क्या आपको पता है? ईडी की छापेमारी में बरामद कैश और प्रॉपर्टी का आखिर होता क्या है?

Do you know? What happens to the cash and property recovered during ED raids?
 
क्या आपको पता है? ईडी की छापेमारी में बरामद कैश और प्रॉपर्टी का आखिर होता क्या है?

कई बार आपने सुना होगा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने किसी स्थान पर छापेमारी की और करोड़ों रुपये की नकदी, सोना-चांदी या दस्तावेज़ बरामद किए। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन जब्त संपत्तियों और पैसों का बाद में क्या होता है? चलिए, आज हम आपको बताते हैं कि इस पूरी प्रक्रिया के पीछे क्या नियम और व्यवस्था होती है।

छापेमारी में क्या-क्या होता है जब्त?

जब कोई जांच एजेंसी किसी स्थान पर छापा मारती है, तो उसे नकद रुपये, सोना-चांदी, कीमती सामान और दस्तावेज़ जैसे कई अहम साक्ष्य हाथ लगते हैं। इन सभी की विधिवत सूची बनाई जाती है, जिसे पंचनामा कहा जाता है। इस दस्तावेज़ में यह दर्ज किया जाता है कि कितनी रकम मिली, कितने नोट किस मूल्य वर्ग (जैसे ₹200, ₹500) में हैं, और अगर किसी नोट पर कोई निशान या लिखावट है, तो वह भी उल्लेखित किया जाता है।

जब्त नकदी और संपत्ति का क्या होता है?

पंचनामा की प्रक्रिया के बाद नकदी को दो भागों में बाँटा जाता है। एक हिस्सा, जो केस से जुड़ा सबूत होता है, एजेंसी अपने पास सुरक्षित रखती है। शेष रकम को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) या स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में केंद्र सरकार के नाम पर जमा कर दिया जाता है।
अगर कोई चल-अचल संपत्ति (जैसे ज़मीन, फ्लैट, वाहन आदि) जब्त की जाती है, तो उसे PMLA (Prevention of Money Laundering Act) की धारा 5(1) के तहत अस्थायी रूप से अटैच किया जाता है। बाद में, अगर अदालत में यह साबित हो जाता है कि संपत्ति अवैध तरीके से अर्जित की गई है, तो धारा 9 के तहत उसे सरकारी कब्ज़े में ले लिया जाता है।

प्रॉपर्टी पर क्या होता है असर?

एक बार संपत्ति को अटैच कर दिया जाता है, तो उस पर साफ-साफ लिखा जाता है कि इसका क्रय-विक्रय या उपयोग तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक कोर्ट इस पर अंतिम फैसला नहीं देता। हालांकि कुछ मामलों में अदालत की सुनवाई पूरी होने तक आरोपी को संपत्ति के सीमित उपयोग की अनुमति दी जा सकती है।

क्या ईडी हमेशा संपत्ति अपने पास रख सकती है?

नहीं, ईडी को PMLA कानून के मुताबिक सिर्फ 180 दिनों तक ही संपत्ति को अपने पास रखने का अधिकार होता है। अगर इस अवधि में कोर्ट से मंजूरी नहीं मिलती, तो संपत्ति मूल मालिक को वापस दी जा सकती है। वहीं अगर आरोपी दोषी साबित हो जाता है, तो संपत्ति पूरी तरह से सरकार के नाम हो जाती है।

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