति जैसे ऐतिहासिक फैसलों ने उन्हें “आयरन लेडी” बना दिया। लेकिन सत्ता की इस चढ़ाई के साथ-साथ विवादों का साया भी बढ़ता गया।
आपातकाल और सत्ता की केंद्रीकरण की कोशिशें
25 जून 1975 — इस तारीख को भारत के लोकतंत्र को सबसे बड़ा झटका लगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को 1971 के चुनाव में दोषी ठहराया और उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी। इस संकट से निपटने के लिए उन्होंने देश में आपातकाल लागू कर दिया।
आपातकाल के दौरान:
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प्रेस पर सेंसरशिप लगी
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विपक्षी नेताओं को जेल भेजा गया
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नागरिक स्वतंत्रताओं को दबा दिया गया
इसी दौरान एक और विचार ने जन्म लिया — भारत को राष्ट्रपति प्रणाली में बदलने का विचार, जिसमें इंदिरा गांधी को आजीवन राष्ट्रपति बनाए जाने की मांग उठी।
‘President for Life’ का प्रस्ताव: हकीकत या साज़िश?
आपातकाल के दौरान इंदिरा के कुछ करीबी सलाहकारों ने यह सुझाव दिया कि भारत की संसदीय प्रणाली को बदलकर एक सशक्त राष्ट्रपति प्रणाली अपनाई जाए — ठीक जैसे फ्रांस के चार्ल्स डी गॉल ने किया था।
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बीके नेहरू ने इस विचार का समर्थन किया और कहा कि भारत को एक मज़बूत प्रेसिडेंसी की ज़रूरत है।
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एक प्रस्ताव में जजों की नियुक्ति, कानून निर्माण और न्यायपालिका पर नियंत्रण जैसे अधिकार राष्ट्रपति को दिए जाने की बात थी।
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हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से कहा था: “इंदिरा दीदी को लाइफटाइम प्रेसिडेंट बना दो।”
हालांकि, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री करुणानिधि जैसे नेताओं ने इसका सख्त विरोध किया।
इंदिरा गांधी की राय क्या थी?
प्रोफेसर राघवन की किताब ‘Indira Gandhi and the Years That Transformed India’ के अनुसार, इंदिरा गांधी ने इस प्रस्ताव पर न तो स्पष्ट सहमति दी, न ही उसे पूरी तरह खारिज किया। उन्होंने सलाहकारों को इसे एक्सप्लोर करने को कहा, लेकिन यह उनके समर्थन के संकेत नहीं थे।
1980 की वापसी और नई रणनीति
1977 में चुनाव हारने और सत्ता से बाहर होने के बाद इंदिरा ने 1980 में एक जबरदस्त वापसी की। उन्होंने कांग्रेस (I) के बैनर तले लोकसभा में भारी बहुमत हासिल किया। इस बार वो अधिक सतर्क थीं और उन्होंने तकनीकी विकास, हरित क्रांति और न्यूक्लियर पावर जैसे क्षेत्रों पर ध्यान दिया।
लेकिन 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार और फिर उनकी हत्या ने उनके राजनीतिक सफर को एक दर्दनाक अंत दे दिया।
इंदिरा गांधी: नेता या तानाशाह?
तो क्या इंदिरा गांधी सच में आजीवन राष्ट्रपति बनना चाहती थीं? यह बहस आज भी जारी है।
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समर्थकों का कहना है: इंदिरा ने देश को स्थिरता और मज़बूती दी। आपातकाल एक अस्थायी कदम था, सत्ता की स्थायित्व के लिए।
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आलोचकों का मानना है: आपातकाल और सत्ता का केंद्रीकरण उनके तानाशाही रुझानों का प्रमाण है।
सच्चाई शायद कहीं बीच में है। इंदिरा गांधी एक जटिल व्यक्तित्व थीं — एक ओर वह राष्ट्र की प्रगति और अखंडता की प्रतीक थीं, तो दूसरी ओर उनकी सत्ता-नीति ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को भी चुनौती दी।
निष्कर्ष: विरासत जो आज भी ज़िंदा है
इंदिरा गांधी सिर्फ़ एक प्रधानमंत्री नहीं थीं। वो भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं, जिन्होंने देश को बदला, समाज को झकझोरा, और एक ऐसी छवि बनाई जिसे भुलाया नहीं जा सकता। उनकी उपलब्धियाँ — 1971 की जीत, भारत रत्न, हरित क्रांति — अमूल्य हैं, लेकिन आपातकाल और "President for Life" जैसी चर्चाओं ने उनकी छवि को जटिल बना दिया।