क्या जडेजा अकेले पड़ गए या मौका चूक गए? लॉर्ड्स टेस्ट में उठते सवाल
Did Jadeja get lonely or did he miss the opportunity? Questions arising in the Lord's Test
Tue, 15 Jul 2025
इंग्लैंड के खिलाफ हाल ही में हुए लॉर्ड्स टेस्ट में भारतीय ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा की पारी को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं। कई लोगों का मानना है कि जडेजा को टीम के अन्य खिलाड़ियों से पूरा साथ नहीं मिला, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं।
जडेजा को मिला था भरपूर सहयोग
जब भारतीय टीम मुश्किल में थी, तब जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज जैसे पुछल्ले बल्लेबाज़ों ने जडेजा को टिक कर खेलने का पूरा मौका दिया। बुमराह ने 54 गेंदों का सामना किया और जडेजा के साथ दो घंटे से ज्यादा समय तक क्रीज पर डटे रहे। जडेजा ने भी रणनीति अपनाते हुए ओवर की आखिरी गेंदें बुमराह को खेलने दीं, जिससे वे स्ट्राइक अपने पास बनाए रख सकें।
सिराज के साथ भी जडेजा ने इसी रणनीति को अपनाया। ऐसे में यह कहना गलत होगा कि जडेजा को किसी का साथ नहीं मिला।
क्या मिस कर गए ‘मैच फिनिशर’ वाला रवैया?
यदि पिछले कुछ ऐतिहासिक मुकाबलों पर नजर डालें, तो यह साफ होता है कि कठिन हालात में भी तूफानी बल्लेबाज़ी कर टीम को जीत दिलाई जा सकती है। उदाहरण के लिए:
2019 एशेज टेस्ट, लीड्स में बेन स्टोक्स ने जैक लीच के साथ मिलकर आखिरी विकेट के लिए 76 रनों की साझेदारी की थी। इस दौरान स्टोक्स ने सिर्फ 45 गेंदों पर 74 रन ठोक दिए थे और कुल 135* की पारी खेली थी, जबकि लीच ने महज़ 17 गेंदों पर 1 रन बनाया था।
2023 वर्ल्ड कप, अफगानिस्तान के खिलाफ ग्लेन मैक्सवेल ने पैट कमिंस के साथ 8वें विकेट के लिए 202 रन जोड़े थे। मैक्सवेल ने 201* रन बनाए थे, जबकि कमिंस ने सिर्फ 12 रन बनाकर टिके रहने का काम किया।
इन दोनों उदाहरणों में मुख्य बल्लेबाज़ों ने अटैकिंग मूड में जाकर मैच पलट दिया।
जडेजा ने निभाई जिम्मेदारी, लेकिन
लॉर्ड्स टेस्ट में रवींद्र जडेजा ने 181 गेंदों पर नाबाद 61 रनों की पारी खेली, जिसमें सिर्फ 4 चौके और 1 छक्का शामिल था। उन्होंने जिम्मेदारी से बल्लेबाज़ी तो जरूर की, लेकिन वह आक्रामक रवैया नहीं दिखा पाए, जिसकी टीम को ज़रूरत थी।
जिस समय बुमराह और सिराज क्रीज पर थे, अगर जडेजा बड़े शॉट खेलने का जोखिम उठाते, तो भारत शायद लक्ष्य के करीब पहुंच सकता था। लेकिन डिफेंसिव एप्रोच के चलते टीम इंडिया जीत से चूक गई।
